बढ़ता वायु प्रदूषण बढ़ा सकता है डिमेंशिया का जोखिम, शोध दे रहे हैं चेतावनी
वर्तमान में वायु प्रदूषण और डिमेंशिया दोनों वैश्विक मुद्दे हैं। ये दोनों कीवर्ड (key words) गूगल (google search) में सबसे अधिक सर्च किये जाने वाले शब्दों में से एक हैं। कई शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण (air pollution) मनोभ्रंश (dementia) के लिए एक जोखिम कारक है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विशेष रूप से विकास कार्यों के कारण एयर पोलूशन होता है। यह बुजुर्गों में संज्ञानात्मक हानि (cognitive decline) का कारण बन सकता है। इसलिए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण आवश्यक है। यह डिमेंशिया का कारण बन (air pollution and dementia) सकता है।
बुजुर्गों में कॉग्निटिव डिक्लाइन (Cognitive decline)
न्यूरोलॉजी इंडिया जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, जब पोलूशन रेट 2.5 से अधिक हो जाता है और ओ 3 (O3) के संपर्क में आता है, तो यह डिमेंशिया का संभावित जोखिम कारक बन सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने इस पर और अधिक शोध की जरूरत पर बल दिया है।जर्नल ऑफ़ अल्जाइमर डिजीज के शोध निष्कर्ष भी बताते हैं कि वायु प्रदूषकों के उच्च स्तर के संपर्क में आने से बुजुर्गों में कॉग्निटिव डिक्लाइन हो सकता है।
अल्जाइमर पर शोध
दक्षिण कोरिया में प्रदूषकों पर किये गये शोध से भी यह बात सामने आई।अल्जाइमर सोसाइटी ऑफ़ यूके के अनुसार, संज्ञानात्मक हानि और मनोभ्रंश पर वायु प्रदूषण के प्रभाव पर कई अध्ययन किये गये। इन अध्ययनों से इस बात के सबूत मिलते हैं कि वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कण मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं। वे डिमेंशिया के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर है हानिकारक (particulate matter)
वायु प्रदूषण कई अलग-अलग घटकों से बना होता है। इनमें गैस, केमिकल कंपाउंड, मेटल और छोटे कण होते हैं, जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर कहा जाता है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में रहना खतरनाक हो सकता है। यह फेफड़ों और हृदय को प्रभावित करती है।
अधिकांश शोधों के अनुसार वायु प्रदूषण के एक घटक महीन कण या पीएम (particulate matter) 2.5 के रूप में जाना जाता है। ये छोटे कण मानव बाल की चौड़ाई से 40 गुना छोटे होते हैं। इसमें मैग्नेटाइट नामक लोहे का एक रूप पाया जाता है। चुंबकीय गुणों के कारण यह शरीर के लिए हानिकारक होता हैहै।
कैसे प्रभावित होता है मस्तिष्क (air pollution affect on brain)
ईंधन जलाने से मैग्नेटाइट के कण हवा में छोड़े जाते हैं। ये स्वाभाविक रूप से मस्तिष्क में भी उत्पन्न होते हैं। वर्ष 2016 में मेक्सिको सिटी और मैनचेस्टर में लोगों के मस्तिष्क के ऊतकों पर किए गए अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई कि वायु प्रदूषण से मैग्नेटाइट मस्तिष्क में जा सकता है।
ये सूक्ष्म कण ब्लड फ्लो के माध्यम से या सीधे नाक की पतली परत के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं। अल्जाइमर सोसाइटी के अनुसार, ये कण अल्जाइमर के मरीज के मस्तिष्क में भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मैग्नेटाइट अल्जाइमर रोग के विकास में शामिल हो सकता है। हालांकि अध्ययन यह सबूत नहीं दे पाया है कि मैग्नेटाइट मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु का कारण बन सकता है।
वायु प्रदूषण का डिमेंशिया पर प्रभाव (air pollution and dementia)
प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले चूहों और कुत्तों के अध्ययन से पता चलता है कि वायु प्रदूषण संज्ञानात्मक हानि से जुड़ा हो सकता है। प्रयोगशाला में देखा गया कि चूहे जब प्रदूषण के संपर्क में आये, तो उनके सीखने की क्षमता, स्मृति (memory loss) और मोटर कौशल (motor skill) जैसे गुण नकारात्मक रूप से प्रभावित हो गए। इंसानों पर किये गये कुछ अध्ययन दिखाते हैं कि जो लोग उच्च स्तर के प्रदूषकों के संपर्क में हैं, वे समय के साथ संज्ञानात्मक परीक्षणों पर खराब प्रदर्शन करते हैं। यह डिमेंशिया का भी कारण बन सकता है।
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