By Jyoti Sohi
Published Oct 16, 2024
दिनों दिन बढ़ने वाली खानपान की अनहेल्दी आदतें और प्रदूषण का प्रकोप सांस संबधी समस्याओं का कारण बन रहा है। सांस लेने में बढ़ने वाली तकलीफ से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर के अन्य अंगों के साथ फेफड़ों के स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना आवश्यक है। जानते हैं किन टिप्स की मदद से सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है।
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें
तेज़ी से बढ़ रहे पॉल्यूटेट्स के प्रभाव से बचने के लिए शरीर को डिटॉक्सिफाई करने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद लें। इससे लंग्स की क्षमता में सुधार आने लगता है। एक्सरसाइज़ को करने के लिए गहरी सांस लें और उस दौरान पेट को फुलाकर रखें। उसके बाद सांस को छोड़ें और पेट को अंदर की ओर कर लें। इससे विषाक्त पदार्थों से शरीर मुक्त हो जाता है।
पौष्टिक आहार का करें सेवन
शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाने के लिए मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करें। इससे शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस, डाइटरी फाइबर और विटामिन व मिनरल की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से पौष्टिक आहार के सेवन से फेफड़ों की क्षमता में सुधार आने लगता है। सीड्स और ओटमील से मिलने वाले ओमेगा-3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से बचा जा सकता है।
तंबाकू उत्पादों से दूर रहें
धूम्रपान फेफड़ों में बढ़ने वाली समस्याओं का कारण बनने लगती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। सांस संबधी समस्याओं से बचने और लंग्स को डिटॉक्स करने के लिए स्मोकिंग से परहेज करें। इससे सांस लेने में दिक्कत के अलावा लंग्स के कैंसर का खतरा भी बढ़ने लगता है। दरअसल, फेफड़ों के डैमेज होने के बाद सांस लेने और रिलीज़ करने में परेशानी बढ़ने लगती है।
भरपूर मात्रा में पानी पीएं
निर्जलीकरण की समस्या फेफड़ों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है और रेस्पीरेटरी सिस्टम की म्यूक्स लाइनिंग इससे प्रभावित होने लगती है। इसके चलते सांस लेने और छोड़ने में कठिनाई बढ़ जाती है और गला सूखने लगता है। पानी की भरपूर मात्रा में लंग्स कका कार्य सुचारू बना रहता है और शरीर भी हाइड्रेट रहता है।
सोने की पोज़िशन ठीक करें
पीठ के बल सोएं और स्पाइन को सीधा रखें। वे लोग जो करवट लेकर सोते हैं, उन्हें अपनी टांगों के मध्य पिलो दबाकर सोना चाहिए। इससे शरीर रिलैक्स होने लगता है और नींद भी बेहतर आती है। नियमित रूप से सोने की इस पोज़िशन को फॉलो करने से सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। इसकी मदद से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के खतरे से बचा जा सकता है।