अगली पीढ़ी पर भी नजर आ सकता है माता-पिता के तंबाकू सेवन का दुष्प्रभाव, एक्सपर्ट बता रही हैं इसका कारण
तंबाकू का प्रयोग पूरी दुनिया के लिए एक मसला बना हुआ है और यह धूम्रपान करने वाले तथा परोक्ष रूप से धुएं का सेवन करने (पैसिव स्मोकर्स) वाले लोगों के लिए दुष्परिणामों को पैदा करता है उन्ही में से एक है फर्टिलिटी की समस्या। तंबाकू प्रयोग की वजह से फर्टिलिटी समेत समग्र रिप्रोडक्टिव हैल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है (tobacco effect on fertility)। यह पुरुष और महिला दोनों के लिए एक सामान्य रूप से हानिकारक हो सकता है।
तो आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) पर यह जानेंगे कि तंबाकू किस प्रकार महिलाओं और पुरुषों दोनों की फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) पर असर डालता है (tobacco effect on fertility) और साथ ही, इन दुष्परिणामों से जुड़े खास जोखिम तथा संभावित तौर-तरीके पर भी चर्चा करेंगे।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट की ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, डॉ स्वाति मित्तल ने इस विषय से जुडी कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, तो चलिए जानते हैं आखिर तंबाकू किस तरह फर्टिलिटी को प्रभावित करता है।
पहले जानें महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर तंबाकू का प्रभाव
तंबाकू की वजह से महिलाओं की फर्टिलिटी पर काफी खराब असर पड़ता है। धूम्रपान के कारण मासिक धर्म में अनियमितता, लंबे या सामान्य से कम समय का मासिक चक्र, और डिंबस्राव न होना (एनोवोल्यूशन) जैसी समस्याएं जुड़ी हैं। इनकी वजह से महिलाओं के लिए गर्भधारण करना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
आईवीएफ में आती है चुनौती
धूम्रपान की वजह से एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टैक्नोलॉजी जैसे कि इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) की सफलता दर भी प्रभावित होती है। अध्ययनों से पता चला कि धूम्रपान करने वाले लोगों को नॉन-स्मोकर्स की तुलना में, आईवीएफ के दौरान फर्टिलिटी दवाओं की ज्यादा खुराक की जरूरत होती है, उनकी गर्भधारण की दर भी कम होती है और उनमें गर्भपात का जोखिम भी अधिक होता है।
तंबाकू के धुएं में मौजूद विषाक्त रसायनों जैसे कि निकोटिन और कार्बन मोनोऑक्साइड की वजह से रिप्रोडक्टिव टिश्यूज़ को नुकसान पहुंच सकता है, डिंबों की क्वालिटी पर असर पड़ता है और साथ ही, इंप्लांटेशन की प्रक्रिया पर भी नकारात्म्क असर हो सकता है।
कंसीव करने के बाद भी बना रहता है खतरा
इसके अलावा, गर्भधारण के दौरान धूम्रपान के कारण मां और उसके गर्भ में पनप रहे भ्रूण के लिए खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था में स्मोकिंग की वजह से गर्भपात की आशंका भी बढ़ जाती है, सामान्य अवधि से पहले प्रसव (प्रीटर्म बर्थ), सामान्य से कम वज़न के शिशु का जन्म (लो बर्थ वेट) और अन्य कई जन्मजात विकारों का खतरा बना रहता है। इन जटिलताओं का प्रभाव शिशु की सेहत और उसके विकास पर काफी लंबे समय तक दिखायी देता है।
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कस्टमाइज़ करेंअब जानें पुरुषों की प्रजनन क्षमता को किस तरह प्रभावित करता है तंबाकू
पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी तंबाकू के सेवन से बहुत गंभीरता से प्रभावित होती है। धूम्रपान से स्पर्म काउंट कम हो जाता है, स्पर्म की शक्ति भी गिरती है और स्पर्म असामान्य हो जाता हैं। इन कारणों से फर्टिलाइजेशन और महिला में गर्भ ठहरने में कठिनाई आ सकती है। तंबाकू के जहरीले अवयव जैसे कैडमियम और लैड अंडकोश में जमा होकर स्पर्म उत्पादन में बाधक बनते हैं।
हो सकती है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या
स्पर्म क्वालिटी प्रभावित होने के अलावा धूम्रपान से पुरुषों में नपुंसकता यानी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन भी हो सकता है। तंबाकू के धुएं में मौजूद रसायन रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे शिश्न में रक्त प्रवाह बाधित होता है और इरेक्शन कायम नहीं रह पाता।
धूम्रपान के संपर्क में आने से भी पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। अध्ययनों से संकेत मिला है कि जो लोग धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हुए परोक्ष रुप से धूम्रपान का शिकार होते हैं उनकी स्पर्म क्वालिटी घट जाती है और उनके स्पर्म का डीएनए क्षति स्तर पर भी अधिक होता है। इससे प्रजनन पर प्रभावित हो सकती है।
अगली पीढ़ी पर पड़ता है प्रभाव
वयस्क पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होने का सीधा असर अगली पीढ़ी पर पड़ सकता है। जो महिलाएं गभार्वस्था के समय धूम्रपान करती हैं वे अपने अजन्मे शिशु को सीधे हानिकारक तत्वों के संपर्क में लाती हैं और इससे बच्चे के विकास पर असर पड़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य की अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं। इसी तरह पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होने से उनके बच्चों की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है।
तंबाकू के सेवन से प्रजनन क्षमता को प्रभावित होने से बचाने के मुददों पर ध्यान देकर हम अपनी भविष्य की पीढ़ी को इसके असर से बचा सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है तंबाकू
तंबाकू की लत से शारीरिक स्वाथ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोध से पता चला है कि तंबाकू की लत वाले वयस्क बेचैनी, अवसाद और मूड खराब होने जैसी मानसिक समस्यायों से परेशान रहते हैं।
तंबाकू में मौजूद निकोटिन ब्रेन कैमिस्ट्री में बदलाव ला सकता है और इससे मानसिक बीमारी के लक्षण पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा तंबाकू की लत से अपराध बोध, शर्म और दूसरों से अलगाव की भावना के कारण व्यक्ति पर नकारात्मक रूप से सामाजिक और शारीरिक प्रभाव पड़ता है।
माता-पिता बनना है तो तंबाकू सेवन से पूरी तरह परहेज करें
निष्कर्ष यह है कि तंबाकू का प्रजनन पर बुरा असर पड़ता है जिससे पुरुष और महिला दोनों ही प्रभावित होते हैं। महिला रोग विशेषज्ञ होने के नाते मैं मजबूती से सलाह देना चाहती हूं कि जो लोग माता/पिता बनने की दिशा में अग्रसर हैं या नई टैक्नोलॉजी की मदद स शिशु जन्म के इच्छुक हैं उन्हें धूम्रपान त्याग देना चाहिये और धूम्रपान करने वालों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। ऐसा करके वे सेहतमंद गर्भावस्था प्राप्त होगी ओर अपने बच्चे की सेहत भी सुनिश्चित होती है।