प्रदूषण से हो रही है सांस लेने में परेशानी, तो इन 5 योगासनों से बढ़ाएं फेफड़ों की ताकत
महानगर ही नहीं, छोटे शहरों में भी प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया है, कि लोग बार-बार बीमार होने लगे हैं। प्रदूषण का बोझ आपके फेफड़ों को जरूरत से ज्यादा काम करने के लिए दबाव बनाता है। जिससे वे कमजोर होने लगते हैं। अगर आप भी अकसर सर्दी-खांसी या ब्रीदिंग इश्यूज का सामना करती हैं, तो यह संकेत है कि आपके फेफड़े कमजोर हो रहे हैं।
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नियमित रूप से योगाभ्यास करने से लंग्स की क्षमता बढ़ जाती है। आप लंबे समय तक अपनी सांस को रोक सकती हैं। साथ ही योग लंग्स की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और सिंपैथेटिक रिएक्टिविटी को कम कर देता है। जिस वजह से आप स्ट्रेस और एंग्जाइटी से मुक्त रहती हैं।
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हस्त पादासन (Hand To Foot Pose)
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हस्त पादासन का अभ्यास शरीर के सभी अंगों में खिचाव पैदा करता है। साथ ही यह फेफड़ों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे करने के लिए सीधी खड़ी हो जाएं और फिर अपने शरीर को कमर से मोड़ते हुए निचे की और झुकाएं और अपने हाथों को पैर के पंजे के बगल में जमीन पर टिकाएं। इस मुद्रा में 15 सेकंड तक बनी रहें और फिर सामान्य मुद्रा में वापस आ जायें।
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सेतु बंधासन (Bridge Pose)
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सुबह खली पेट सेतु बंधासन के अभ्यास से फेफड़ों को कई लाभ मिलेंगे। इस योग को करने के लिए योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। अपने हाथों को शरीर के बगल में रखें और पैर को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं। फिर शरीर को बिच से ऊपर की और उठायें। 15 सेकंड तक इस मुद्रा में बनी रहें फिर सामन्य मुद्रा में वापस आ जाएं।
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भुजंगासन (Cobra Pose)
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इसका अभ्यास अस्थमा और सांसो से जुडी अन्य समस्यायों को नियंत्रित रखता है और इनमे सुधार करता है। इसका अभ्यास करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को सतह पर रखते हुए आगे के शरीर को ऊपर की और उठायें।
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मार्जयासन (Cat Pose)
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सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। फिर अपने दोनों हाथों की हथेलियों एवं पैर के दोनों घुटनों को सतह पर जमा लें। उसके बाद कूल्हों को ऊपर की ओर उठायें। आपका आकर बिल्कुल एक बिल्ली के समान नजर आना चाहिए। एक लंबी सांस लेते हुए सिर को छाती की ओर झुकाएं और पीठ को ऊंट की तरह बाहर की ओर निकालें।
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सुखासन (easy pose)
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इस पोज को आमतौर पर हम मेडिटेशन के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस अभ्यास को करने के लिए अपने दोनों पैर को क्रॉस करके बिलकुल रिलैक्स होकर सीधा बैठ जाएं। इस मुद्रा में बैठते वक़्त अपनी रीढ़ की हड्डियों को पूरी तरह सीधा रखें। यह रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम को दूर रखता है और आपको स्ट्रेस फ्री रहने में मदद करता है।