Whooping Cough : कमजोर इम्यून सिस्टम भी हो सकता है काली खांसी के लिए जिम्मेदार, जानिए इसके बारे में सब कुछ
इन दिनों काली खांसी के मामले अधिक देखे जा रहे हैं। टीका बनने से पहले काली खांसी को बच्चों की बीमारी माना जाता था। मगर वास्तविकता यह है कि काली खांसी किसी को भी हो सकती है। यह आमतौर पर शिशुओं, बच्चों और बड़े लोगों में भी होती है। जिन शिशुओं की उम्र 2 महीने से कम होती है, उनमें इसका जोखिम ज्यादा होता है। क्योंकि वैक्सीन के लिए उनकी उम्र बहुत कम है। काली खांसी उन लोगों को भी हो सकती है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन जल्दी होता है। चलिए जानते हैं क्या हो सकते हैं काली खांसी (Whooping cough) के लक्षण और उपचार।
क्या है काली खांसी (what is Whooping cough) ?
बैक्टीरियल इन्फेक्शन है काली खांसी, जो रेस्पिरेटरी वे, विशेष रूप से नाक और गले को प्रभावित करता है। इससे लंबे समय तक गंभीर खांसी होती है। यह कभी-कभी घरघराहट की आवाज के साथ समाप्त होती है। यह आसानी से फैलता है। शिशुओं और बच्चों के लिए डीटीएपी (डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस) और वयस्कों के लिए टीडीएपी (टेटनस, डिप्थीरिया और पर्टुसिस) जैसे टीके इसे रोकने में मदद कर सकते हैं। काली खांसी के कारण हांफने या हूपिंग ध्वनि भी खांसने के साथ आ सकती है।
हो सकती हैं गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं ((Whooping cough)
शिशुओं के लिए खतरनाक है काली खांसी। खासकर उन लोगों के लिए, जो 1 वर्ष से छोटे हैं। यह उन्हें आवश्यक ऑक्सीजन प्राप्त करने से रोक सकती है।
इसका कारण यह हो सकता है (Whooping cough causes)
• ब्रेन डैमेज या ब्लीडिंग
• न्यूमोनिया
• दौरे पड़ना
• एपनिया
• कन्वल्शन
ये समस्याएं भी हो सकती हैं (Whooping cough cause health problems)
• पेट की हर्निया
• रक्त वाहिकाएं टूट जाना
• रिब्स में चोट लग जाना
• पेशाब करते समय नियंत्रण करने में परेशानी होना
• नींद न आना
सांसें रुक सकती हैं
यदि किसी शिशु में ये सारी जटिलताएं दिख रही हैं, तो पेरेंट्स को तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। काली खांसी से पीड़ित 12 महीने से कम उम्र के बच्चों पर हर समय नजर रखनी चाहिए। खांसी के कारण उनकी सांसें रुक सकती हैं या अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। गंभीर समस्या वाले छोटे शिशुओं को भी अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।किशोरों और वयस्कों में, काली खांसी से निमोनिया हो सकता है।
कैसे किया जा सकता है काली खांसी का निदान (Whooping cough diagnosis)
इसके लक्षण काफी हद तक सर्दी, फ्लू या ब्रोंकाइटिस के कारण होने वाले लक्षणों जैसे होते हैं। इसलिए इसका शुरुआती निदान करना मुश्किल हो सकता है। डॉक्टर खांसी की आवाज़ सुनकर ही इसके बारे में बता सकते हैं।
नाक या गले के स्वाब से बैक्टीरिया का परीक्षण किया जा सकता है। साथ ही वाइट ब्लड सेल्स की गिनती से भी पता चल सकता है कि आपका शरीर किसी संक्रमण से लड़ रहा है। चेस्ट एक्स – रे बता सकता है कि फेफड़ों में सूजन है या फ्लूइड निमोनिया है।
एंटीबायोटिक्स से किया जा सकता है उपचार ((Whooping cough treatment)
यदि शुरुआत में ही पता चल जाए कि आपको काली खांसी है, तो एंटीबायोटिक्स खांसी और अन्य लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। ये संक्रमण को दूसरों तक फैलने से रोकने में भी मदद कर सकते हैं।
इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर खांसी की दवाओं, कफ दबाने वाली दवाओं या एक्सपेक्टोरेंट्स, ऐसी दवाएं जिनसे खांसी में बलगम आता है, का उपयोग न करें। ये सभी दवा काम नहीं करते हैं।
यदि खांसी के कारण पर्याप्त फ्लूइड नहीं ले पा रही हैं, तो डीहाइड्रेट भी हो सकती हैं। यदि ऐसा होता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
दवा के साथ-साथ इन चीजों का भी रखें ध्यान (Whooping cough home remedies)
बेहतर महसूस करने और तेजी से ठीक होने के लिए कुछ चीजें की जा सकती हैं
• खूब आराम करें। इससे शरीर को बीमारी से लड़ने की अधिक ताकत मिल सकती है।
• जितनी बार मन हो, स्मॉल पोर्शन के साथ भोजन करें। छोटे-छोटे पोर्शन और अधिक बार भोजन करने से तेज़ खांसी के कारण होने वाली उल्टी को रोकने में मदद मिल सकती है।
• अपने आस-पास की हवा को धूल, धुएं और अन्य परेशानियों से मुक्त रखने से खांसी को शांत करने में मदद मिल सकती है।
• जितना संभव हो तरल पदार्थ पीएं। खूब सारा पानी या जूस पीकर हाइड्रेटेड रहें। यदि डी हाइड्रेशन के लक्षण (whooping cough) दिखाई देते हैं, जैसे सूखे होंठ या लो यूरीन पास होना, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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