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अल्जाइमर और डिमेंशिया का जोखिम बढ़ा सकता है नाक में उंगली डालना, स्टडी में हुआ खुलासा

नाक में उंगली डालना यकीनन एक गंदी आदत है। कोविड-19 महामारी के दौरान खास तौर पर इससे रोका गया है। पर क्या आप जानती हैं कि ये गंदी आदत अल्जाइमर और डिमेंशिया के जोखिम को भी बढ़ा सकती है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नाक कुरेदना न केवल अनहाइजनिक है, बल्कि यह आपकी मेंटल हेल्थ के लिए भी नुकसानदेह है। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 31 Oct 2022, 19:23 pm IST
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नाक में उंगली डालना एक गंदी आदत है। हम बचपन से ही बच्चों काे यह सिखाते हैं। इसके बावजूद बहुत सारे लोग अलग-अलग वजह और अलग-अलग समय में नाक कुरेदने से बाज़ नहीं आते। कभी-कभी यह देखने में आता है कि अगर कोई व्यक्ति खाली बैठा होता है, तो वह नाक कुरेदने लगता है। बुजुर्गों में यह समस्या आम तौर पर देखी जाती है। कुछ लोगों का तो यह सबसे पसंदीदा काम होता है। उन्हें देख कर यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि नाक खोदने वाले व्यक्ति ने अच्छे तरीके से नहीं नहाया है। तभी गंदगी उनकी नाक में जमी हुई है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नाक कुरेदना न केवल अनहाइजनिक है, बल्कि यह आपकी मेंटल हेल्थ के लिए भी नुकसानदेह है। यह कई मानसिक रोगों खासकर अल्जाइमर और डिमेंशिया रोगों के लिए जोखिम कारक (nose picking may be the cause of alzheimer or dementia) भी होती है। हालिया स्टडी कुछ ऐसा ही कहती है।

क्या कहती है स्टडी

किसी के सामने नाक को छूना या नाक की गंदगी निकालना शिष्टाचार के खिलाफ माना जाता है। यह आदत अल्जाइमर और डीमेंशिया के विकास के लिए हाई रिस्क वाला हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया में ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय में चूहों पर परीक्षण किया गया। शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि बैक्टीरिया ओल्फैकट्री नर्व के माध्यम से ब्रेन तक जा सकता है। इससे यहां एक मार्कर बनता है, जो भविष्य में होने वाले अल्जाइमर रोग का संकेत हो सकता है।

मस्तिष्क की कोशिका देती है यह संकेत

यह अध्ययन जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में भी प्रकाशित हुआ। इस स्टडी के अनुसार, क्लैमाइडिया न्यूमोनिया सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर आक्रमण करने के लिए एक मार्ग के रूप में नोस्ट्रिल और ब्रेन के बीच स्थित नर्वस सिस्टम का उपयोग करता है। इसकी वजह से मस्तिष्क की कोशिकाओं में बीटा अमाइलॉइड प्रोटीन जमा हो जाता है। यह अल्जाइमर रोग का संकेत देता है।

नाक कुरेदने से वायरस और बैक्टीरिया के लिए सरल मार्ग बन जाते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

शोध के सह-लेखक प्रोफेसर जेम्स सेंट जॉन के अनुसार, चूहों पर किए गए परीक्षणों के नतीजे चिंताजनक हैं। यह माउस मॉडल के सबूत संभावित रूप से मनुष्यों के लिए भी जोखिम कारक हैं।

वायरस और बैक्टीरिया के लिए बन जाता है सीधा और सरल मार्ग

ओल्फक्ट्री नर्वस सीधे हवा के संपर्क में आते हैं। ये ब्लड और ब्रेन की बाधा को दरकिनार करते हुए मस्तिष्क को एक छोटा रास्ता प्रदान करते हैं। दूसरे शब्दों में यह वायरस और बैक्टीरिया के लिए सरल मार्ग बनाते हैं।

इस शोध से जुडी टीम अनुसंधान के अगले चरण की योजना बना रही है। इसके माध्यम से यह साबित हो जाएगा कि मनुष्यों में बैक्टीरिया भी उसी रास्ते का अनुसरण कर सकता है। हालांकि यह अध्ययन मनुष्यों में करने की जरूरत है, ताकि यह पुष्टि हो सके कि मनुष्यों में भी यह मार्ग उसी तरह काम करता है। इस विषय पर पहले भी शोध हो चुके हैं। लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि बैक्टीरिया वहां कैसे पहुंचते हैं।

गंध की कमी इन स्थितियों का प्रारंभिक संकेत

नाक के माध्यम से बैक्टीरिया की जो यात्रा होती है, उसे कैसे रोका जाए? अध्ययन के सह-लेखक के अनुसार, बैक्टीरिया को मस्तिष्क में आगे बढ़ने से रोकने के लिए कुछ सरल उपाय हैं। “नाक के बाल निकाल कर रोका जा सकता है, लेकिन यह अच्छा विचार नहीं है। नाक की परत को नुकसान पहुंचने से मस्तिष्क में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया की संख्या बढ़ सकती है।

प्रोफेसर सेंट जॉन कहते हैं, गंध परीक्षणों में अल्जाइमर और डिमेंशिया का पता लगाने की क्षमता भी हो सकती है। क्योंकि गंध की कमी इन स्थितियों का प्रारंभिक संकेतक है।

नाक की परत को नुकसान पहुंचने से मस्तिष्क में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया की संख्या बढ़ सकती है। चित्र-शटरस्टॉक

शोधकर्ता के अनुसार, 65 वर्ष की आयु के बाद जोखिम कारक बढ़ जाता है। लेकिन साथ ही अन्य कारणों का भी विश्लेषण किया जाना चाहिए। “यह सिर्फ उम्र की वजह से ही नहीं हो सकता है, बल्कि पर्यावरणीय जोखिम भी है। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया और वायरस महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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