By Jyoti Sohi
Published Sep 30, 2024
हर काम को करने की जल्दबाज़ी और उतावलापन अटेंशन.डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) की ओर इशारा करता है। इसमें व्यक्ति किसी काम पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाता है और जल्दी उस काम से मुक्ति पाना चाहता है। ये बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है। आमतौर पर 6 साल से कम उम्र के बच्चों में इसके लक्षण देखने को मिलते है, जो उम्र के साथ बढ़ने लगते हैं। जानते हैं अटेंशन.डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के लक्षण।
फोकस न कर पाना
इस समस्या से ग्रस्त लोग किसी की कार्य पर पूर्ण रूप से फोकस नहीं कर पाते हैं। इससे वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं और उसका प्रभाव काम की गुणवत्ता पर भी दिखने लगता है। ध्यान केंद्रित न कर पाने से डेडलाइन मिस करने का जोखिम बढ़ जाता है।
उतावलापन बना रहना
एक जगह पर बैठकर किसी भी कार्य को निश्चित तरीके से करने की बजाय हड़बड़ाहट का सामना करना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार इस समस्या से ग्रस्त बच्चों को भी एक जगह पर बैठाकर रखना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति जल्दबाज़ी में रहने से तनाव का शिकार होने लगते है। इसका असर उनके व्यवहार पर दिखने लगता है।
एक जगह टिक कर न बैठ पाना
अपनी बारी का इंतज़ार न कर पाना और बिना सोचे समझे कोई भी फैसला लेना इस समस्या का मुख्य संकेत है। अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के शिकार लोगों में ठहराव की कमी पाई जाती है। वे खुद को नियंत्रित नहीं कर पाते है और दूसरे की बात खत्म हुए बगैर अपनी बात रखने की जल्दबाज़ी उनमें बनी रहती है।
भावुक हो जाना
वे लोग जो इस समस्या से ग्रस्त है, उन्हें अपनी भावनाओं पर काबू पाना नहीं आता है। वे छोटी सी बात पर क्रोधित और परेशान हो जाते हैं। वहीं छोटी सी बात उनकी खुशी का भी कारण बनने लगती है। उनके व्यवहार अचानक से बदलाव महसूस होने लगता है। ऐसे लोगों में बदलाव की चाहत बनी रहती है। फिर चाहे नौकरी हो, पार्टनर हा या कोई कार्य।
अधिक ऊर्जावान होना
ऐसे लोगों को एक जगह बैठने की जगह इधर से उधर घूमना, कोई न कोई कार्य करना और बिना रूके बोलने की आदत होती है। उनका ये व्यवहार अन्य लोगों की परेशानी को बढ़ा सकता है, जब कि वे अपने व्यवहार का आंकलन नहीं कर पाते है। ऐसे लोगों को एनर्जी की अधिक मात्रा होने से नींद न आने की समस्या का भी सामना करना पड़ता है।