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भारत में तेज़ी से बढ़ रहे हैं सर्वाइकल कैंसर के मामले, जानिए कितनी प्रभावी है एचपीवी वैक्सीन

भारत में तेज़ी से बढ़ते हुये सर्वाइकल कैंसर के मामलों को देखते हुए हर महिला को अपनी सेहत के प्रति जागरूक हो जाना चाहिए। जानिए वैक्सीन इसके लिए कितनी कारगर है!
जानिए कितनी प्रभावी है एचपीवी वैक्सीन. चित्र : शटरस्टॉक
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सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। उससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि भारत में प्रति वर्ष सर्वाइकल कैंसर के 1,22,844 मामले दर्ज होते हैं। इनमें से 64,478 महिलाओं की मौत हो जाती है। आरोग्यश्री सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश सर्वाइकल कैंसर के मामलों में दूसरे स्थान पर है, जहां देश के कुल 14% मामले सामने आते हैं। इसकी रोकथाम के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने एचपीवी वैक्सीन लगाने का फैसला किया है। यहां यह जानना जरूरी है कि यह वैक्सीन सर्वाइकल को रोकने में कितनी कारगर है।

क्या है सर्वाइकल कैंसर?

सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है – गर्भाशय का निचला हिस्सा। इसमें ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) जो कि एक यौन संचारित संक्रमण है, सर्वाइकल कैंसर पैदा करने में सबसे अधिक भूमिका निभाता है।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के शहरी और पेरी-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में 14.7 प्रतिशत का एचपीवी प्रसार पाया गया। इनमें से 1.8 फीसदी हाई रिस्क केस थे।

लगातार बढ़ रहे हैं सर्वाइकल कैंसर के मामले

समय के साथ रुझानों का विश्लेषण करते समय, शोधकर्ताओं ने पाया कि लेट-स्टेज सर्वाइकल कैंसर कुल मिलाकर लगभग 1.3% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है। सर्वाइकल एडेनोकार्सिनोमा नामक एक प्रकार के कैंसर में सबसे बड़ी वृद्धि पाई गई, जो कि सर्वाइकल कैंसर का सबसे घातक रूप है। इसका औसतन वार्षिक प्रतिशत वृद्धि 2.9% है। ऐसे में सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता होना बहुत ज़रूरी है।

मगर 2019-2020 के दौरान आंध्र विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी कैंसर अस्पताल द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि 41.4% महिलाओं को प्रभावित करने वाले सर्वाइकल कैंसर के बारे में केवल 10% महिलाएं ही अवगत थीं।

क्या है सर्वाइकल कैंसर और आप इससे कैसे बच सकती हैं? चित्र : शटरस्टॉक

अश्वेत महिलाओं पर है सबसे ज़्यादा खतरा

अश्वेत महिलाओं में स्टेज 4 सर्वाइकल कैंसर विकसित होने की संभावना अधिक होती है, लेकिन दक्षिण में 40 से 44 वर्ष की आयु की श्वेत महिलाओं में इस रोग में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि 4.5% की दर से होती है।

जरूरी है इससे समय रहते बचाव

अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, 25 वर्ष से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए अकेले सर्वाइकल कैंसर की जांच की सिफारिश की जाती है। यदि सिर्फ एचपीवी परीक्षण उपलब्ध नहीं है, तो लोग एचपीवी / पैप की जांच करवा सकते हैं। हर 5 साल में परीक्षण या हर 3 साल में एक पैप स्मीयर हर महिला को करवाना चाहिए।

इससे बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीनेशन की भी सिफारिश की जाती है। टीकाकरण गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को रोकने में मदद करता है, लेकिन जो लोग टीका लेते हैं उन्हें नियमित रूप से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच करवानी चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाएं, चित्र: शटरस्टॉक

आंध्र प्रदेश सरकार ने किया लड़कियों को एचपीवी टीका लगाने का फैसला

Andhra Pradesh State AIDS Control Society (APSACS) के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि टीकाकरण स्कूलों और प्राथमिक और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से किया जाएगा।

हालांकि बाजार में वैक्सीन की खुराक की कीमत 4,000 रुपये से 5,000 रुपये है, APSACS इसे 90 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करने की योजना बना रहा है, जिसका अर्थ है कि वैक्सीन सिर्फ 400 रुपये से 500 रुपये में उपलब्ध होगी।

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सर्वाइकल कैंसर पर कितनी प्रभावी है एचीपीवी वैक्सीन

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन द्वारा प्रकाशित इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल एंड पीडियाट्रिक ऑनकोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार 3 साल तक किए गए गए अध्ययन के विश्लेषण में एचपीवी – वैक्सीन की प्रभावकारिता 95.8% दिखाई गई है। मगर ऐसा देखा गया है कि ये वैक्सीन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर और वलवर कैंसर से बचाने में 100% तक प्रभावी है।

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ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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