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बच्चों के लिए घातक हो सकती है टाइप 1 डायबिटीज, जानिए कैसे कर सकते हैं बचाव 

टाइप 2 डायबिटीज ही नहीं, बल्कि टाइप 1 डायबिटीज भी एक जोखिम कारक स्थिति है। खासतौर से बच्चों को इससे बचाना जरूरी है। 
टाइप 1 डायबिटीज एडॉलेसेंट्स में देखने को मिलता है। अगर शरीर में 80 फीसदी बीटा सेल्स सुचारू रूप से कार्य नहीं करते है,। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 22 May 2022, 16:00 pm IST
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इन दिनों भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज (Diabetes type 1) की समस्या अधिक देखी जा रही है। यदि आपके बच्चे को बहुत अधिक प्यास लगती है, वह बार-बार यूरीन पास करने के लिए जाता हो या फिर वह अनियंत्रित तरीके से खाने भी लगा हो, तो इसे सामान्य न समझें। आपके बच्चे को टाइप-1 डायबिटीज हो सकता है। उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। अगर इस स्थिति में किसी भी तरह की लापरवाही की जाए तो उसकी आंखें और किडनी प्रभावित हो सकती हैं। टाइप 1 डायबिटीज के बारे में जानने के लिए हमने बात की दिल्ली के न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स, चीफ ऑफ लैब सर्विसेज डॉ. अमृता सिंह से।

क्या है टाइप 1 डायबिटीज के बारे में मिथ?

अक्सर यह कहा जाता है कि टाइप 1 डायबिटीज बाय बर्थ होता है। यह सही नहीं है। यह बाय बर्थ हो सकता है, लेकिन यह वायरस या एन्वॉयरमेंट की वजह से भी हाे सकता है। टाइप 1 डाइबिटीज जेनेटिक हो सकती है। आमतौर पर यह बचपन या टीनएज में होती है। परंतु वयस्क होने पर भी इसका जोखिम बना रहता है। आज भी सामान्य लोगों में जागरूकता की कमी के कारण यह रोग बढ़ रहा है। दरअसल, शुरुआत में माता-पिता यह स्वीकार ही नहीं कर पाते हैं कि उनके बच्चे को डायबिटीज हो सकती है। इससे न सिर्फ सिचुएशन कॉम्प्लैक्स हो जाती है, बल्कि कभी-कभी यह घातक भी हो सकती है।

क्या कहती हैं विशेषज्ञ 

डॉ. अमृता सिंह के अनुसार, टाइप 1 डायबिटीज शरीर की ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे का शरीर इंसुलिन का प्रोडक्शन बंद कर देता है। एम्स-ऋषिकेश के एक अध्ययन के अनुसार, इंडियन पेडिएट्रिक एज ग्रुप में टाइप 1 कहलाने वाले डायबिटीज मेलिटस का प्रसार 2.88% हो गया है। 

पिछले दो दशकों के दौरान भारत में नियमित एक्सरसाइज के अभाव और अनहेल्दी डाइट के कारण बच्चों में टाइप -1 डायबिटीज की वृद्धि देखी जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान बच्चों को घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। स्कूल बंद थे, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर रह गई और वे टाइप 1 डायबिटीज के शिकार होने लगे।

बच्चों में कैसे पहचानें टाइप 1 डायबिटीज

यदि आपके बच्चे में चिड़चिड़ापन है और उसका मूड जल्दी-जल्दी बदलता रहता है। साथ ही, बच्चे का वजन तेजी से घट रहा है, तो सावधान हो जाएं। यह रोग जेनेटिक भी हो सकता है। साथ ही एन्वॉयरमेंटल और इम्यून सिस्टम में डिसऑर्डर के कारण भी यह हो सकता है। टाइप 1 डायबिटीज में पैनक्रियाज ग्लैंड के बीटा सेल्स पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। इसके कारण बॉडी में इंसुलिन की कमी हो जाती है।

डायबिटीज टाइप 1 के कारण बच्चों में एंग्जाइटी हो सकती है। चित्र : शटरस्टॉक

क्या हो सकते हैं टाइप 1-डायबिटीज से बचाव के उपाय 

बच्चे में ब्लड शूगर लेवल को कंट्रोल रखने के लिए वर्क आउट कराएं । उसे शुगर कंट्रोल करना सिखाएं और बताएं कि किन चीजों के खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। खेल कूद और फिजिकल एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करने के लिए प्रेरित करें। नियमित अंतराल पर डॉक्टर से मिलते रहें व शुगर लेवल की भी जांच कराएं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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