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रिफाइंड ऑयल का लगातार प्रयोग बढ़ा सकता है कैंसर और डायबिटीज का जोखिम, एक्सपर्ट दे रहे हैं चेतावनी 

अपनी और अपने परिवार की हेल्थ के लिए आप हमेशा खास चीजें ही चुनते हैं। पर कई बार जिसे हम हेल्दी विकल्प समझ कर चुनते हैं, वही सेहत के लिए बीमारियों का कारण बन जाता है।
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रिफाइंड ऑयल बनाते समय साधारण तेल को कई तरह की प्रक्रियाओं से गुज़रना होता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
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अपनी और अपने परिवार की हेल्थ के लिए आप हमेशा खास चीजें ही चुनते हैं। पर कई बार जिसे हम हेल्दी विकल्प समझ कर चुनते हैं, वही सेहत के लिए बीमारियों का कारण बन जाता है। ऐसा ही एक विकल्प है रिफाइंड ऑयल। फिटनेस फ्रीक और वजन बढ़ने का सामना कर रहे बहुत सारे लोग घी की बजाए रिफाइंड ऑयल खरीदते हैं। उन्हें लगता है कि इससे वे वेट गेन और हार्ट डिजीज से बच जाएंगे। पर एक्सपर्ट रिफाइंड ऑयल को न केवल अनहेल्दी ऑप्शन बताते हैं, बल्कि इसे वे धीमा जहर तक के कहते हैं। इसका लंबे समय तक इस्तेमा (side effects of refined oil)  कैंसर (Cancer causes) और डायबिटीज (Diabetes) जैसी खतरनाक बीमारियों का भी कारण बन सकता है।

तेल मसालों से पूरा होता है भारतीय भोजन 

अगर आप भी साधारण तेल की जगह रिफाइंड ऑयल का प्रयोग (side effects of refined oil) करतीं हैं, तो ये आपके परिवार और आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। ये बात तो जग जाहिर है कि भारतीय खाना मसाले और तेल के बिना अधूरा है, लेकिन सही मसाले और खासकर सही तेल का चुनाव करना हमारे लिए काफी जरूरी है।

घी और रिफाइंड तेल में क्या ज्यादा बेहतर है? चित्र- शटरस्टॉक।

क्यों हानिकारक होता है ‘रिफाइंड ऑयल’

रिफाइंड ऑयल (Refined Oil) को लेकर हर तरफ कई तरह की बातें भी सुनने को मिलती है, लेकिन इस बात का जवाब एक एक्सपर्ट से अच्छा आखिर कौन दे सकता है। रिफाइंड ऑयल के प्रयोग और उसके साइड इफेक्ट्स पर बात करते हुए द गैस्ट्रो लिवर हॉस्पिटल कानपुर में गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. विनोद कुमार मिश्रा बताते हैं कि जब भी हम रिफाइंड ऑयल में ‘रिफाइंड’ शब्द सुनते हैं, तो हमे लगता है कि ये बेहद स्वस्थ चीज़ है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है।

डॉ. मिश्रा बताते हैं कि रिफाइंड ऑयल बनाते समय ही उसमें इतने केमिकल डाल दिए जाते हैं जो उसे पूरी तरह से हानिकारक बना देते हैं।

प्रोसेस में नष्ट हो जाती है तेल की गुणवत्ता

रिफाइंड ऑयल बनाते समय साधारण तेल को कई तरह की प्रक्रियाओं से गुज़रना होता है, जिसके कारण तेल में पहले से मौजूद गुणवत्ता पूरी तरह से नष्ट हो जाती है और साथ ही कई तरह के केमिकल उसे ‘रिफाइंड ऑयल’ से बदलकर ‘बैड ऑयल’ बना देते हैं।

इसे बनाने के लिए उसे काफी अधिक तापमान में ट्रीट किया जाता है और इसी कारणवश उसमें कई ज़हरीले तत्व भी पैदा हो जातें हैं। इसीलिए इसका सेवन खराब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और इंसुलिन लेवल को बढ़ाता है। जिसके कारण  शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है।

शरीर में हो जाती है प्रोटीन की कमी

रिफाइंड ऑयल के कारण स्वास्थ्य में होने वाली समस्याओं में सबसे अहम समस्या शरीर में प्रोटीन की कमी की हो सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक़ तेल का शुद्ध रूप चिपचिपा और गंध वाला होता है।

जबकि रिफाइंड ऑयल को तैयार करने की प्रक्रिया में गंध को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। गंध के निकलने के साथ-साथ इसमें मौजूद प्रोटीन भी निकल जाता है, क्योंकि ये गंध ही प्रोटीन कंटेंट होती है। जिसे निकालने की वजह से रिफाइंड ऑयल में प्रोटीन की मात्रा खत्म हो जाती है। ऐसे में नियमित तौर पर इसके सेवन से शरीर में प्रोटीन की कमी हो सकती है।

खाने पकाने के लिए सही कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करना, आपकी त्वचा के लिए चमत्कार कर सकता है। चित्र-शटरस्टॉक.

और अधिक हानिकारक हो जाएगा आपका खाना

अगर आप नियमित तौर पर रिफाइंड ऑयल का सेवन कर रहीं हैं तो स्वाभविक रूप से आने वाले समय में ये आपकी सेहत को कई खतरनाक बीमारियां दे सकता है। इसके अलावा अगर आप एक ही रिफाइंड ऑयल में बार-बार कोई चीज़ तल के खातें हैं तो यह और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है।

फ़ूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स (FAOSTAT) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अगर आप एक ही रिफाइंड ऑयल में बार-बार कुछ तल कर खाते हैं, तो यह न सिर्फ आपके स्वास्थ्य को बल्कि उस खाने में मौजूद तमाम तरह की गुणवत्ता को भी नष्ट देता है। फिर चाहे वह कोई डेयरी प्रोडक्ट हो, फल या सब्जी आपका हर तरह का खाना जहरीला हो जाता है।

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रिफाइंड ऑयल से हेल्दी हैं पारंपरिक तेलों के विकल्प (Healthy option for cooking oil)

रिफाइंड ऑयल के तमाम दुष्प्रभावों को देखने और सुनने के बाद अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि आखिर इसके अलावा क्या विकल्प है।

तो वहीं, रिफाइंड ऑयल का विकल्प बताते हुए पुणे स्थित पीच ट्री क्लिनिक की संस्थापक डॉ. स्मिता पाटिल कहती हैं कि रिफाइंड ऑयल को बनाने के दौरान उसे ऑक्सीडाइज़ कर दिया जाता है, जिसके कारण उसमे कैंसर, डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल, मोटापा सहित कई अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

साथ ही विकल्पों के बारें में बात करते हुए डॉ. पाटिल ने बताया कि रिफाइंड की जगह हम पारंपरिक खाद्य तेल जैसे सरसों का तेल, घी, नारियल का तेल, कनोला ऑयल, पीनट ऑयल, सनफ्लॉवर ऑयल आदि प्रयोग करें तो ये हमारे शरीर और हेल्थ के लिए बेहद ही अच्छा स्टेप होगा।

कार्तिकेय हस्तिनापुरी

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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