इन दिनों इंस्टाग्राम और अन्य सोशल साइट पर एक खबर लगातार बनी हुई है। खबर पिछले साल अगस्त की है, जब एक महिला के ज्यादा पानी पी लेने से मौत हो गई। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हम लगातार पानी पीने की बात कहते हैं। फिर पानी पीने से किसी की मौत कैसे हो सकती है? क्या ये खबर झूठ भी हो सकती है? विशेषज्ञ बताते हैं कि हमें हमेशा अपने शरीर के जरूरत के हिसाब से ही पानी पीना चाहिए। कम या ज्यादा पानी दोनों स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ा सकता है। जानते हैं अधिक पानी पीने (water intoxication) से क्या हो सकता है?
बहुत अधिक पानी पीना मुश्किल है। आमतौर पर बहुत अधिक खेलने या इंटेंस ट्रेनिंग के दौरान अत्यधिक पानी पीने के कारण ऐसा हो सकता है। इसे वाटर इंटॉक्सिकेशन कहा जा सकता है। इसके कारण कंफ्यूजन, सर दर्द मतली और उल्टी हो सकते हैं। दुर्लभ मामलों में, वाटर इंटॉक्सिकेशन मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकता है। तब यह घातक भी हो सकता है।
वाटर इंटॉक्सिकेशन या पानी विषाक्तता बहुत अधिक पानी पीने के कारण ब्रेन फंक्शन में बाधा डालना है। ऐसा करने से खून में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। यह ब्लड में इलेक्ट्रोलाइट्स, विशेषकर सोडियम को पतला कर सकता है। यदि सोडियम का लेवल 135 मिलीमोल प्रति लीटर (एमएमओएल/एल) से नीचे चला जाता है, तो डॉक्टर इस समस्या को हाइपोनेट्रेमिया कहते हैं।
शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। बहुत अधिक तेजी से पानी पीने या ज्यादा पानी पी लेने से स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। किडनी प्रति घंटे केवल 0.8 से 1.0 लीटर पानी शरीर से बाहर निकाल सकते हैं। बहुत अधिक पानी का सेवन शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बिगाड़ सकता है।
सोडियम कोशिकाओं के अंदर और बाहर तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। अत्यधिक पानी के सेवन के कारण सोडियम का स्तर गिर जाता है। इससे तरल पदार्थ बाहर से कोशिकाओं के अंदर की ओर चले जाते हैं। इससे उनमें सूजन आ जाती है। जब मस्तिष्क कोशिकाओं के साथ ऐसा होता है, तो यह खतरनाक और यहां तक कि जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
वाटर इंटॉक्सिकेशन के कारण सुस्ती, मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, हाई ब्लड प्रेशर, डबल विजन, सांस लेने में दिक्क्त भी हो सकती है।
मस्तिष्क में तरल पदार्थ के जमा होने को सेरेब्रल एडिमा कहा जाता है। यह मस्तिष्क तंत्र को प्रभावित कर सकता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की शिथिलता का कारण बन सकता है। गंभीर मामलों में यह दौरे, मस्तिष्क क्षति, कोमा और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है।
बहुत अधिक व्यस्त शेड्यूल या वर्क लोड अधिक होने, लंबी दूरी तक दौड़ने, कठिन वर्क आउट करने पर प्यास अधिक लग सकती है। इसके कारण पानी अधिक पी लिया जाता है। इसलिए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।
ओवरहाइड्रेशन और वॉटर इंटॉक्सिकेशन तब होता है जब कोई व्यक्ति किडनी से यूरीन निकलने की क्षमता से अधिक पानी पीता है। किडनी हर घंटे 0.8 से 1.0 लीटर से अधिक पानी नहीं निकाल सकते हैं। हाइपोनेट्रेमिया से बचने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जितना पानी खत्म किया जा सकता है, उससे अधिक पानी पीने से किडनी की गति धीमी न हो।
यदि कोई व्यक्ति कम समय में 3-4 लीटर पानी पीता है, तो हाइपोनेट्रेमिया के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
पसीने की दर, आर्द्रता और कितनी देर तक व्यायाम किया जाता है, इन सभी कारक पर विचार करना जरूरी है। उचित हाइड्रेशन का अर्थ है व्यायाम से पहले, व्यायाम के दौरान और बाद में पर्याप्त पानी पीना। यदि खुद को हाइड्रेट रखा जायेगा, तो कभी भी एक बार में अधिक पानी नहीं पिया जा सकता है।
हाइड्रेशन शरीर के तापमान को रेगुलेट करता है। हीट स्ट्रोक का खतरा होने पर हल्के रंग के हल्के, ढीले-ढाले कपड़े पहनें। दोपहर में ज़ोरदार खेल और शारीरिक गतिविधियां नहीं करें। इससे बहुत अधिक पानी पीने की इच्छा हो सकती है। अपने आप को धूप से बचाएं। बार-बार ड्रिंक ब्रेक लें। ज़्यादा गरम होने पर अपने आप को स्प्रे बोतल से गीला कर लें।
क्या आप जानती हैं कि हमारा लगभग 80 प्रतिशत पानी पीने से आता है? अन्य 20 प्रतिशत भोजन से आता है। सभी साबुत फलों और सब्जियों में थोड़ा पानी होता है। अधिकतम लाभ के लिए इनका सेवन करें। खीरा, सेलेरी टमाटर, मूली, मिर्च, फूलगोभी, तरबूज, पालक, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकोली और अंगूर खाएं। इन सभी में 90 प्रतिशत या उससे अधिक पानी होता है।
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