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Mammography : स्तन कैंसर जागरुकता माह में जानिए क्या है मैमोग्राफी और कैसे की जाती है

Updated on:30 October 2023, 11:25am IST

महिलाओं में दिनों दिन बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर के खतरे की रोकथाम के लिए मैमोग्राफी एक बेहतरीन विकल्प है। इस स्क्रीनिंग टूल की मदद से ब्रेस्ट कैंसर को आसानी से डिटेक्ट किया जा सकता है। अगर आपको स्तन में कोई गांठ या सिस्ट महसूस हो रही हैं, तो सेल्फ एग्ज़ामिनेशन के बाद तुरंत डॉक्टरी जांच करवाएं।

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मैमोग्राफी किसे कहते हैं

ब्रेस्ट एग्ज़ामिन करने के लिए करवाए जाने वाले लो एनर्जी एक्स रे को मेमोग्राफी कहा जाता है। मेमोग्राफी का मकसद बेस्ट कैंसर की संभावना को जल्द डिटेक्ट करना होता है। जिसका पता माइक्रो कैल्सीफिकेशंस के ज़रिए लगाया जाता है। हाई रिस्क पेशेंटस को एमआरआई की सलाह दी जाती है। स्तनों की जांच के लिए किए जाने वाले मेमोग्राफी टेस्ट से पहले किसी प्रकार की क्रीम या परफ्यूम का ब्रेस्ट पर अप्लाई करने से बचें। इससे पिक्चर की क्वालिटी प्रभावित होती है।

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मैमोग्राफी टैस्ट से किस बात का पता लगाया जाता है

इस टेस्ट की मदद से ब्रेस्ट में मौजूद गांठ और सिस्ट का पता लगाया जाता है। बहुत बार कैल्शियम की अधिकता भी गांठ का कारण साबित होती है। साथ ही हर सिस्ट कैंसर का कारण साबित नहीं होती है। बावजूद इसके महिलाओं को चिकित्सकीय जांच के लिए अवश्य जाना चाहिए। इससे स्तन की जांच की जाती है। जिससे स्तन से जुड़े रोगों का पता लगाया जा सकता है।

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कब करवाएं मैमोग्राफी टेस्ट

अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट और नेशनल कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर नेटवर्क के अनुसार 40 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर 1 से 2 साल में मैमोग्राम टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए। वहीं अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक 45 साल की उम्र के बाद सालाना स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए। नेशनल कैंसर इंस्टीटयूट के मुताबिक ब्रैस्ट कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है।

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मैमोग्राफी से पहले रखें इन बातों का ख्याल

मैमोग्राफी के लिए जाने से पहले किसी भी प्रकार के डियोडरेंट या किसी अन्य प्रकार की क्रीम का प्रयोग करने से बचें। इससे स्क्रीनिंग क्लीयर नहीं आ पाती है। इसके लिए स्तनों को नहाने के बाद मुलायम कपड़े से पोंछकर कपड़े पहनें। किसी भी चीज़ को स्तनों के आसपास अप्लाई करने से बचें। इसके अलावा अंडरआर्मस में भी किसी भी चीज़ को न लगाएं। इसका प्रभाव स्तनों पर भी दिखने लगता है।

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मैमोग्राफी किस प्रकार से की जाती है

मैमोग्राम के दौरान स्तनों को एक सीधी एक्स.रे प्लेट में फिट किया जाता है। ब्रेस्ट टीशूज को फलैट करने के लिए ब्रेस्ट को नीचे की ओर कंप्रेस किया जाता है। तस्वीर लेने के दौरान कुछ देर के लिए सांस रोकनी पड़ती है। इससे कुछ लोगों को असुविधा महसूस होने लगती है। इस प्रकिया को करने में 30 से 40 मिनट का वक्त लगता है। मैमोग्राम के साथ साथ नियंमित जांच के ज़रिए भी स्तन कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

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किन कारणों से बढ़ती है ब्रेस्ट कैंसर की संभावना

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार वे महिलाएं, जो दिनभर बैठी रहती हैं। उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 10 फीसदी बढ़ने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए खुद को एक्टिव रखना ज़रूरी है। इसके अलावा शरीर में जमा होने वाले फैट्स भी कैंसर की संभावना को बढ़ा देते हैं। इससे शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने लगती है। जो ब्रैस्ट कैंसर की संभावना को बढ़ा देती है।

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मैमोग्राफी के क्या हैं फायदे

इस प्रक्रिया से होकर गुज़रने से स्तन कैंसर का पता आसानी से लागया जा सकता है। इसके अलावा स्तन में मौजूद गांठ की जानकारी मिल पाती है। स्क्रीनिंग मैमोग्राम की मदद से ब्रेस्ट कैंसर का आसानी से पता लगा जा सकता है। इसका शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि कोई महिला गर्भवती है, तो उसे कुछ सावधानियों से होकर गुज़रना पड़ता है।

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