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प्रजनन स्वास्थ्य के लिए एंटी-मुलरियन हॉर्मोन भी है जरूरी, जानिए इस जरूरी हॉर्मोन के बारे में सब कुछ

एंटी-मुलरियन हार्मोन या एएमएच लेवल माहवारी, गर्भावस्था और मेनोपॉज को प्रभावित करता है। एक स्वस्थ महिला में इसका संतुलित स्तर जरूरी है। अगर आप आईवीएफ के लिए जाना चाहती हैं, तो भी आपको इसके बारे में पता होना चाहिए।
अकसर प्रेगनेंसी के दौरान एंटी-मुलरियन हार्मोन लेवल को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट कराया जाता है। परीक्षण ब्लड में एएमएच की मात्रा को मापता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 29 Mar 2024, 19:00 pm IST
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मनुष्य शरीर में चाहें वह स्त्री हो या पुरुष हॉर्मोन बहुत सारी चीजों में को प्रभावित करते हैं। हॉर्मोन का सबसे ज्यादा प्रभाव प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्यूबर्टी से लेकर मेनाेपॉज तक हॉर्मोन प्रोडक्शन हर फेज के लिए जरूरी है। यह स्वस्थ माहवारी और गर्भावस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। गर्भावस्था के दौरान अकसर महिलाओं का का एंटी मुलेरियन हॉर्मोन लेवल टेस्ट कराया जाता है। प्रेगनेंसी के लिए इसका सही लेवल होना जरूरी है। पॉलीसिस्टिक सिंड्रोम सहित कई रोगों का भी संकेत देता है यह हॉर्मोन। जानते हैं इस जरूरी हॉर्मोन (Anti Mullerian hormone) के बारे में और भी विस्तार से।

एंटी-मुलरियन हार्मोन (Anti Mullerian hormone)

अकसर प्रेगनेंसी के दौरान एंटी-मुलरियन हार्मोन लेवल को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट कराया जाता है। परीक्षण ब्लड में एएमएच की मात्रा को मापता है। पुरुषों में एएमएच अंडकोष या टेस्टिस द्वारा बनता है। महिलाओं में अंडाशय एएमएच बनाते हैं। अंडाशय ग्लैंड हैं, जहां अंडे बनते हैं और फीमेल हार्मोन बनते हैं।

एंटी-मुलरियन हार्मोन पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग भूमिका निभाता है। एएमएच का सामान्य स्तर लिंग और उम्र के साथ बदलता रहता है। एएमएच लेवल मापने से विभिन्न प्रकार की प्रजनन स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जानकारी मिल सकती है।

समझिए क्या है एएमएच लेवल (Anti Mullerian hormone level)

अजन्मे शिशुओं में एएमएच मेल और फीमेल प्रजनन अंगों के निर्माण में मदद करता है। अजन्मे शिशुओं का लिंग उनके माता-पिता से विरासत में मिले क्रोमोसोम द्वारा निर्धारित होता है। मेल शिशुओं में XY गुणसूत्र होते हैं और फीमेल शिशुओं में XX क्रोमोजोम होते हैं। उनके प्रजनन अंगों और जननांगों का विकास एएमएच से भी प्रभावित होता है।

क्यों कराया जाता है एएमएच टेस्ट (AMH Test)

एंटी-मुलरियन हार्मोन टेस्ट से पता चलता है कि ओवरी में कितने अंडे बचे हैं। इसे ओवेरियन रिजर्व भी कहा जाता है। उम्र के साथ ओवेरियन रिजर्व का कम होना सामान्य बात है। एएमएच टेस्ट इसका आकार बता सकता है, लेकिन यह एग के स्वास्थ्य के बारे में नहीं बता सकता है। यह टेस्ट इस बात का अनुमान नहीं लगा सकता है कि महिला प्रेगनेंट हो पाएगी या नहीं।

एंटी-मुलरियन हार्मोन टेस्ट से पता चलता है कि ओवरी में कितने अंडे बचे हैं।चित्र : अडोबी स्टॉक

आईवीएफ में मददगार (AMH Level test for IVF)

आम तौर पर ओवरी हर महीने फर्टिलाइज़ेशन के लिए एक अंडा तैयार करता है। यदि बच्चा पैदा करने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या आईवीएफ का सहारा लिया जाता है, तो हेल्थ केयर एक्सपर्ट ओवरी को एक ही समय में कई एग तैयार करने के लिए प्रजनन दवा देते हैं। शरीर के बाहर भ्रूण बनाने के लिए इन अंडों को हटा कर शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है।

फिर गर्भावस्था शुरू करने के लिए भ्रूण को या तो फ्रीज कर दिया जाता है या गर्भाशय में डाल दिया जाता है। एएमएच लेवल टेस्ट करने से यह जानने में मदद मिलती है कि सर्वोत्तम प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए प्रजनन दवा की किस खुराक की जरूरत हो सकती है।

मेनोपॉज के बारे में बताता है एएमएच लेवल टेस्ट ( AMH Level test for menopause)

जैसे ही हम मेनोपॉज़ के करीब पहुंचते हैं, एग की आपूर्ति कम हो जाती है और एएमएच का स्तर कम हो जाता है। एएमएच लेवल का उपयोग समय से पहले मेनोपॉज (40 वर्ष से पहले) और प्रारंभिक मेनोपॉज (45 वर्ष से पहले) की जांच के लिए किया जा सकता है।

मगर एएमएच परीक्षण यह अनुमान नहीं लगा सकता कि कोई भी महिला वास्तव में मेनोपॉज तक कब पहुंचेंगी? मेनोपॉज की औसत आयु 52 वर्ष है। हाई एएमएच लेवल से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होने का पता चल सकता है। यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है। यह ओवेरियन कैंसर का कारण भी बन सकता है।

एएमएच लेवल का उपयोग समय से पहले मेनोपॉज (40 वर्ष से पहले) और प्रारंभिक मेनोपॉज (45 वर्ष से पहले) की जांच के लिए किया जा सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

कैसे करें एएमएच लेवल को मेंटेन (How to maintain AMH level)

विटामिन डी, एंटीऑक्सीडेंट और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। ये पोषक तत्व एएमएच स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए जाने जाते हैं। एएमएच लेवल को मेंटेन करने के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखें। बॉडी मास इंडेक्स एएमएच लेवल प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

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बहुत अधिक चीनी हार्मोनल संतुलन को बाधित कर सकती है और एएमएच लेवल को प्रभावित कर सकती है। लीन प्रोटीन का सेवन हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकता है और एएमएच लेवल (Anti Mullerian hormone) में सुधार कर सकता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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