Basoda Recipe: बासोड़ा के लिए बनाएं ये 7 व्यंजन, जो ठंडे होने के बाद भी हेल्दी रहते हैं
शरीर को हेल्दी रखने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन फायदेमंद साबित होता है। मगर एक पर्व ऐसा भी है, जिसमें बासी भोजन का भोग लगाने की प्रथा है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर हर साल शीतला अष्टमी का पर्व पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता को खाने की बासी वस्तुओं का भोग लगाया जाता हैं।
बासी भोजन यूं तो खाने में हेल्दी नहीं होता है। मगर शीतला अष्टमी के मौके पर उन व्यंजनों को तैयार किया जाता है। जो शीतल होकर शरीर में जीवाणु और रोगाणु बढ़ाने की जगह इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं। इससे पाचन में सुधार होता है और शरीर स्वस्थ बना रहता है। डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि मौसम में आने वाले सामान्य बदलाव के चलते फर्मेटिड फूड खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आने लगता है। ऐसे में गुड़, चावल और आटे के तैयार रेसिपीज़ ठंडी करके खाने ये शरीर को पोषण की प्राप्ति होती हैं।
शीतला अष्टमी के दिन मां को बासी भोजन भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। इस परंपरागत पूजन को लेकर लोगों की मान्यता है कि पूजन के दिन आग नहीं जलाई जाती है, जिसके चलते खाना एक रात पहले तैयार करने का विधान है। मगर एक्सपर्ट के अनुसार भोजन को ठंडा करके खाने से शरीर को शीतलता मिलती है और डाइजेशन में सुधार होता है।
फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर बाजरा पाचनतंत्र को मज़बूती प्रदान करता है। पैन में घी गर्म कर लें और उसमें अजवाइन को डालें। अब बाजरे का आटा डालकर भूनें। अब इसमें गुड़, अदरक और नमक डालकर हिलाएं। हल्का सूनहरा होने पर पानी डाल दें। ध्यान रखें की लंप्स न बनें और मिश्रण को अच्छी तरह से हिलाएं। एक उबाल आने दें और फिर 5 मिनट तक पकाएं। राब तैयार होने के बाद सूखे मेवों को काटकर उसमें एड कर दें और कटोरी या गिलास में डालें।
चावलों में फाइबर, कार्ब्स और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है, जिससे बार बार भूख लगने की समस्या हल हो जाती है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले 1 कटोरी चावल भिगोकर रख दें और उसके बाद पैन में घी को गर्म कर लें। अब उसमें ग्रेटिड नारियल, लौंग और छोटी इलायची डालकर हिलाएं । इसके बार बादाम, काजू और किशमि को डाल दें। हल्का पवकाने के बाद भीगे हुए चावल पैन में डालें और दो कटोरी पानी एड कर दें।अब इसमें कोकोनट शुगर, केसर और कुछ बूंद फूड कलर एड कर दें। पकने के बाद चावलों को बचे हुए सूखे मेवों से गार्निश करें।
आटे से तैयार मीठे पुए बनाने के लिए गुड़ और आटे का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर को इंस्टेंट एनर्जी की प्राप्ति होती है। इसे बनाने के लिए गुड़ को मेल्ट कर लें और उसमें आटे को मिला लें। अब इस मिश्रण कुछ देर के लिए ढ़ककर रख दें। इसके बाद मिश्रण में इलायची पाउडर, खसखस, चावल का आटा और सूखे मेवे मिला सकते है। अब कढ़ाई में तेल को गर्म होने दें और उसके बाद आटे को गोलाकार देकर तेल में डालते जाएं और सुनहरा होने लक पकाएं।
ठंडी खीर का भी भोग इस दिन खासतौर से लगाया जाता है। इसे बनाने के लिए चावल को आधा घंटा भिगोकर रखें। उसके बाद पानी अलग कर दें। अब पैन में दूध को गर्म कर लें और उसमें चावलों को डालकर पकाएं। कुछ देर तक पकने के बाद उसमें स्वादानुसार शक्कर एड कर लें। गैस बंद करके बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता और अखरोट डालें।
प्रोबायोटिक से भरपूर दही का सेवन करने से गट में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। इस रेसिपी को बनाने के लिए सबसे पहले उड़द और मूंग की दाल लेकर उसे 3 से 4 घंटे तक भिगोकर रखें। उसके बाद मुलायम होने पर दाल को छानकर पीस लें। दाल को फेंटकर इसमें नमक, काली मिर्च, अदरक और हरी मिर्च मिलाएं। कढ़ाई में तेल को गर्म कर लें। फिर हाथों से मिश्रण को बड़ों का आकार देते हुए उन्हें तलें। सुनहरा होने तक पकाएं और फिर उन्हें ठंडा होने के बाद नमक और हींग के पानी में भिगो दें। दही में मिठास एड करके बड़े डालें और चटनी व मसाले एड कर दें।
पूजा के लिए कढ़ी चावल तैयार करने के लिए पहले चावलों को अलग उबालकर तैरूर कर लें। उसके बाद कढ़ी बनाने के लिए दही में बेसन, लाल मिर्च, हल्दी, नमक व कसूरी मेथी डालकर घोल तैयार कर लें। अब पैन में तेल गर्म करके उसमें हींग, मेथीदाना, अजवाइन और जीरा डालकर पकाएं। उसके बाद उसमें तैयार बेसन का घोल एड कर दें। इसे धीमी आंच पर पकाएं। अब इसमें प्याज, लहसुन और अदरक का छोक लगाएं और प्याज व आजू के पकौड़े तैयार करके एड कर दें।