By Jyoti Sohi
Published Aug, 2024
माता पिता बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं। उनका व्यवहार, बातचीत का तरीका और उठने बैठने का सलीका बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जहां बात बात पर बच्चे को डांटना और फटकाराना उसकी मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। वहीं बच्चे को प्यास से गले लगाना और उसे डांटने की जगह समझाना उसके मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत भी बना सकता है। जानते हैं पेरेंट्स का व्यवहार बच्चे की ग्रोथ को कैसे प्रभावित करता है।
आत्मविश्वास का बढ़ना
बच्चों को उनकी इच्छा के मुताबिक काम करने के लिए प्रोत्साहित करने से बच्चों में आत्मविश्वास की भावना बढ़ने लगती है। माता पिता का साथ मिलने से बच्चे खुद पर विश्वास करने लगते है और हर काम में र्पार्टसिपेट करना पंसद करते हैं। इससे उनका बौद्धिक विकास होने लगता है।
कम्युनिकेशन स्किल्स
हर पल अपनी बात को सही ठहराने की जगह बच्चों के मन की बात को सुनना आवश्यक होता है। माता पिता बच्चे के लिए वो पेहली पायदान है, जहां से उसे आगे बढ़ने की ताकत मिलती है। बच्चों को अपनी राय देने की फ्रीडम देने से वो एक्सप्रैसिव होने लगते हैं और उससे बातचीत के तरीके में सुधार आने लगता है।
मेंटल हेल्थ में सुधार
बात बात पर बच्चों को डांटने से बच्चे हर पल सहमे और डरे हुए रहने लगते हैं। बच्चों को अपने मन की बात जाहिर करने से लेकर अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इससे बच्चे के मन में डर की भावना कम होने लगती है और वे हर पल खुश और एनर्जी से भरपूर रहते हैं।
इमोशनल हेल्थ में बदलाव
बच्चों को प्यार और अटेंशन देने व उन्हें समझने से रिश्तों में दूरिया कम होने लगती है। बच्चे आसानी से अपनी हर बात को माता पिता के साथ शेयर करने लगते हैं। इससे वे भावनात्मक रूप से मज़बूत होने लगते है और तनाव व डिप्रेशन के जोखिम से दूर रहते हैं।
कुछ नया सीखने की इच्छा बढ़ना
माता पिता का व्यवहार बच्चे की मेंटल और फिजिकल ग्रोथ को प्रभावित करता है। पेरेंट्स का सहयोग मिलने से बच्चे में एकाग्रता बढ़ने लगती है, जिससे एजुकेशन के क्षेत्र में बच्चा आगे बढ़ता है। साथ ही नई चीजों को सीखने की चाहत उसमें बढ़ने लगती है। बच्चा हर काम में अपना इंटरस्ट शो करने लगता है।