By Anjali Kumari
Published Feb 03, 2025

Healthshots

एक मजबूत पाचन के निर्माण में इन 6 तरह से मददगार है योगर्ट

क्या आपको अक्सर गैस, अपच, ब्लोटिंग आदि जैसी पाचन संबंधी समस्या रहती है? ऐसी परेशानी को बार बार होने से रोकने के लिए रोजाना योगर्ट खाएं। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोबायोटिक्स मौजूद होते हैं, जो आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया के ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं। इसके सेवन से आपकी पाचन क्रिया पूरी तरह संतुलित रहती है, और आपको एक बेहतर पाचन स्वास्थ्य के निर्माण में मदद मिलती है।

Image Credits: Adobe Stock

प्रोबायोटिक्स

Image Credits: Adobe Stock

योगर्ट में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस और बिफिडोबैक्टीरियम बिफिडम जैसे लाभकारी बैक्टीरिया की जीवित और सक्रिय प्रवृति होती हैं। ये प्रोबायोटिक्स एक स्वस्थ आंत माइक्रोबायोम को बनाए रखने में मदद करते हैं।

Image Credits: Adobe Stock

शॉर्ट-चेन फैटी एसिड के उत्पादन में मदद करता है

Image Credits: Adobe Stock

दही के प्रोबायोटिक्स शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (SCFA) के उत्पादन करने में मदद करते हैं, जो कोलन की कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करते हैं और आंतों में स्वस्थ बैक्टिरियल वातावरण को बढ़ावा देते हैं।

Image Credits: Adobe Stock

गट बैरियर फंक्शन का समर्थन करता है

Image Credits: Adobe Stock

योगर्ट के प्रोबायोटिक्स और पोषक तत्व जैसे कैल्शियम और विटामिन डी गट बैरियर फंक्शन को बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे लीकी गट सिंड्रोम जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।

Image Credits: Adobe Stock

IBS के लक्षणों को मैनेज करने में मदद करता है

Image Credits: Adobe Stock

योगर्ट में मौजूद प्रोबायोटिक्स और फाइबर IBS के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से सूजन, पेट में दर्द और मल त्याग में बदलाव में सुधार देखने को मिल सकता है।

Image Credits: Adobe Stock

खाद्य पदार्थों को पचाने में मदद करता है

Image Credits: Adobe Stock

दही के प्रोबायोटिक्स और एंजाइम (जैसे लैक्टेज) प्रोटीन पाचन में सहायता करते हैं, जिससे लैक्टोज इनटोलरेंस और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आईबीएस) के लक्षण से राहत प्राप्त करने में मदद मिलती है।

Image Credits: Adobe Stock

गट मोबिलिटी को बढ़ावा देता है

Image Credits: Adobe Stock

दही के प्रोबायोटिक्स और पोषक तत्व आंत की गतिशीलता को रेगुलेट करने में मदद करते हैं, जिससे कब्ज या दस्त का खतरा कम हो जाता है।

Image Credits: Adobe Stock