Toxic shock syndrome : जानिए क्या है ये और कैसे पहुंचाता है आपके शरीर को नुकसान
अगर आप टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के चिकित्सीय अर्थ से पूरी तरह अनजान हैं, तो हो सकता है कि आप सोचें कि यह टॉक्सिक होने के कारण हमारी सेहत को खराब करता है।
अपने मन में किसी भी तरह की अवधारणा बनाने से पहले, पर इससे पहले कि आप अपने मन में कोई धारणा बनाएं हम आपके हर किन्तु-परन्तु का जवाब यहां दे रहे हैं।
आइये पहले इसे जानें
मेटरनिटी हॉस्पिटल, खराड़ी में स्त्री रोग विशेषज्ञ और सलाहकार डॉ. राजेश्वरी पवार कहती है, “टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (टीएसएस) एक जीवन-मरण वाली स्थिति है, जो टोक्सिन पदार्थों के निकलने के कारण बनती है (रक्त में स्टैफिलोकोकस ऑरियस या स्टेफ नामक बैक्टीरिया कि बहुत ज्यादा वृद्धि हो जाने के कारण),”
पर यह होती क्यों है ?
डॉक्टर पवार कहती हैं, “मुख्य कारण स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न जहर है, जो इस बीमारी को इतना घातक बनाता है।”
“मूल रूप से, ये जीवाणु किसी भी नुकसान के बिना त्वचा पर या श्लेष्म झिल्ली पर रहते हैं। लेकिन, जब यह बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं और टॉक्सिक पदार्थों का उत्पादन करते हैं,तब स्थिति खतरनाक हो जाती है। “यह बैक्टीरिया टैम्पोन के उपयोग के कारण महिलाओं की योनि में फंस सकता है- खासकर तब जब आप टाइमली टैैम्पोन चैंज नहीं करती हैं।
वह चेतावनी देती है। “सर्जरी के कारण त्वचा के कटने या जलने है या वायरल बैक्टीरिया के कारण भी टीएसएस (TSS) हो सकता है।”
TSS के लक्षण क्या हैं ?
डॉक्टर पवार के अनुसार, TSS से पीड़ित महिला के लक्षण इस प्रकार होते हैं –
उल्टी
दस्त
रक्त का कम दबाव
आंखों में जलन
तेज बुखार और ठंड लगना
बेहोशी
मांसपेशियों में दर्द
सिर में दर्द
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से इस बारे में परामर्श लें। वे ज़ोर डालकर कहती हैं कि इस समय केवल डॉक्टर ही है जो आपको सही उपचार और उत्तम दिशा निर्देश दे सकता है।
यह इतना खतरनाक क्यों है ?
सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDU) के अनुसार, टीएसएस खतरे की घंटी है, जिसके कारण बहुत सी स्वास्थय सम्बन्धी समस्याएं होने का खतरा बना रहता है। जैसे:-
- हाइपोटेंशन जिसमें वयस्कों के लिए 90 mm एचजी के बराबर या उससे कम । 16 साल से कम
- उम्र के बच्चों के लिए 5 प्रतिशत से कम के बराबर सिस्टोलिक रक्तचाप हो सकता है। मूल अंग की विफलता, गुर्दे की कमजोरी (यदि क्रिएटिनिन यौगिक सामग्री वयस्कों के लिए 2 मिलीग्राम / डीएल से अधिक है) और कोगुलोपैथी (यदि प्लेटलेट्स 100,000 / मिमी से कम या बराबर हैं) की तुलना में अधिक है।
- श्वसन संकट : सांस की तकलीफ की तीव्र शुरुआत जिसके कारण एक मरीज आमतौर पर वेंटिलेटर की मदद के बिना सांस नहीं ले सकता है।
- त्वचा की सतह पर फटे चकत्ते जो गुच्छे के रूप में निकल सकते हैं।
- शरीर के विभिन्न हिस्सों को खींचने वाली श्लेष्मा झिल्ली का नीचे की ओर बढ़ना।
टीएसएस के उपचार की प्रक्रिया क्या है?
डॉक्टर पवार कहती हैं संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए टीएसएस के लिए उपचार की प्रक्रिया में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
“डॉक्टर मरीज़ का बारीकी से निरीक्षण करता है और टीएसएस के कारण के आधार पर उपचार तय किया जाता है। यदि एक महिला टेेम्पोन के कारण इससे पीड़ित है, तो इस वस्तु को डॉक्टर द्वारा हटा दिया जाता है। यदि टीएसएस का कारण एक खुला घाव है, तो डॉक्टर इसे साफ करते हैं और घाव से मवाद को निकाल देतें हैं”।
रक्तचाप के लिए दवाएं दी जाती हैं और IV फ्लुइड्स का सुझाव डिहाइड्रेशन को कंट्रोल करने के लिए दिया जाता है।
टीएसएस को रोकने के लिए आप क्या सावधानियां बरत सकते हैं?
अब जब आप जानते हैं कि TSS कितना घातक हो सकता है, तो आपको डॉक्टर पवार द्वारा बताई गई इन सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए:
हर 4 घंटे के बाद अपना टैम्पोन बदलें या मासिक धर्म के दौरान हल्का प्रवाह होने पर बस एक सैनिटरी नैपकिन का विकल्प चुनें।
अगर आप मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कर रही हैं तो इसे बदलते समय अपने हाथों और कप को अच्छी तरह से धो लें।
संक्रमण को दूर रखने के लिए जहां कट अथवा सर्जिकल एरिया को बहुत साफ रखने की कोशिश करें।
हां, यह एक खतरनाक स्थिति है, यही कारण है कि आप यह सुनिश्चित करें कि आप इसके लिए पर्याप्त सावधानियां बरतें।