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World organ donation day 2023 : अंगदान के बाद आपके शरीर की बेकद्री नहीं होती, एक्सपर्ट बता रहे हैं ऑर्गन डोनेशन से जुड़े मिथ्स की सच्चाई

अंग दान को लेकर लोगों के मन में कई सारी अवधारणाएं बनी हुई हैं, जिनपर उन्हें स्पष्टता प्राप्त करने की आवश्यकता है। वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे के मौके पर जानें अंग दान से जुड़ी कुछ आम अवधारणाओं की सच्चाई।
यहां जानें ऑर्गन डोनेशन से जुड़े मिथ और उसकी सच्चाई। चित्र : एडॉबीस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 13 Aug 2023, 08:00 am IST
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आपके ऑर्गन डोनेट करने का निर्णय किसी व्यक्ति की जान बचा सकता है उन्हें एक नई जिंदगी दे सकता है। आमतौर पर जानकारी की कमी और धार्मिक आस्था से जुड़ी अवधारणाओं के कारण लोग अंगदान करने के लिए आगे नहीं आते। हालांकि, सभी को इसके प्रति जागरूक हो अपनी सोच को बदलने की आवश्यकता है। वहीं यदि आप अंग दान का समर्थन करती हैं तो आपको अपने दोस्त, परिवार और आसपास के लोगों को इसके लिए जागरूक करना चाहिए। एक व्यक्ति मृत्यु के बाद हृदय, लीवर, पैंक्रियाज, लंग्स, कॉर्निया जैसे अंगों का दान कर अगले 7 व्यक्ति की जान बचा सकता है।

हेल्थ शॉट्स ने वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे के मौके पर डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पिंपरी पुणे के सीनियर कंसल्टेंट, एचपीवी और लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ मनोज डोंगर से बात की। डॉ मनोज ने अंग दान संबंधी कुछ मिथ की सच्चाई (facts and myths about organ donation) साझा कीं है।

मिथ 1 : अगर मैं बीमार हूं और अपने अंग दान करने के लिए सहमत हो जाऊं, तो हॉस्पिटल में मेरी जान बचाने के लिए उतनी मेहनत नहीं की जाएगी।

तथ्य : जब आप इलाज के लिए अस्पताल जाते हैं, तो स्वास्थ्य देखभाल टीम आपकी जान बचाने की पूरी कोशिश करती है। आपको सर्वोत्तम देखभाल मिलेगी जो आप प्राप्त कर सकते हैं। यह एक बहुत बड़ी अवधारणा है की डॉक्टर ऑर्गन डोनर्स की जान की परवाह नहीं करते। किसी की जान बचाने के लिए किसी और की जान लेना ऑर्गन डोनेट करना नहीं है।

बेहद महत्वपूर्ण है अंग दान करना। चित्र : एडॉबीस्टॉक

मिथ 2 : इलाज के दौरान मृत्यु से पहले ही डॉक्टर ऑर्गन डोनेशन फॉर्म पर साइन कर देते हैं।

तथ्य: वास्तव में, जो लोग अंग दान के लिए सहमत हो गए हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक परीक्षण दिए जाते हैं कि उनकी मृत्यु हो चुकी है, उन लोगों की तुलना में जो अंग दान नहीं कर रहे हैं। ये परीक्षण उनके परिवारों से बिना किसी शुल्क के किए जाते हैं। वहीं पूरी तरह जांच करने के बाद ही किसी व्यक्ति को मृत्य घोषित कर उनके ऑर्गन निकाले जाते हैं।

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मिथ 3 : अंगदान पूरी तरह से मेरी आस्था के विरुद्ध है।

तथ्य: अधिकांश धर्म अंगदान स्वीकार करते हैं। इनमें कैथोलिक धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, यहूदी धर्म की अधिकांश शाखाएं और अधिकांश प्रोटेस्टेंट धर्म शामिल हैं। कुछ धर्म अंग दान को चैरिटी का कार्य मानते हैं। यदि आप नहीं जानते कि अंग दान पर आपका विश्वास कहां है, तो अपने पादरी वर्ग के किसी सदस्य से पूछें।

मिथ 4 : जो लोग अंग या ऊतक दान करते हैं उनका अंतिम संस्कार खुले ताबूत में नहीं किया जा सकता।

तथ्य: दाताओं के शरीर की पूर्ण देखभाल की जाती है साथ ही उनके शरीर को सम्मान दिया जाता है। उन्हें अस्पताल से अंतिम संस्कार के लिए पूरी तरह तैयार कर परिजनों को वपास सौंपा जाता है। कोई नहीं बता सकता कि उन्होंने अंग या ऊतक दान किये हैं।

मिथ 5 : मैं अंगदान के लिए बूढ़ा हो गया हूं अब मेरे अंग किसी को नहीं दिए जा सकते।

तथ्य: अंग दान करने की कोई मानक सीमा नहीं है। आपके अंगों का उपयोग करना है या नहीं यह निर्णय पूरी तरह आपके ऑर्गन के स्वास्थ्य पर आधारित होता है, न कि उम्र पर। आपकी मृत्यु के समय स्वास्थ्य देखभाल टीम को यह निर्णय लेने दें कि आपके अंगों और ऊतकों को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है या नहीं। कई ऐसे युवा हैं जिनके ऑर्गन नहीं लिए जाते क्योंकि उनके ऑर्गन सही से फंक्शन नहीं कर रहे होते।

जानें ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया के बारे में सब कुछ, चित्र: शटरस्टॉक

मिथ 6 : मैं अस्वस्थ रहती हूं इसलिए मैं अंग दान नहीं कर सकती।

तथ्य: बहुत कम चिकित्सीय स्थितियां हैं जो आपको अंग दान करने से रोकती हैं। हो सकता है कि आप कुछ अंगों को दान न कर पाएं, लेकिन कुछ बीमारी के बाद भी आपके अन्य स्वस्थ अंग और टिशू डोनेट हो सकते हैं। मृत्यु के समय स्वास्थ्य देखभाल की टीम यह निर्णय लेती है कि आपके अंगों और ऊतकों को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है या नहीं।

मिथ 7 : 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अंग दान नहीं कर सकते।

तथ्य: कई राज्य 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को अंग दाताओं के रूप में पंजीकृत होने देते हैं। यदि किसी की मृत्यु 18वें जन्मदिन से पहले हो जाती है, तो आपके माता-पिता या कानूनी अभिभावक निर्णय लेंगे। यदि आप अंग दाता बनना चाहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपका परिवार आपकी इच्छाओं से सहमत है। याद रखें, बच्चों को भी ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता होती है। उन्हें अक्सर वयस्क आकार से छोटे अंगों की आवश्यकता होती है।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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