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प्लास्टिक वेस्ट बढ़ा सकता है कार्डियोवस्कुलर डिजीज का जोखिम, चौंकाने वाला है नया अध्ययन

प्लास्टिक का उपयोग केवल पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि आपकी सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। शोध बता रहें हैं कि कैसे प्लास्टिक वेस्ट कार्डियोवस्कुलर डिजीज का कारण बन सकता है।
प्लास्टिक वेस्ट बढ़ा सकता है कार्डियोवस्कुलर डिजीज। चित्र:शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Published: 2 Dec 2021, 15:30 pm IST
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आज के दौर में हम सभी प्लास्टिक से घिरे हुए हैं। फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, फूड पैकेजिंग और यहां तक की कपड़ों में भी प्लास्टिक के कुछ अंश पाए जाते हैं। पिछले दो दशकों में, कागज, कांच और कपास जैसे निर्माण में उपयोग की जाने वाली प्राकृतिक सामग्री को प्लास्टिक के साथ बदल दिया गया है। यहां तक की बच्चों के टिफिन, वाटर बॉटल और घरों में इस्तेमाल होने वाली क्रॉकरी भी एक प्रकार के प्लास्टिक से बनी होती है। 

आप जानते हैं कि प्लास्टिक के इस सर्वयापी उपयोग से हमारे पर्यावरण में प्लास्टिक वेस्ट प्रदूषण का स्तर बढ़ा है और बहुत नुकसान भी हुआ है। हालांकि, प्लास्टिक अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं रहा है। यह मानव स्वास्थ्य के मुद्दों का कारण भी बनता जा रहा है। प्लास्टिक वेस्ट से संबंधित इस मुद्दे पर कई अध्ययन चल रहें हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह मानव शरीर के लिए भी खतरनाक साबित हुआ है। 

कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का कारण बन सकता है प्लास्टिक वेस्ट

इस क्षेत्र में हुए नवीनतम खोज से एक नई बात पता चली है। चूहों पर हुए इस शोध में सामने आया है कि आम प्लास्टिक में मौजूद एक घटक कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों का खतरा बढ़ाते हैं। संभावित रूप से कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह भी संकेत कर रहें हैं कि मनुष्यों में भी समान प्रभाव दिख रहा है। 

प्लास्टिक वेस्ट हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाता है। चित्र:शटरस्टॉक

समुद्र में फेके जाने वाले अधिकांश प्लास्टिक कचरे को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है, जिन्हें माइक्रोस्प्लास्टिक्स (microplastic) के रूप में जाना जाता है। समुद्री जीव इनका सेवन करते हैं। ये मसल्स नामक जीव की चिपकने वाली क्षमताओं को कमजोर करने, हर्मिट केकड़ों में संज्ञानात्मक हानि को प्रेरित करने, मछली में एन्यूरिज्म और प्रजनन परिवर्तन का कारण बनते हैं। इनके माध्यम से ये आपके फूड चेन का हिस्सा बनता है। 

जब आप इन समुद्री जीवों का सेवन करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है। अध्ययनों से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक्स मानव फेफड़ों की कोशिकाओं के आकार और डी-क्लस्टर को बदल सकते हैं। यह भी कहां गया है कि वे ब्रेन में ब्लड वेसल के सर्कुलेशन में बाधा डालते हैं।  

प्लास्टिसाइज़र (plasticizer) नामक रसायन, जैसे बीपीए (BPA), जो प्लास्टिक को टिकाऊ और लचीला बनाने के लिए जोड़े जाते हैं, भी मस्तिष्क कोशिकाओं को खतरनाक नुकसान पहुंचाते हैं। यह नवीनतम अध्ययन एक अन्य सामान्य प्रकार के प्लास्टिसाइज़र पर केंद्रित है, जिसे फ़ेथलेट्स (phthalates) कहा जाता है। 

व्यापक अध्ययनों ने फ़ेथलेट्स को एंडोक्राइन अवरोधकों के रूप में दिखाया है। अक्टूबर में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन ने इसे अमेरिका में हुए 1,00,000 हृदय रोग से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। 

बोतलबंद पानी आपकी सेहत के लिए हानिकारक है। चित्र- शटरस्टॉक

सारांश 

प्लास्टिक वेस्ट हर जगह है।  वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में, माउंट एवरेस्ट के शिखर के पास, आर्कटिक में बर्फबारी में और दुनिया भर में एकत्र किए गए मानव मल के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक (microplastic) की खोज की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी 93% बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के कणों की खोज के बाद स्वास्थ्य समीक्षा शुरू की है। मानव स्वास्थ्य के लिए इसके जोखिमों के बारे में अपनी समझ को और बढ़ाने और इनके इस्तेमाल को रोकने की जरूरत है। 

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