By Jyoti Sohi
Published Oct 10, 2024
रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियां व्यक्ति के तन और मन को प्रभावित करती है। व्यक्ति शारीरिक समस्याओं का तो इलाज करवाता है, मगर मानसिक स्वास्थ्य को दरकिनार करने लगता है। इसका असर उसके विचार और व्यवहार दोनों पर ही दिखने लगता है। जानते हैं वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर कि वो कौन से संकेत हैं, जो खराब मानसिक स्वास्थ्य की ओर इशारा करते हैं
हर बात पर गुस्सा आ जाना
गुस्सा आने पर चीखना, चिल्लाना और सामान इधर से उधर फेंकना मानसिक अस्वस्थता का परिचय देता है। वे लेग जो तनाव का शिकार होते है, उनकी मनोदशा में परिवर्तन आने लगता है। बार बार मूड स्विंग होना, चिड़चिड़ापन बढ़ना और उदासी का सामना करना पड़ता है। साथ ही छोटी सी बात गुस्से का कारण बनने लगती है।
नींद न आने की समस्या
तनाव के चलते व्यक्ति के दिमाग में विचार हर पल घूमते रहते हैं। दिमाग शांत न होने के चलते नींद न आने की समस्या बनी रहती है। सोने और उठने का समय तय न होने से शरीर में हार्मोन इंबैलेंस बना रहता है और शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है। इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है।
एनर्जी की कमी
शरीर में तनाव के कारण ऊर्जा की कमी, कमज़ोरी और थकान महसूस होने लगती है। हर पल शरीर थका हुआ रहने से मांसपेशियों में भी दर्द व ऐंठन बनी रहती है। इसका असर न केवल निजी जिंदगी पर दिखता है बल्कि कार्यक्षमता भी प्रभावित होने लगती है। साथ ही एकाग्रता की कमी, भूख कम लगना और एंग्ज़ाइटी बनी रहती है।
अकेले रहने की आदत
ऐसे लोग अन्य लोगों का साथ पाने की बजाय हर कार्य अकेले करने और अकेला बैठना पंसद करते है। वे ऐसा मानने लगते हैं कि कोई भी उनकी समस्या को नहीं समझ सकता। इसके चलते वो खुद को आइसोलेट कर लेते है। सोशल सर्कल की कमी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है और विचारों में नकारात्मकता बढ़ने लगती है।
खान पान की आदतों में बदलाव
वे लोग जो डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी का शिकार होते हैं, उनके खाने पीने की आदतो ंमें बदलाव आने लगता है। जहां कुछ लोगां का एपिटाइट कम हो जाता है, तो कुछ लोगों को स्ट्रेस इटिंग के चलते मोटापे का सामना करना पड़ता है। इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। ऐसे में मोटापे के चलते हुदय रोगों और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बना रहता है।