कोरोनावायरस, टोमैटो फ्लू व अन्य मौसमी सक्रमण के बीच हरियाणा के नुह जिले से खसरे (Measles) का मामला सामने आया है। दो लोगों में इसकी पुष्टि होने के बाद हरियाणा स्वास्थ विभाग ने 47 और के चपेट में होने की आशंका जताई है। मिली जानकारी के मुताबिक, जिले के कम से कम चार गांव इस संक्रमण की चपेट में हैं। यह संक्रमण ज्यादातर छोटे बच्चों में होता है। पुराने वक्त में खसरा से पीड़ित व्यक्ति को आइसोलेशन (Isolation) में रखा जाता था। क्या वाकई खसरे को फैलने (How to prevent Measles) से रोकने में सोशल डिस्टेंसिंग कारगर है? आइए जानते हैं खसरे के बारे में सभी जरूरी जानकारियां।
जिले के जिन गांवों में खसरे का मामला पाया गया हैं उन गावों का दौरा करने पहुंचे हरियाणा टीकाकरण अफसर विरेन्द्र सिंह अहलावत ने अब तक दो मामले मिलने की पुष्टि की है बाकी और 47 लोग संदिग्ध बताए जा रहे हैं। बता दें कि राज्य में मिले कुल संबंधित मामलों की पूरी डिटेल अभी तक जारी नहीं की गई है।
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वहीं नेशनल हेल्थ मिशन के डॉयरेक्टर प्रभजोत सिंह से मिली जानकारी के अनुसार, शुरुआत में आशा कार्यकर्ताओं को जिले के धंधोला गांव के एक ही घर में खसरे के तीन मामले मिले थे। नौ से 10 मई के बीच किए गए सर्वे में जिले के अन्य गांव मरोरा में आठ और नए मामले दर्ज किए गए थे।
आए दिन तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए आइए जानें खसरा के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में। साथ ही जानेंगे उससे बचने के तरीके।
खसरे की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके कारण हर साल करीब 26 लाख लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती थी। साल 1963 में वैक्सीन आने के बाद हर 2 से 3 साल में इस प्रमुख महामारी (major epidemic) के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई। सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन होने के बावजूद साल 2018 में एक लाख 40 हजार से अधिक लोगों की मौत खसरे के कारण हो गई। जिनमें ज्यादातर 5 साल से कम आयु के बच्चे शामिल थे। खसरा के कारण होने वाली मौतों को रोकने में वैक्सीन सबसे अहम है।
इसलिए बच्चें और प्रगनेंट महिलाओं को इसकी वैक्सीन जरुर लगवा लेनी चाहिए। जिन इलाकों में इसका संक्रमण फैल रहा है उन जगहों पर भीड़भाड़ न होने दें। ऐसे लोगों को भी इन जगहों पर नहीं जाना चाहिए।
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विश्व स्वास्थ संगठन (World Health Organization) के मुताबिक-
आमतौर पर खसरा तेज बुखार के साथ शुरु होता है। इस बीमारी से संबंधित वायरस के चपेट में आने के करीब 10 से 12 दिन बाद पीड़ित को बुखार आता है। यह बुखार पीड़ित में 4 से 7 दिनों तक रह सकता है। इसके साथ खांसी, आंखें लाल होना व उससे पानी निकलना भी शुरू हो जाता है। शुरुआती दिनों में गाल के भीतरी भागों में सफेद छोटे धब्बे दिखाई देते हैं।
कुछ दिनों के बाद अमूमन पीड़ित के चेहरे और गर्दन के ऊपरी हिस्से पर दाने निकल आते हैं। करीब 3 दिनों में ये दाने तेजी से फैलकर हाथों और पैरों तक पहुंच जाते हैं। दाने 5 से 6 दिनों तक दिखाई देते हैं फिर धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं। संबंधित वायरस के संपर्क में आने के औसतन 14 दिन तक (7 से 18 दिनों तक) दाने शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर नजर आते हैं।
WHO के अनुसार खसरा पैरामाइक्सोवायरस फैमिली के एक वायरस के कारण होने वाली बेहद संक्रामक, गंभीर बीमारियों में से एक है। आम तौर पर इसका संक्रमण संबंधित वायरस से संक्रमित हवा के जरिए लोगों के सीधे संपर्क में आने से हो जाता है। शरीर में पहुचने के बाद यह वायरस सांस लेने संबंधी अंगो को संक्रमित करता है फिर पूरे शरीर में फैल जाता है।
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खसरा खांसने और छींकने, निकट व्यक्तिगत संपर्क या संक्रमित के नाक या गले से निकलने वाले स्राव के सीधे संपर्क से फैलता है। ऐसे में बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना चाहिए।
खसरे का वायरस हवा में या संक्रमित सतहों पर 2 घंटे तक सक्रिय और संक्रामक रहता है। यह संक्रमित व्यक्ति में दाने की शुरुआत से 4 दिन पहले से लेकर दाने निकलने के 4 दिन बाद तक फैल सकता है। ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखना जरूरी है।
खसरे से संबंधित मौतें ज्यादातर अन्य बीमारीयों की जटिलताओं के कारण होती हैं। ज्यादातर 5 साल से कम आयु के बच्चों और 30 साल से अधिक आयु के वयस्कों में खसरे के सक्रमण की जटिलताएं गंभीर होती है। जिन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता उनमें अधिकतर खसरे के संक्रमण का गंभीर रुप देखने को मिल सकता है। यह गंभीरता खासकर उन बच्चों में देखने को मिल सकती है जो विटामिन ए की कमी से जूझ रहे होते हैं। जिन वयस्कों में एचआईवी या अन्य किसी घातक संक्रमण के कारण इम्युनिटी कमजोर हो चुकी है, उनके लिए भी खसरा घातक हो सकता है।
खसरा वायरस के लिए कोई विशेष एंटीवायरल उपचार मौजूद नहीं है। जिस किसी को इसका संक्रमण हो जाए उसकी उचित देखभाल कर जोखिम को कम किया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ की सिफारिश है कि इससे पीड़ित व्यक्ति को ओरल रिहाइड्रेशन लिक्विड, अच्छा पोषण, पर्याप्त लिक्विड वाला आहार देना चाहिए और डिहाइड्रेशन का उपचार जरुर करना चाहिए।
हमेशा हाइड्रेटेड बनाए रखना चाहिए। ऐसा करके दस्त या उल्टी से खोए गए पानी के मात्रा की भरपाई को आसानी से बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
आंख व कान के संक्रमण और निमोनिया के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक्स लेना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के मुताबिक, खसरे से पीड़ित बच्चे को 24 घंटे के अंतराल पर विटामिन ए की दो खुराक लेनी चाहिए। जिससे उनके आंखों को होने वाले नुकसान और अंधापन को रोकने में मदद मिल सकती है।
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