By Jyoti Sohi
Published Dec 25, 2024
शरीर में थायराइड का बढ़ना हाइपोथायरायडिज्म कहलाता है। हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है। सही समय पर जांच और उपचार न मिलने पर हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर में कई समस्याओं का जोखिम बढ़ने लगता है। जानते हैं हाइपोथायरायडिज्म के कारण बढ़ने वाली समस्याएं
थकान का बढ़ना
हाइपोथारायडिज्म के सबसे आप लक्षणों में से एक है थकान होना। थायराइड से ग्रस्त लोगों में ये लक्षण आमतौर पर देखने को मिलता है। लोगों में थकान और कमज़ोरी बढ़ने लगती है। शारीरिक अंगों में स्टिफनेस बढ़ने से रोजमर्रा के कार्य प्रभावित होते है।
वेटगेन का सामना करना
हाइपोथायरायडिज्म क कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है। साथ ही वॉटर रिटेंशन की समस्या बढ़ने लगती है, जो वज़न बढ़ने का मुख्य कारण साबित होता है। इसके अलावा नींद न आने की समस्या का सामना करने पर भी हाइपोथायरायडिज्म का सामना करना पड़ता है।
डिप्रेशन का खतरा बढ़ना
इस समस्या से ग्रस्त लोगों को मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा बायपोलर डिसऑर्डर ओर डिप्रेशन का भी सामना करना पड़ता है। रिसर्च के अनुसार शरीर में मौजूद सोमाटोस्टैटिन और सेरोटोनिन हार्मोन हाइपोथैलेमस पिट्यूटरी थायरॉयड एक्सिस को प्रभावित करते हैं। इसके चलते हाइपोथायरायडिज्म को डिप्रेशन से जोड़कर देखा जाता है।
अनियमित पीरियड का सामना करना
इसके चलते शरीर में पेनफुल और अनियमित पीरियड की समस्या बनी रहती है। हाइपोथायरायडिज्म के कारण भारी रक्तस्राव बना रहता है। साथ ही सिरदर्द, ऐंठन, पेट दर्द और पीठ दर्द की समस्या बनी रहती है। इसके तहत पीरियड साइकिल की समय सीमा भी बढ़ने लगती है।
गर्भपात का खतरा बढ़ना
इसे अंडरएक्टिव हार्मोन भी कहा जाता है। इसके चलते शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस बढ़ता है, जिससे बच्चे की ग्रोथ प्रभावित होने लगती है। इससे कंसीव करने में दिक्कत आती है और मिसकैरेज का खतरा भी बढ़ने लगता है। हाइपोथायरायडिज्म का प्रभाव ओव्यूलेशन साइकिल पर देखने को मिलता है।
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