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By Smita Singh

Published April 21, 2023

स्वाद बढ़ाने वाले स्प्रेड मार्जरीन के अधिक उपयोग से हो सकते हैं 5 साइड इफेक्ट्स

मक्खन के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है मार्जरीन। यह स्वाद बढ़ाने वाला स्प्रेड है, जो पकाने में भी उपयोग किया जाता है। इसे अधिक लेने से कई गंभीर बीमारी हो सकती है।

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बटर का विकल्प मार्जरीन

पश्चिम में मार्जरीन और भारत में डालडा कहा जाने वाला यह मूल रूप से पशुओं की चर्बी से बनाया जाता है। इन दिनों ज्यादातर मार्जरीन वनस्पति तेल से तैयार होता है।

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वनस्पति तेल से बनाया जाता है

अनसैचुरेटेड फैट के कारण यह हार्ट हेल्दी हो सकता है। लेकिन हाइड्रोजिनेशन के साथ-साथ एनिमल फैट, नमक, कलर और अन्य सामग्री मिलाने के कारण यह हानिकारक हो जाता है।

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हाइड्रोजिनेशन बनाता है हानिकारक

मार्जरीन जितना अधिक सॉलिड होता है, उसमें उतनी ही अधिक सैचुरेटेड फैट होती है। इसलिए टब मार्जरीन की तुलना में स्टिक मार्जरीन अधिक नुकसानदेह है।

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फ्लूइड की बजाय सॉलिड अधिक हानिकारक

इसमें हाई ट्रांस फैट होता है। हृदय रोग के साथ-साथ  कैंसर और अन्य जानलेवा बीमारियों को बुलावा देता है। इसलिए इसकी तुलना में मक्खन अधिक स्वास्थ्यवर्धक है।

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कैंसर का जोखिम

मार्जरीन में ट्रांस फैट होता है, जो एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल कम करता है। यह ब्लड प्लेटलेट्स को चिपचिपा बनाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

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ब्लड प्लेटलेट्स को बनाता है चिपचिपा

मार्जरीन स्तन के दूध की गुणवत्ता को कम करता है। हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, मां के ट्रांस फैट  खाने से दूध में ट्रांस फैट लेवल बढ़ सकता है।

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ब्रेस्ट मिल्क की गुणवत्ता प्रभावित

यह बी सेल प्रतिक्रिया की दक्षता कम करता है। यह टी सेल्स के प्रसार को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम के कार्यों को प्रभावित कर सकता है।

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इम्यून सिस्टम प्रभावित

ट्रांस फैट्स ब्लड में इंसुलिन लेवल को बढ़ा सकते हैं, जिससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। मार्जरीन के स्थान पर नारियल तेल, ऑलिव, कैनोला ऑयल, एवोकैडो ऑयल का प्रयोग करें।

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डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है