Healthshots
By Anjali Kumari
Published April 13, 2023
हाइपोकैल्शिमिया की स्थिति में खून में कैल्शियम की कमी हो जाती है। इस स्थिति में हड्डियों का ग्रोथ धीमा हो जाता है और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। कैल्शियम की कमी से नर्व, मसल्स, डाइजेस्टिव ट्रैक, किडनी से लेकर दिल की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आम बच्चों की तुलना में हाइपोकैल्शिमिया से पीड़ित बच्चे की हाइट उम्र के हिसाब से छोटी रह जाती है। जिस उम्र में आम बच्चों की हाइट जितनी होनी चाहिए उनका ग्रोथ उस हिसाब से नहीं होता।
जो बच्चे हाइपोकैल्शिमिया से पीड़ित होते हैं उनकी त्वचा जरूरत से ज्यादा ड्राई होती है। जिसकी वजह से त्वचा में खुजली की समस्या, इंफेक्शन और अन्य स्किन प्रॉब्लम्स के होने का खतरा बना रहता है।
शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण नाखून काफी कमजोर हो जाते हैं। इस स्थिति में नाखून आसानी से टूट जाते हैं और इनमें दरारें पड़ने लगती हैं।
हाइपोकैल्शिमिया का असर सबसे पहले बच्चों की हड्डियों पर पड़ता है। हड्डियां कमजोर और ब्रिटल हो जाती है। जिसकी वजह से बच्चों को चलने में तकलीफ होती है, साथ ही फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है।
शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण बच्चों के पैर और हाथ की उंगलियों में झनझनाहट महसूस होती है। साथ ही कभी कभार हाथ एवं पैरों में भी टिंगलिंग महसूस होती है।