Healthshots
By Smita Singh
Published June 19, 2023
बच्चे यदि जिद्दी और लापरवाह हैं, तो उन्हें कुछ कहने से पहले अपने आप को देखें। अपनी बुरी आदतों को छोड़ने का प्रयास करें। क्योंकि बच्चे हमेशा अपने पेरेंट्स को फ़ॉलो करते रहते हैं। उन्हें सिखाने की जिम्मेदारी आपकी है।
बच्चों के सामने पेरेंट्स अक्सर किसी बात पर बहस करने लगते हैं। इस आदत को छोड़ दें। बच्चे से भी किसी बात पर बहस नहीं करें। वे जो कुछ कहना चाह रहे हैं, उन्हें सुनें। तर्क की बजाय बातचीत करें।
अक्सर मां-पिता आपस में लड़ते हैं। ग्रैंड पेरेंट्स की शिकायत करते हैं। पारिवारिक सदस्य आपस में बातचीत नहीं करते हैं। इसका बुरा प्रभाव बच्चे पर पड़ता है। परिवार के सभी सदस्य के बीच सामंजस्य होना जरूरी है।
हर बात मनवाने के लिए बच्चे को नियंत्रित करना बुरी आदत है। इससे उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वे हर बात के लिए आपके गुलाम हैं। उन्हें अपनी बातों से भ्रमित करने की बजाय उनके सामने दो या तीन विकल्प पेश करें।
मुद्दे को अपने बच्चे के दृष्टिकोण से देखें। यह समझने की कोशिश करें कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है। यदि आपने उन्हें कहीं घूमने जाने का वादा किया था, लेकिन किसी कारणवश मना कर दिया है। तो उन्हें सही कारण बताएं। क्योंकि वादा पूरा न होने पर बच्चे का दिल टूटना स्वाभाविक है।
घर में आपका बच्चा खुश, आरामदायक और सुरक्षित महसूस करता है। बच्चे के सामने अपमानजनक व्यवहार न करें। घर में हमेशा लड़ाई-झगड़े, तर्क-कुतर्क, दुर्व्यवहार बच्चे को असुरक्षित महसूस करा सकता है। इससे बच्चे के स्वभाव में भी परिवर्तन हो सकता है।
अक्सर बच्चे के तंग करने पर हम धैर्य खो देते हैं। उनकी पिटाई भी कर देते हैं। यह बुरी आदत बच्चे को जिद्दी बना सकता है। इसलिए गुस्सा करने की बजाय उनसे बातचीत करने की कोशिश करें।
यदि आप 'नहीं', 'नहीं कर सकती', या 'नहीं करेंगे' जैसे शब्दों का बहुत अधिक प्रयोग करती हैं, तो इसे छोड़ दें। यह नकारात्मक प्रभाव डालता है। नकारा त्मक की बजाय सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करें।
कुछ पेरेंट्स देर रात तक जगते हैं और सुबह देर से उठते हैं। इससे बच्चे की नींद पूरी नहीं हो पाती है। इसका प्रभाव फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। हेल्दी रूटीन बच्चे के व्यवहार के साथ-साथ स्कूल में प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।