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chhath puja : सुबह ही नहीं, शाम की धूप भी है आपकी सेहत के लिए फायदेमंद, यहां जानिए कैसे 

हम सभी जानते हैं कि सुबह की धूप में सबसे अधिक विटामिन डी मिलता है। छठ के अवसर पर जानें सुबह के साथ-साथ शाम का सूरज भी स्वास्थ्य के लिए रक्षक है।
सुबह के साथ-साथ शाम का सूरज भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 30 Oct 2022, 09:30 am IST
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चार दिन तक चलने वाले छठ को सूर्योपासना का त्यौहार कहा जाता है। इस अवसर पर उगते हुए सूर्य और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से दोनों प्रहर के सूर्य की पूजा करने के विशेष अर्थ हैं। फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ दोनों के लिए दोनों समय का सूर्य (sunshine and sunset benefits for health)  महत्वपूर्ण है। खासकर महिलाओं के लिए। रिसर्च और विशेषज्ञ दोनों इस ओर संकेत देते हैं।

क्या कहती है रिसर्च

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विटामिन डी सबसे अधिक हमें सूर्य से ही प्राप्त होता है। कैल्शियम अवशोषण के साथ-साथ यह कई रोगों से बचाव भी करता है।

भारत के जर्नल ऑफ़ मिडलाइफ हेल्थ में इंदौर के एम जी एम मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ़ ओब्सटेट्रीक्स एंड गायनेकोलोजी की डॉ. मनिका जैन कौशल और कानपुर के एयर फ़ोर्स हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ़ ओब्सटेट्रीक्स एंड गायनेकोलोजी के डॉ.नवनीत मेगन का विटामिन डी पर शोध आलेख प्रकाशित हुआ। इस आलेख को पबमेड सेंट्रल में भी स्थान दिया गया।

उन दोनों ने अपने शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि आधी उम्र बीतने के बाद मेनोपॉज फेज (शोध आलेख में इसे Sunset phase of life कहा गया)  में महिलाओं के लिए सनशाइन विटामिन कहलाने वाले विटामिन डी (शरीर धूप के संपर्क में आने के बाद विटामिन का निर्माण करता है) की महत्ता बढ़ जाती है। ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याएं विटामिन डी की कमी  से जुड़ी हुई हैं।

कई प्रकाशित अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला है कि कैंसर और हृदय रोग से लेकर ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर, मधुमेह, अवसाद, इम्युनिटी और वजन बढ़ाने जैसी कई बीमारियों को रोकने में विटामिन डी अहम भूमिका निभा सकता है। यह उन मल्टीटास्किंग विटामिनों में से एक है, जो कई बीमारियों के लिए निवारक के रूप में कार्य कर सकता है।

विटामिन डी की कमी के कारण ये लक्षण दिख सकते हैं 

विटामिन डी की कमी के लक्षण आसानी से नहीं समझ में आ सकते हैं । मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, फ्रैक्चर, थकान, इम्युनिटी का घटना, मोटापा, अवसाद, मिजाज, नींद की अनियमितता और डीमेंशिया के लक्षण दिख सकते हैं।

मेनोपॉज फेज में आवश्यकता बढ़ जाती है विटामिन डी की

शोध के अनुसार, जैसे-जैसे मेनोपॉज फेज करीब आता है, एक महिला के एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है। महिलाओं के लिए यह सुनिश्चित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि उन्हें पर्याप्त विटामिन डी और कैल्शियम मिल रहा है। इसका कारण यह है कि रजोनिवृत्ति के दौरान कैल्शियम की आवश्यकता की दैनिक खुराक 50 वर्ष तक की महिलाओं के लिए 1000 मिलीग्राम से लेकर बुजुर्ग महिलाओं के लिए 1,500 मिलीग्राम तक हो जाती है।

विटामिन डी की जरूरत मेनोपोज फेज में बढ़ जाती है| चित्र: शटरस्टॉक

रजोनिवृत्त महिलाओं को हड्डियों की मजबूती बनाए रखने और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करने के लिए आहार में कैल्शियम का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना आवश्यक है।

नोएडा इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में डायटीशियन डॉ. नीलम अली कहती हैं कि सप्ताह में कम से कम दो बार, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच विशेष रूप से सूर्य के प्रकाश में 5 से 30 मिनट तक रहना चाहिए।

शाम की धूप मदद करती है नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने में

हालांकि शाम की रोशनी हमें केवल यूवीए सूरज की रोशनी प्रदान करती है। इससे स्किन डैमेज होने का खतरा बना रहता है। सुबह से लेकर दोपहर तक यूवीबी बहुत अधिक होता है, जो विटामिन डी उत्पादन के लिए जरूरी है। लेकिन इससे भी स्किन के जलने या स्किन पिगमेंटेशन का खतरा बना रहता है। लेकिन शाम के सूरज में मौजूद यूवीए शरीर को नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने में मदद करता है। इसलिए कुछ देर तक शाम के सूरज में भी रहा जा सकता है।

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सूर्य ढलने के बाद भी इसकी रोशनी फायदेमंद होती है। चित्र:शटरस्टॉक

नाइट्रिक ऑक्साइड एंटीवायरल और एंटी बैकटीरिअल गुणों वाला होता है। इससे ब्लड वेसल्स में स्ट्रेस कम होता है। लंग्स मजबूत होते हैं। साथ ही, ऑक्सीजन लेवल भी बैलेंस होता है, लेकिन इसकी कमी भी नुकसान पहुंचाती है। इससे हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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