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मुंह में मौजूद बैक्टीरिया भी बढ़ा सकते हैं कोलन कैंसर का जोखिम, शोध में हुआ खुलासा

भारत में सबसे अधिक कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर के मामले मिलते हैं। हाल में नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार के बैक्टीरिया की खोज की है। यह बैक्टीरिया कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण हो सकता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर मुंह में पाया जाता है।
मुंह में मौजूद बैक्टीरिया बैक्टीरिया कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण हो सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 7 Apr 2024, 17:00 pm IST
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ओरल हेल्थ और गट हेल्थ एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि आपका ओरल हेल्थ मजबूत नहीं है या वह संक्रमित है, तो इसका प्रभाव गट हेल्थ पर पद सकता है। हमारे मुंह में गुड बैक्टीरिया और बैड बैक्टीरिया दोनों रहते हैं। ये बैक्टीरिया ही कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं। कभी -कभार ये कैंसर की भी वजह बन जाते हैं। हालिया शोध बताते हैं कि हमारे मुंह में मौजूद बैक्टीरिया कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बन सकते हैं। जानते हैं क्या कहता है ((Oral bacteria causes colon cancer) शोध?

मुंह में मौजूद बैक्टीरिया के बारे में क्या है कहता है शोध (research on oral bacteria)

नेचर जर्नल में मुंह में मौजूद बैक्टीरिया पर एक अध्ययन प्रकाशित किया गया। इसमें पाया गया कि एक विशेष बैक्टीरिया, जो ट्यूमर सेल को कैंसर से लड़ने वाली दवाओं से बचाता है। यह अध्ययन में परीक्षण किए गए 50% ट्यूमर में पाया गया। अमेरिका के फ्रेड हच कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं ने इस पर स्टडी की। उन्होंने माना कि यह निष्कर्ष कोलोरेक्टल कैंसर के लिए चिकित्सीय दृष्टिकोण और प्रारंभिक जांच के तरीकों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। भारत में शीर्ष दस सबसे आम प्रकार के कैंसर में से एक है कोलोरेक्टल कैंसर या कोलन कैंसर।

कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बन सकता है मुंह में पाया जाने वाला बैक्टीरिया (Oral bacteria causes colon cancer)

अध्ययन के अनुसार, यह बैक्टीरिया आमतौर पर मुंह में पाया जाता है। यह आंत तक जा सकता है और पेट के कैंसर के ट्यूमर में विकसित हो सकता है। यह सूक्ष्म जीव कैंसर को बढ़ने के लिए भी जिम्मेदार है।

इसके कारण कैंसर के उपचार के बावजूद रोगी के परिणाम खराब हो जाते हैं। 200 रोगियों से निकाले गए कोलोरेक्टल कैंसर ट्यूमर की जांच करते हुए टीम ने फ़्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम के स्तर को मापा।

एक जीवाणु जो ट्यूमर को संक्रमित करने के लिए जाना जाता है। लगभग 50% मामलों में, उन्होंने पाया कि स्वस्थ ऊतक की तुलना में ट्यूमर टिश्यू में बैक्टीरिया का एक विशिष्ट सब क्लास एलिवेट करते हुए पाया गया।

बैक्टीरिया आमतौर पर मुंह में पाया जाता है। यह आंत तक जा सकता है और पेट के कैंसर के ट्यूमर में विकसित हो सकता है।  चित्र : अडोबी स्टॉक

निचले आंत तक कैसे जाता है बैक्टीरिया (Bacteria travel to lower gut)

शोधकर्ताओं ने स्वस्थ लोगों के मल के नमूनों की तुलना में कोलन कैंसर रोगियों के मल के नमूनों में भी इस सूक्ष्म जीव को अधिक संख्या में पाया। फ्रेड हच कैंसर माइक्रोबायोम शोधकर्ता के अनुसार, कोलोरेक्टल ट्यूमर वाले मरीजों में फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम (Fusobacterium nucleatum-Fn) पाया गया। शोधकर्ता यह पता लगाना चाहते थे कि बैक्टीरिया मुंह के अपने विशिष्ट वातावरण से निचले आंत तक कैसे जाता है और यह कैंसर के विकास में कैसे योगदान देता है।

मुंह से पेट की यात्रा (mouth to gut)

कोलोरेक्टल कैंसर ट्यूमर में फ़्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम का प्रमुख समूह, जिसे सिंगल सब क्लास माना जाता है। वास्तव में यह दो अलग-अलग जीन से बना है, जिन्हें क्लैड्स कहा जाता है।

इन समूहों के बीच आनुवंशिक अंतर को अलग करके, शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्यूमर-घुसपैठ करने वाले एफएनए सी 2 प्रकार ने विशिष्ट आनुवंशिक लक्षण प्राप्त कर लिए हैं। इससे पता चलता है कि यह मुंह से पेट के माध्यम से यात्रा कर सकता है। यह पेट में एसिड का सामना कर सकता है और फिर निचले जीआई में बढ़ सकता है। .
कोलन कैंसर के रोगियों के स्वस्थ ऊतकों के साथ ट्यूमर ऊतक की तुलना करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि केवल उपप्रकार Fna C2 कोलोरेक्टल ट्यूमर टिश्यू में काफी समृद्ध है। यह कैंसर के विकास के लिए जिम्मेदार है।

मुंह के बैक्टीरिया पेट तक चले आते हैं, कोलन कैंसर का कारण बनते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक।

कोलन कैंसर मुंह को कर सकता है प्रभावित

डिस्टैंट मेटास्टेस (Oral bacteria causes colon cancer) सबसे अधिक बार लिवर और लंग्स में होते हैं। हालांकि हड्डी, एड्रीनल, लिम्फ नोड्स, ब्रेन, स्किन और ओरल रीजन में मेटास्टेस की सूचना मिली है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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