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कोविड के बाद अस्थमा रोगियों के लिए बढ़ गईं हैं मुश्किलें, जानिए इनसे कैसे बचा जा सकता

अस्थमा रोगियों के लिए बदलता हुआ मौसम चुनौती लेकर आता है। धूल, गर्मी और तनाव तीनों ही चीजें उनके अस्थमा को ट्रिगर कर सकती हैं। काेविड-19 के बाद ये जोखिम और भी ज्यादा बढ़ा है।
कुछ चीजें अस्थ्मा को ट्रिगर कर सकती हैं। चित्र: शटरस्टॉक
योगिता यादव Updated: 29 Oct 2023, 20:25 pm IST
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दुनिया भर में 300 मिलियन से अधिक लोग अस्थमा (Asthma) से पीड़ित हैं। यह एक सांस की समस्या है, जिसमें वायुपथ संकीर्ण हो जाता है और उसमें सूजन आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और खांसी भी हो सकती है। हालांकि, यह आनुवंशिक कारकों के कारण भी हो सकता है, इन दिनों पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन इस बीमारी के लिए एक प्रमुख जोखिम कारकों में से हैं।

कोविड के बाद बढ़ी हैं अस्थमा रोगियों की मुश्किलें 

हाल ही में, यह देखा गया है कि अस्थमा के मामलों की वृद्धि में कोविड-19 की भी प्रमुख भूमिका है। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के डॉ अंकित बंसल के मुताबिक लंबे समय तक चलने वाले कोविड-19 के प्रभाव के कारण अस्थमा के मामलों में वृद्धि हुई है। इसलिए यह जरूरी है कि अस्थमा को नियंत्रण में रखने के लिए आपको अब और ज्यादा प्रयास करने होंगे।

डॉ अंकित कहते हैं, “जिन लोगों को कोविड-19 हुआ है, उनमें अस्थमा होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। कोविड के बाद अस्थमा के मामलों में लगभग 5-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कई मरीज़ जो कोविड-19 के संपर्क में थे और पहले भी एलर्जी से पीड़ित थे, उनमें अस्थमा के लक्षण विकसित हुए हैं। कुछ रोगियों में, जिन्हें पहले से ही अस्थमा था, उनकी बीमारी की गंभीरता बढ़ गई। जबकि कुछ रोगियों में अस्थमा के लक्षण केवल कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद दिखाई दिए।

कोरोनावायरस के बाद से अस्थमा के मामलों में भी वृद्धि हुई है। चित्र : शटरस्टॉक

सामान्य एलर्जी और अस्थमा में अंतर 

जरूरी बात यह है कि उपचार उपलब्ध होने के बावजूद रोगी को रोग और उसके सामान्य लक्षणों के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए। युवा लोग जो खांसी, सीने में जकड़न, सांस की तकलीफ या घरघराहट जैसे किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, उन्हें जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ताकि वे जान सकें कि क्या यह अस्थमा के कारण है और भविष्य में वे खुद का ख्याल कैसे रख सकते हैं।

कैसे रखना चाहिए अपना ख्याल 

एक बार रोगी का पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) हो जाने के बाद, उन्हें अपने डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करनी चाहिए कि अस्थमा के ट्रिगर होने के क्या कारण हैं, उदाहरण के लिए, वायु प्रदूषण, धूल से एलर्जी, मौसमी परिवर्तन आदि जैसे पर्यावरणीय कारकों के लिए अस्थमा को कैसे नियंत्रित किया जाए एवं उसके लिए दवाएं पहले से ही तैयार रहें।”

डॉ बंसल सुझाव देते हैं कि अस्थमा के प्रत्येक रोगी को अपने अस्थमा को नियंत्रण में रखने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। मौसमी परिवर्तन के दौरान अस्थमा के रोगियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने और आवश्यक दवाएं लेने की आवश्यकता होती है। कई रोगियों को पराग से एलर्जी होती है, उन्हें खुले क्षेत्रों में बाहर जाने से बचना चाहिए जहां पेड़-पौधे हो सकते हैं। जो पराग के मौसम में उनकी स्थिति को गंभीर कर सकते हैं।

इस समय अस्थमा से पीड़ित बच्चों का बहुत ख्याल रखने की जरूरत है। चित्र : शटरस्टॉक

अंत में

यह भी समझने की जरूरत है कि कभी-कभी रोगी का अस्थमा तनाव या चिंता से भी शुरू हो सकता है। लेकिन, एक बार जब रोगी अपने ट्रिगर्स की पहचान कर लेता है, तो वे कुछ बातों को ध्यान में रखकर आगे की जटिलताओं से बच सकता है। डॉ बंसल कहते हैं, “अस्थमा को नियंत्रण में रखने के लिए, रोगियों को अपने इनहेलर को हर समय संभाल कर रखना चाहिए। समय पर दवाओं के साथ नियमित निदान महत्वपूर्ण है।”

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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