Healthshots
By Anjali Kumari
Published April 24, 2023
सनस्क्रीन सूरज की हानिकारक किरणों के प्रभाव से त्वचा को प्रोटेक्ट करता है। इसका इस्तेमाल सनटैनिंग नहीं होने देता और पिंपल, एक्ने, ब्रेकआउट इत्यादि जैसी समस्याओं को होने से रोकता है। वहीं यह सूरज की किरणों के प्रभाव से होने वाले कैंसर के खतरे को भी कम कर देता है।
सभी सनस्क्रीन सूरज की किरणों से होने वाले कैंसर के प्रभाव को रोकने में सक्षम नहीं होती हैं। केवल कुछ सनस्क्रीन इस परीक्षण को पास करती हैं और उन्हें ‘ब्रॉड-स्पेक्ट्रम’ के रूप में लेबल किया जाता है।
सनस्क्रीन खरीदने से पहले, सुनिश्चित करें कि सनस्क्रीन कम से कम SPF30 या उससे अधिक हो। एसपीएफ़ की संख्या जितनी अधिक होगी, यूवीबी किरणों से बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
वॉटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन बहुत जरूरी है, खासकर जब आप पानी की गतिविधि करने जा रही हों। स्विमिंग के दौरान और मानसून के मौसम में भीगने पर भी यह सूरज की हानिकारक किरणों से स्किन को प्रोटेक्ट करता है।
स्किन का जो हिस्सा कपड़े से कवर नहीं हो रहा उस पर पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन लगाकर एक प्रोटेक्शन लेयर तैयार करें।
क्लॉउडी मौसम में भी लगभग 80 प्रतिशत तक सूरज की हानिकारक किरणों का प्रभाव वातावरण में बना रहता है। यदि ऐसे मौसम में कहीं बहार जा रही हैं, तो नियमित दिनों की तरह त्वचा पर पर्याप्त मात्रा में सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
यदि आप सनस्क्रीन को एक सामान्य रूप से त्वचा पर सभी और नहीं मिलाती हैं, तो आपको इसका उचित लाभ नहीं मिलता। इसे हल्के हांथों से त्वचा पर सभी और अच्छी तरह मिलाएं।
यदि आप अपने दिन का एक लंबा समय बाहर व्यतीत कर रही हैं, तो 2 घंटे पर सनस्क्रीन को दोबारा से अप्लाई करें। खासकर यदि आप स्विमिंग करती हैं तो इसे अप्लाई करना अनिवार्य है।