इंडियन कुकिंग के लिए अब भी बेस्ट है सरसों का तेल, कारण जानने के लिए इसे पढ़िए
बाज़ार की कृपा है कि अब हम दर्जन भर तेल अपने घर ले आए हैं। कोई सलाद की ड्रेसिंग के लिए, कोई हम्मस के लिए, तो कोई सब्जी में छौंक लगाने के लिए। पर कभी सोचा है कि इनमें से कौन सा तेल है जो भारतीय व्यंजनों की विविधतापूर्ण जरूरतों को पूरा कर सके? तो इसका सीधा सा जवाब है सरसों का तेल। जी हां, आज भी इंडियन कुकिंग के लिए मस्टर्ड ऑयल (Mustard Oil) बेस्ट माना जाता है। जानिए क्यों हमारी मां, दादी और नानी हमेशा सरसों के तेल पर ही भरोसा करती आई हैं।
विविध जरूरतें पूरी कर सकता है सरसों का तेल
भारतीय घरों में खाना पकाने के लिए तरह-तरह के तेलों का इस्तेमाल किया जाने लगा है, लेकिन सरसों का तेल शुरू से ही भारतीय घरों की रसोई में एक अहम स्थान रखता है। रायता में हल्का छौंक लगाना हो या अचार डालने हों, हमारी मां और उनकी मां हमेशा सरसों के तेल पर ही भरोसा करती हैं।
कुछ लोगों को लगता है कि सरसों के तेल से उनका कोलेस्ट्रोल बाकी तेलों के मुकाबले ज्यादा बढ़ा सकता है। लेकिन क्या ऐसा सच में है ?
दरअसल सरसों का तेल बाकी तेलों के मुकाबले ज्यादा गाढ़ा होता है। इसकी खुशबू काफी तीखी होती है और स्वाद भी काफी मजबूत होता है। इन्हीं कारणों के चलते लोग सरसों के तेल से दूरियां बनाने लगे हैं। लेकिन यकीन मानिए भारतीय खाना बनाने के लिए सरसों का तेल एक बेहतरीन विकल्प है।
सरसों के तेल के इस्तेमाल पर क्या कहता है विज्ञान
1 एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरपूर
सरसों के तेल में यह क्षमता होती है, कि वह बैक्टीरिया के एक खास प्रकार का विकास होने से रोक सकता है। इतना ही नहीं यह तेल किसी भी प्रकार के संक्रमण को रोकने की भी क्षमता रखता है। इसलिए सरसों के तेल का सेवन अवश्य करना चाहिए। सरसों का तेल बैक्टीरिया के प्रभावों को निष्क्रिय करने के तौर पर भी जाना जाता है। साथ ही यह शरीर में उसकी वृद्धि को रोकने में भी मदद करता है।
2 दिल की सेहत के लिए है फायदेमंद
दिल की बीमारियों के पीछे एक मुख्य कारण हमारी खराब जीवनशैली भी है, जो हमारे हृदय को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाती है। जबकि सरसों का तेल दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। वनस्पति तेल मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड से भरा होता है. उसके चलते ये तेल ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल कम करने और दिल की सेहत में मददगार होता है।
3 एलिल आइसोथियोसाइनेट से भरपूर होता है सरसों का तेल
शरीर के हिस्सों में होने वाले दर्द पर सरसों का तेल एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसमें पिगमेंट यानी एलिल आइसोथियोसाइनेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा सरसों के तेल में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड, ओमेगा-3 फैटी एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है। जिसकी पहचान गंभीर दर्द को कम करने वाले जरूरी तत्व के रूप में है।
4 कैंसर की कोशिकाओं की रोक सकता है रफ्तार
सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले तत्व काफी अधिक होते हैं। इसमें मौजूद लिनोलिनिक एसिड ओमेगा-3 फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाता है। ये कैंसर को रोकने में मदद करता है। हम सब जानते हैं कि कैंसर की कोशिकाएं किसी भी सामान्य कोशिकाओं के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ती है। कई वैज्ञानिक अनुसंधान और शोध में यह पाया गया है कि सरसों का तेल शरीर में कैंसर की कोशिकाओं के विकास को धीमा कर सकता है और गंभीर स्थिति को होने से रोक सकता है।
5 इसका स्मोक लेवल है भारतीय कुकिंग के अनुरूप
सरसों के तेल का स्मोक लेवल भारतीय कुकिंग के पूर्ण रूप से अनुरूप है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के डाटा के अनुसार यह दिल के लिए फायदेमंद है। सरसों के तेल का स्मोक पॉइंट 249 डिग्री सेल्सियस होता है जिसको एक अच्छे कुकिंग ऑयल का गुण माना गया है। यह स्मोक पॉइंट मात्र सरसों के तेल में ही नहीं होता बल्कि हर आयल में पाया जाता है। स्मोक पॉइंट ही यह तय करता है कि आपको तेल को पकाना कब बंद कर देना है। यदि इस तापमान से ज्यादा तेल को पकाया जाएगा, तो वह अपने पौष्टिक तत्वों को खोकर हानिकारक रसायन उत्पन्न करने लगता है।
इसलिए बाज़ार के दावों के चक्कर में आने के बजाए, रसोई के लिए वो सलाह मानें, जो आपकी मम्मी आपको और उनकी मम्मी उन्हें दिया करती थी।
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