By Yogita Yadav
Published May 07, 2025
7 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग कर रही कर्नल सोफिया कुरैशी की उपस्थिति ने एक साथ कई संदेश दिए। यहां जेंडर, धर्म और उम्र तीनों को धता बताते हुए यह साबित किया गया कि क्षमता, बौद्धिकता, सतर्कता, देश सेवा और समर्पण की न कोई उम्र होती है, न जेंडर और न ही धर्म।
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अपनी साथी विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ प्रेस को जानकारी दे रही कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर की प्रमुख सेन्य अधिकारी हैं। उनके पिता और दादा भी सेना में रहे हैं। जबकि उनके पति मेजर ताजुद्दीन कुरैशी भी मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री में तैनात हैं।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी
1981 को वड़ोदरा गुजरात में जन्मी कर्नल सोफिया कुरैशी 1999 में सेना में भर्तीं हो गईं थीं और तब उनकी उम्र मात्र 17 वर्ष थी। उन्होंने चैन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) से प्रशिक्षण लिया था। वे बायोकेमिस्ट्री से पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं।
17 की उम्र में हुईं सेना में भर्ती
कर्नल सोफिया कुरैशी को लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक नगरोटा में दिया गया था। जहां उनकी पेट्रोलिंग के बारे में एक यादगार किस्सा है। वे कश्मीर, पंजाब, राजस्थान सीमा और पूर्वाेत्तर तक में सेवाएं दे चुकी हैं।
कश्मीर से नॉर्थ ईस्ट तक
कर्नल सोफिया कुरैशी ने सिर्फ देश के दुश्मनों से ही लोहा नहीं लिया है, बल्कि वे यूनाइटेड नेशन्स पीस फोर्स का भी हिस्सा रहीं हैं। वर्ष 2006 में वे संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना मिशन में सेन्य पर्यवेक्षक के तौर पर कांगो गईं थीं।
यूनाइटेड नेशन्स पीस फोर्स
कर्नल सोफिया कुरैशी उस समय सुर्खियों में आईं जब उन्हाेंने आसियान देशों सहित चीन, अमेरिका आदि देशों की 18 टुकड़ियों के संयुक्त अभ्यास का नेतृत्व किया। जिसे एक्सरसाइज फोर्स 18 का नाम दिया गया। इनमें वे एकमात्र महिला सेन्य अधिकारी थीं।
एक्सरसाइज फोर्स 18 का नेतृत्व
पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों मोर्चों पर महिलाएं संतुलन स्थापित कर आगे बढ़ सकती हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी इसकी मिसाल हैं। वे अपने 16 वर्षीय बेटे समीर कुरैशी की रोल मॉडल हैं, जो बड़ा होकर फाइटर पायलट बनना चाहता है।
अपने बेटे की रोल मॉडल हैं कर्नल कुरैशी