Healthshots
By Anjali Kumari
Published Jan 29, 2023
स्ट्रेस न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। लोगों के प्रति दयालुता का भाव प्रकट करने और लोगों की मदद करने से बॉडी में सेरोटोनिन यानी की फील गुड हार्मोन का स्तर बढ़ता है, और कॉर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है। जिसकी वजह से तनाव का प्रभाव बेहद कम हो जाता है।
आपका दयालु व्यवहार आपकी ख़ुशी को बढ़ा सकता है। लोग जितने दयालु होते हैं, उनमें तनाव तनाव उतना ही कम होता है। वहीं बाकी लोगों की तुलना में वे अधिक खुश नजर आते हैं। जब किसी के प्रति दया की भावना प्रकट करते हैं, तो यह इस बात को दर्शाता है कि हम दूसरों से खुद के प्रति भी ऐसे ही भाव की अभिलाषा रखते हैं।
दूसरों के प्रति काइंडनेस प्रकट करने से सोशल कनेक्शन मजबूत होता है। दोस्त, पार्टनर, परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रिश्ता मजबूत होता है। जब आप बुरे वक्त में होती हैं, तो उस वक्त आपके साथ खड़े होने के लिए कई लोग मौजूद होते हैं। कभी न कभी आपने भी लोगों की मदद की हुई होती है, जो आप दोनों के कनेक्शन को स्ट्रांग बनता है।
जिस प्रकार पॉजिटिव बिहेवियर पॉजिटिविटी को अट्रैक्ट करता है और नेगेटिव, नेगेटिविटी को, ठीक उसी प्रकार लोगों की प्रति आपका व्यवहार रिवर्स होकर दूसरे लोगों के माध्यम से आपके पास एक न एक दिन जरूर आता है। यदि आप लोगों के साथ काइंड रहती हैं, तो इससे लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन के कारण दूसरों का व्यवहार भी आपके प्रति काइंडनेस में बदल जाता है।
जब आप दूसरों के प्रति काइंड होती हैं तो यह आपकी इंडिविजुअल बिलॉन्गिंग को दर्शाता है कि आप व्यक्तिगत रूप से कहीं पर मौजूद है। साथ ही साथ यह लोगों के साथ एक पर्सनल कनेक्शन बनाने में मदद करता है, जिससे कि आपके अंदर सेंस आफ बिलॉन्गिंग बढ़ती है। हर जगह पर आपकी खुद की एक पहचान होती है और वहां आपको आपके काइंडनेस के लिए जाना जाता है।
दूसरों के प्रति दयालुता का भाव प्रकट करने से सोशल कनेक्शन मजबूत हो जाता है। साथ ही इससे आपके रिश्तों पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। इस स्थिति में आपको स्ट्रेस और एंजायटी कम प्रभावित करती है और आप मानसिक रूप से अधिक मजबूत रहती हैं। इस प्रकार दयालुता आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है।
जब हम अपनी ईगो को परे हटाकर किसी के प्रति आभार जताते हैं, तो जीवन की संतुष्टि से लेकर आत्म-बोध (किसी की अपनी क्षमता की पूर्ति) तक सब कुछ बेहतर हो जाता है। इसके अलावा, शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को है। व्यक्ति की उम्र बढ़ जाती है और तनाव कम होता है। जब आप मानसिक रूप से संतुलित रहती हैं, तो शारीरिक समस्याओं में खुद व खुद सुधार होने लगता है।