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आंतों के लिए जहर है मैदा, यह केवल कहावत नहीं एक्सपर्ट भी करती हैं इसका समर्थन, जानिए इसके खतरे

मैदा आंतों में चिपक जाता है, जिसकी वजह से चाहे आप कितना भी हेल्दी भोजन करें उनके पोषक तत्व शरीर में अवशोषित नहीं हो पाते। इसलिए जितना हो सके मैदे के सेवन से परहेज रखें।
यह पाचन को प्रभावित करता है। चित्र : शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Updated: 23 Oct 2023, 09:28 am IST
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आजकल जंक फूड, बिस्किट्स, पास्ता, नूडल्स और अन्य पैकेज्ड फूड को बनाने में मैदा को मेन इनग्रेडिएंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। परंतु क्या इनका सेवन हमारी सेहत के लिए उचित है? आपको बताएं कि मैदा आंतों में चिपक जाता है, जिसकी वजह से चाहे आप कितना भी हेल्दी भोजन करें उनके पोषक तत्व शरीर में अवशोषित नहीं हो पाते हैं। वहीं मैदे को फ्लशआउट करने में पाचन क्रिया को लंबा समय लगता है तब तक शरीर को कई नुकसान हो चुके होते हैं। इसलिए आमतौर पर हमें मैदे की जगह आटे का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लिनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा से सलाह ली। उन्होंने मैदा खाने के कुछ साइड इफेक्ट्स पर बात करते हुए इससे पूरी तरह से परहेज रखने की सलाह दी है। तो चलिए जानते हैं मैदा खाना हमारी सेहत के लिए किस तरह से हानिकारक हो सकता है (side effects of maida)।

यहां जानें आखिर क्यों मैदे की जगह करना चाहिए आटे का सेवन

1. बढ़ जाता है ब्लड शुगर लेवल

मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है, ऐसे में जब आप मैदे से बने किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करती हैं तो शरीर में अधिक मात्रा में शुगर रिलीज होता है, जो सीधे आपके ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करता है और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है। खासकर यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो आपको मैदे से पूरी तरह से परहेज रखना चाहिए। वहीं नियमित रूप से मैदा युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन एक आम व्यक्ति में डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देता है।

मैदा खाने की आदत बन सकती है मोटापे का कारन। चित्र:शटरस्टॉक

2. वेट गेन का कारण बनता है

लगभग आपके सभी पसंदीदा जंक फूड्स को बनाने में मैदे का इस्तेमाल किया जाता है, जो आपके शरीर के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। मैदा मेटाबॉलिक रेट को प्रभावित करता है, जब आप नियमित रूप से मैदे का सेवन करती हैं तो मेटाबॉलिज्म के प्रभावित होने की वजह से बॉडी फैट बर्न करना बंद कर देती है और बॉडी वेट गेन करने लगती है। जिसकी वजह से ओबेसिटी और मोटापे का सामना करना पड़ सकता है।

3. पाचन क्रिया पर पड़ता है नकारात्मक असर

मैदे में भरपूर मात्रा में कार्ब्ज मौजूद होते हैं जो पाचन क्रिया के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। एक स्वस्थ पाचन क्रिया के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है और मैदे में फाइबर नहीं होता।

जब आप मैदे का सेवन करती हैं, तो यह आपकी आतों में चिपक जाता है और इसे बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है, जिसकी वजह से गुड बैक्टीरिया का ग्रोथ धीमा हो जाता है और गट इन्फ्लेमेशन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हमेशा मैदे की जगह आटे का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

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4. हड्डियां हो जाती हैं कमजोर

मैदा एसिडिक प्रवृत्ति का होता है ऐसे में अत्यधिक मात्रा में मैदे के सेवन से बोन डेंसिटी कम होने लगती है। मैदे में मौजूद एसिड हड्डियों से जुड़ी समस्या जैसे कि अर्थराइटिस और इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकती हैं।

5. कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देता है मैदा

एक्सपर्ट के अनुसार यदि आप नियमित रूप से मैदे से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर रही हैं, तो यह आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। कोलेस्ट्रोल का बढ़ता स्तर स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का कारण बनता है। खासकर यह ब्लड वेसल्स को ब्लॉक कर देता है जिसकी वजह से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।

फाइबर के सेवन से आपके कोलेस्ट्रॉल को भी मैनेज किया जा सकता है. चित्र: शटरस्टॉक

6. संतुष्टि महसूस नहीं होती

मैदे से युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से आपको बार बार भूख लगने की समस्या होती है। मीठे की क्रेविंग बढ़ जाती है और आप अधिक मात्रा में जंक फूड्स खाती हैं, जिससे कैलोरी इंटेक भी बढ़ जाता है। ओवरईटिंग और जरूरत से ज्यादा खाने से तमाम लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। उनमें से सबसे आम है डायबिटीज, ओबेसिटी, हाई ब्लड प्रेशर। साथ ही साथ यह त्वचा एवं वालों पर भी बुरा असर डालती है।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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