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मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2023 : जरूरी है पीरियड हाइजीन पर बार-बार और लगातार बात करना, जानिए क्यों

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (Menstrual Hygiene Day) 28 मई को है और इसका लक्ष्य 2030 तक एक ऐसी दुनिया बनाना है, जहां मासिक धर्म या महावारी के कारण कोई भी पीछे न रहे।
आपकी स्किन और बाल भी माहवारी के दौरान खराब हो सकते हैं। अडोबी स्टॉक
Dr Neema Sharma Published: 27 May 2023, 20:00 pm IST
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कोरोनावायरस के बाद से इंस्टा, पिंटरेस्ट और अन्य साेशल मीडिया साइट खंगालते हुए आपको यह लग सकता है कि लड़कियों की दुनिया बहुत बदल गई है। वे न केवल इन माध्यमों का भरपूर इस्तेमाल कर रहीं हैं, बल्कि सेक्स जैसे वर्जित समझे जाने वाले विषय पर भी खुल कर बात कर रहीं हैं। इसके बावजूद समाज का एक दूसरा पहलू यह है कि अब भी दो करोड़ से ज्यादा लड़कियां माहवारी शुरू होने के बाद स्कूल नहीं जा पातीं। उनके समाज और समुदाय में मासिक धर्म अब भी न केवल एक टैबू है, बल्कि असुविधाओं से भरा रास्ता भी है। मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (Menstrual hygiene day 2023) पर आइए जानते हैं क्यों जरूरी है इस मुद्दे पर बार-बार और लगातार बात करना।

मासिक धर्म स्वच्छता (Menstrual hygiene day 2023) आज सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों में से एक है। महिला का मासिक धर्म स्वास्थ्य उसकी भलाई और उसके परिवार और समुदाय के कल्‍याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन कई बार विशेष रूप से विकासशील दुनिया में, मानसिकता, रीति-रिवाज और संस्थागत पूर्वाग्रह महिलाओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने से रोकते हैं। जिनकी उन्हें बेहद आवश्यकता होती है।

यह जरूरी है कि पीरियड हाइजीन के बारे में बच्चों को स्कूलों में भी पढ़ाया जाए। चित्र : अडोबी स्टॉक

मासिक धर्म को आज भी भारतीय समाज में एक टैबू माना जाता है। माताएं अपनी बेटियों के साथ इस विषय पर बात करने से हिचकती हैं और उनमें से कई में युवावस्था और मासिक धर्म पर वैज्ञानिक ज्ञान की कमी होती है। इस वर्जना (टैबू) के भारतीय समाज में अभी भी प्रासंगिक होने के मुख्य कारण निरक्षरता की उच्च दर विशेष रूप से लड़कियों में, गरीबी और मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता की कमी है।

पीरियड्स पर अब भी दूर नहीं हुए हैं टैबू (Period taboo)

इन दिनों में महिलाओं को रोजमर्रा की गतिविधियों में भागीदारी करने की मनाही होती है। ग्रामीण इलाकों में पुराने कपड़े का उपयोग, जिसका अक्सर पुन: उपयोग किया जाता है, राख, समाचार पत्र, सूखे पत्ते और भूसी का प्रचलन है। सेनिटरी नैपकिन का उपयोग महंगा होने या अनुपलब्धता के कारण नहीं किया जाता है।

इस तरह के तरीकों से प्रजनन मार्ग में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है और पीरियड के दिनों में महिला के दिन-प्रतिदिन के कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। अन्य समस्याओं में एनीमिया, अनियमित मासिक धर्म के साथ-साथ चिंता, शर्मिंदगी और शर्म जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं शामिल हैं।

माहवारी के कारण लड़कियों को छोड़ना पड़ता है स्कूल

उचित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सुविधाओं की कमी के कारण सालाना लगभग 2.3 करोड़ लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं, जिसमें सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता और मासिक धर्म के बारे में तार्किक जागरूकता, सैनिटरी पैड को बदलने और निपटान हेतु लड़कियों के लिए पर्याप्त सुविधाओं की कमी शामिल है।

इसमें बदलव लाने में सरकार, स्वास्थ्य प्रणाली और शैक्षणिक संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका एक उदाहरण भारत में गोवा सरकार के साथ एक निजी कंपनी की साझेदारी है। जिसमें सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर एक शैक्षिक मॉड्यूल पेश किया गया है।

जरूरी हैं सतत प्रयास 

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की मासिक धर्म स्वास्थ्य योजना जैसी सरकारी योजनाएं हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए एक योजना शुरू करने पर केंद्रित हैं। एनजीओ इस योजना के तहत पैड वितरण में मदद कर सकते हैं, साथ ही सरकार को योजना में सुधार के लिए इनपुट भी दे सकते हैं।

मेंस्ट्रुअल कप एक ज्यादा सुविधाजनक पीरियड प्रोडक्ट है। चित्र : शटरस्टॉक

यूनिसेफ बेहतर मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए चार प्रमुख क्षेत्रों में काम करता है : सामाजिक समर्थन, ज्ञान और कौशल, सुविधाएं और सेवाएं, अशोषक सामग्री तक पहुंच और सहायक आपूर्ति।

बेटियों से बात करें 

किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता, पैड्स, टैम्पून और कप्‍स जैसे मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करने के बारे में शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है। मासिक धर्म उत्पाद का उपयोग करने से पहले और बाद में हाथ धोना, पैड और टैम्पून का उचित निपटान, सैनिटरी पैड को हर कुछ घंटों में बदलना और 8 घंटे से अधिक समय तक टैम्पून का उपयोग न करना जैसे सरल उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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मासिक धर्म कप का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह पर्यावरण अनुकूल है, कम खर्चीला है और सैनिटरी नैपकिन की तुलना में स्किन रिएक्‍शन कम होता है। उपयोग से पहले और बाद में कप्‍स को साफ करना चाहिए।

एजुकेशनल टेलीविजन कार्यक्रम, प्रशिक्षित स्कूल नर्स/स्वास्थ्य कर्मी, स्कूल के प्रेरित शिक्षक और जानकार माता-पिता आज की किशोरियों के बीच सही मासिक धर्म स्वच्छता के महत्वपूर्ण संदेश को प्रसारित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

यह भी पढ़ें – Menstrual hygiene day 2023: एक एक्सपर्ट बता रहीं हैं क्यों जरूरी है हर 4 घंटे में अपना सैनिटरी पैड बदलना

Dr Neema Sharma

Dr Neema Sharma is Director- obstetrics and gynaecology at Fortis Hospital Vasant Kunj ...और पढ़ें

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