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Gestational hypertension : समझिए क्या है यह स्थिति और क्यों जरूरी है इससे बचना

हाई ब्लड प्रेशर के अलावा और भी कई साइन है जो जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या की ओर इशारा करते हैं। आइए जानते हैं कि क्या है जेस्टेशनल हाइपरटेंशन और इससे कैसे पाए छुटकारा।
समझिए क्या है जेस्टेशनल हाइपरटेंशन और क्यों जरूरी है इससे बचना । चित्र : एडॉबीस्टॉक
ज्योति सोही Published: 31 Aug 2023, 09:42 am IST
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प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं। जहां कुछ बदलाव स्वाभाविक होते हैं, तो कुछ किसी समस्या की ओर इशारा भी करते हैं। स्टडी के अनुसार प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह के बाद अगर किसी महिला का ब्लड प्रेशर तेज़ी से बढ़ने लगता है, तो ये जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का कारण हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के अलावा और भी कई साइन है जो इस समस्या की ओर इशारा करते हैं। आइए जानते हैं कि क्या है जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (gestational hypertension) और इससे कैसे पाए छुटकारा।

जेस्टेशनल हाइपरटेंशन क्या है

इस बारे में बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मंजरी मेहता का कहना है कि दुनियाभर में 5 फीसदी महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान इस समस्या का शिकार होती है। ये सूस्या खासतौर से गर्भावस्था के दूसरे ट्राइमेस्टर के बाद आरंभ होती है। इसमें आपके शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।

सेंटर ऑफ डिज़ीज कंट्रोल के मुताबिक गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद शरीर इस कंडीशन से होकर गुज़रता है। 20 से 44 साल की आयु के तहत 12 से 17 महिलाओं में से हर 1 महिला को हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) की शिकायत होती है। अगर आपका ब्लड प्रेशर 160/100एमएम एचजी है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

इन संकेतों से जानें कि आप जेस्टेशनल हाइपरटेंशन के शिकार हैं । चित्र : शटरस्टॉक

इन संकेतों से जानें कि आप जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (gestational hypertension) के शिकार हैं

शरीर के अंगों में सूजन का बढ़ना
बार बार सिरदर्द की शिकायत करना
उल्टी और जी मचलने जैसा महसूस होना
यूरिन पूरी तरह से पास न हो पाना
अचानक से वज़न बढ़ने लगना
पेट में दर्द महसूस होना

किन महिलाओं में इसका जोखिम बढ़ जाता है।

वे महिलाएं जो पहली बार प्रेगनेंट होती है। उनमें इसका जोखिम बढ़ने लगता है।
टविन्स या उससे ज्यादा बच्चे होने की स्थिति में इसकी संभावना बढ़ जाती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज से पीडित महिलाएं भी इसका शिकार हो जाती है।
अगर आपकी मां या बहनों में से किसी को भी ये बीमारी पहले से रही हैं, तो आप भी इससे ग्रस्त हो सकती हैं।

रोग प्रतिरोधम क्षमता कमज़ोर होने पर भी महिलाओं को अक्सर इस स्थिति से गुज़रना पड़ता है।
अगर किडनी से जुड़े किसी भी रोग से आप पहले से ग्रस्त हैं, तो भीये बीमारी आपको अपनी चपेट में ले सकती है।

कैल्शियम के सेवन से ब्लड प्रेशर सामान्य बना रहता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

जेस्टेशनल हाइपरटेंशन को इग्नोर करना पड़ सकता है भारी (Health risks of gestational hypertension)

पीआईएच का जोखिम

प्रेगनेंसी के चलते बॉडी में कई तरह के चेंजिज महसूस होने लगते हैं। उसी में से एक है ब्लड प्रेशर का बढ़ना। जो शरीर में कई समस्याओं का कारण बनने लगता है। इसका प्रभाव मां और होने वाले बच्चे दोनों पर हो सकता है। बहुत से कारणों के चलते शरीर में पीआईएच यानि प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन की संभावना बढ़ने लगती है। कई बार किडनी संबधी समस्या और डायबिटीज पीआईएच का कारण साबित होती है।

क्रॉनिक हाइपरटेंशन

बहुत सी महिलाएं जिन्हें लंबे वक्त से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। वे प्रग्नेंसी में भी इस समस्या से प्रभावित होती है। साथ ही डिलीवरी के बाद भी न्यू मॉम्स इस समस्या का शिकार रहती हैं। ऐसी महिलाएं जो क्रॉनिक हाइपरटेंशन से ग्रस्त रहती हैं। उनके अंदर प्रीक्लेम्पसिया की संभावना बनी रहती है।

नवजात शिशु का वज़न कम होना

अगर आप गर्भावस्था में इस समस्या से जूझ रही हैं, तो इसका असर होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी दिखने लगता है। हाई बीपी प्लेसेंटा में ब्लढ फ्लो को अनियमित कर देता है। प्लेसेंटा में ब्लड की उचित मात्रा न होने से बच्चे की ग्रोथ पर उसका असर दिखता है। इससे नवजात का वज़न कम होने लगता है।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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