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Digestive Cancer : पाचन संबंधी समस्याओं को इग्नोर न करें, इन 5 तरह के कैंसर की हो सकती हैं दस्तक

कब्ज, अपच, खूनी पेचिश, खट्टी डकार, लंबे समय तक चलने वाला और बार-बार होने वाला पेट दर्द वे संकेत हैं जो कैंसर की दस्तक हो सकते हैं। इन्हें भूलकर भी इग्नोर नहीं करना चाहिए। अगर इनमें से दो से तीन समस्याओं से आप लंबे समय से जूझ रहे हैं, तो जरूरत है विशेषज्ञ डाॅक्टर से मिलकर जरूरी स्क्रीनिंग करवाने की।
Updated On: 10 Jul 2024, 04:04 pm IST
पेट दर्द या पाचन में होने वाले किसी भी बदलाव को इग्नोर न करें। चित्र : शटरस्टॉक

डाइजेस्टिव कैंसर में कई तरह की मैलिग्नेंसी शामिल होती हैं जो पाचन तंत्र के विभिन्न अंगों जैसे एसोफैगस, पेट, अग्नाशय, लिवर, कोलन और रेक्टम को प्रभावित करते हैं। ये कैंसर दुनियाभर में लोगों की हेल्थ के लिए चुनौती बने हुए हैं, लेकिन इनके बारे में जागरूकता और बचाव के उपायों पर अमल कर इनमें कमी लायी जा सकती है। पाचन तंत्र के अलग-अलग प्रकार के कैंसर (Digestive Cancer) रोगों को समझकर तथा उनसे बचने के लिए जरूरी उपायों को अपनाकर इनसे निपटा जा सकता है।

इग्नोर न करें पाचन संबंधी समस्याएं (Early signs of digestive cancer)

पाचन तंत्र के कैंसर के लक्षण कैंसर टाइप पर निर्भर होते हैं। आमतौर पर इनके सामान्य लक्षणों में अपच, पेट का दर्द, अकारण वज़न कम होना, मल-त्याग की आदतों में बदलाव और निगलने में कठिनाई होना शामिल है। रिस्क फैक्टर्स में लाइफस्टाइल संबंधी आदतें जैसे स्मोकिंग (धूम्रपान), अल्कोहल का सेवन, खानपान में प्रोसैस्ड मीट की अधिकता, फैमिली हिस्ट्री, क्रोनिक इंफ्लेमेशन, तथा एच.पाइलोरी और हेपेटाइटिस पी जैसे कुछ खास इंफेक्शन प्रमुख हैं।

यहां हैं डाइजेस्टिव कैंसर के प्रमुख प्रकार (Types of digestive cancer)

1. एसोफैगस कैंसर (Esophagus cancer)

आपके गले से पेट तक भोजन पहुंचाने वाली नली (ट्यूब) को एसोफैगस कहते हैं, और इसमें पनपने वाला कैंसर ही एसोफैगस कैंसर (Esophagus cancer) कहलाता है। स्क्वैमस सैल कार्सिनोमा और एडिनोकार्सिनोमा दो मुख्य प्रकार के कैंसर होते हैं। स्क्वैमस सैल कार्सिनोमा आमतौर से एसोफैगस के ऊपरी तथा मध्य भागों में पनपता है। जबकि एडिनोकार्सिनोमा प्रायः निचले भाग में, पेट के नज़दीक होता है।

एसोफगस कैंसर के संकेत पाचन संबंधी समस्याओं के साथ शुरु होते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. पेट का कैंसर (Stomach cancer)

पेट के कैंसर को गैस्ट्रिक कैंसर (Gastric cancer) भी कहते हैं और यह पेट की अंदरूणी परत में शुरू होता है। यह धीरे-धीरे कई वर्षों में पनपता है। रिस्क फैक्टर में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया इंफेक्शन, अधिक नमक, धुंआयुक्त, या अचारी खानपान तथा स्मोकिंग प्रमुख हैं।

3. अग्नाशय कैंसर (Pancreatic cancer)

अग्नाशय (Pancreas) आपके पेट के पीछे स्थित अंग है और इसमें पनपने वाले कैंसर को पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer) कहा जाता है। आमतौर पर इस कैंसर का एडवांस स्टेज में पता चलता है, जिसकी वजह से इसका उपचार करना चुनौतीपूर्ण होता है। रिस्क फैक्टर में स्मोकिंग, मोटापा, क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस (अग्नाशयशोथ) और फैमिली हिस्ट्री (Family history of cancer) प्रमुख हैं।

4. लिवर कैंसर (Liver Cancer)

लिवर कैंसर या तो लिवर में ही उत्पन्न होता है (Primary liver cancer) या यह शरीर के अन्य अंगों से फैलकर लिवर पर हमला बोलता है (Metastatic liver cancer)। हेपेटाइटिस बी या सी वायरस का क्रोनिक इंफेक्शन, शराब का अत्यधिक सेवन, मोटापा तथा कुछ खास तरह के केमिकल्स के संपर्क में आने से लिवर कैंसर का रिस्क बढ़ता है।

5. कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer)

कोलोरेक्टल कैंसर दुनिया में तीसरा सबसे आम कैंसर है और यह कोलन (Large intestine) या रेक्टम (मलाशय) में शुरू होता है। आमतौर पर यह छोटे आकार की ग्रोथ (जिसे पोलिप कहते हैं) के रूप में शुरू होता है, जो धीरे-धीरे बढ़कर कैंसर में बदल जाती है। रिस्क फैक्टर्स में उम्र, फैमिली हिस्ट्री, इंफ्लेमेट्री बाउल रोग,तथा कम फाइबर युक्त खानपान (Low fiber food), रेड या प्रोसैस्ड मीट (Red or processed meat) का अधिक सेवन शामिल हैं।

पाचन तंत्र के कैंसर से बचाव के लिए ध्यान में रखने होंगे ये उपायः

1. हेल्दी डाइट का सेवन करें (Healthy diet)

फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन युक्त बैलेंस्ड डायट का सेवन करने से पाचन तंत्र के कैंसर से बचाव हो सकता है। प्रोसैस्ड और रेड मीट का सीमित सेवन, तथा अत्यधिक शराब का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है।

2. धूम्रपान की आदत छोड़ें (Quit smoking)

तंबाकू का सेवन कई तरह के कैंसर का जोखिम बढ़ाता है, और पाचन तंत्र के कैंसर भी अपवाद नहीं हैं। धूम्रपान की आदत छोड़ने से आप इन कैंसर को पनपने से रोक सकते हैं और साथ ही, सेहत को बेहतर भी बनाते हैं।

3. एक्टिव रहें (Stay active)

रेगुलर फिजिकल एक्टविटी से आप न सिर्फ हैल्दी वेट को बनाए रखते हैं, बल्कि कोलोरेक्टल कैंसर समेत अन्य कई तरह के कैंसर के जोखिम से भी खुद को बचाते हैं। हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट सामान्य शारीरिक गतिविधि/व्यायाम जरूर करें।

4. स्क्रीनिंग तथा शीघ्र निदान (Screening and testing)

रूटीन स्क्रीनिंग जैसे कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी तथा एसोफैगल और पेट के कैंसर के लिए एंडोस्कोपी से प्री-कैंसरस कंडीशंस या शुरुआती चरण के कैंसर का पता लगाया जा सकता है और इस स्टेज में इलाज भी सबसे ज्यादा प्रभावी साबित होता है। स्क्रीनिंग के मामले में हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की सलाह का पालन करें।

अपनी सेहत में हो रहे बदलावों पर नजर बनाए रखना जरूरी है। चित्र : अडोबी स्टॉक

5. वैक्सीनेशन (Vaccination)

हेपेटाइटिस बी और ह्यूमैन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) से बचाव करने वाली वैक्सीन क्रमशः लिवर और कुछ प्रकार के एसोफैगल कैंसर का जोखिम बढ़ाने वाले इंफेक्शन से बचा सकती हैं। आप अपने लिए वैक्सीनेशन विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

6. क्रोनिक कंडीशंस से बचें (Beware chronic health conditions)

क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस, इंफ्लेमेट्री बाउल रोग तथा हेपेटाइटिस की वजह से पाचन तंत्र के कैंसर का जोखिम बढ़ता है। आप लाइफस्टाइल में बदलाव/सुधार लाकर ऐसे जोखिमों से बचाव कर सकते हैं।

चलते-चलते

पाचन तंत्र के कैंसर दुनियाभर में पब्लिक हैल्थ के लिए काफी चिंता का विषय हैं, लेकिन यदि इनसे बचाव के उपायों का पालन किया जाए तो इन रोगों का रिस्क काफी हद तक कम हो सकता है। पाचन तंत्र के कैंसर से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, रैगुलर स्क्रीनिंग्स करवाएं, और क्रोनिक कंडीशंस से बचें। साथ ही, पाचन स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। डाइजेस्टिव कैंसर/पाचन तंत्र के कैंसर के खिलाफ लड़ाई तेज करने के लिए इनके बारे में जरूरी जानकारी और हैल्थकेयर संसाधनों तक पहुंच होना जरूरी है।

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लेखक के बारे में
Dr Rajat Bajaj

Dr Rajat Bajaj is Medical Oncologist, Fortis Hospital, Noida

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