बात बात पर गुस्सा आना बढ़ा देता है इन 5 समस्याओं का जोखिम, कंट्रोल करना है ज़रूरी
रोजमर्रा के जीवन में छोटी छोटी बातें गुस्से का कारण बनने लगती है। हांलाकि गुस्सा आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। मगर बात बात पर गुस्सा आना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। ये शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को ही प्रभावित करता है। जानते है गुस्सा किस प्रकार से है स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह।
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नींद न आना
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अत्यधिक गुस्सा अनिद्रा की समस्या को बढ़ा देता है। गुस्से के चलते शरीर में तनाव का सामना करना पड़ता है और स्ट्रेस हार्मोन रिलीज़ होने लगते है। कोर्टिसोल का बढ़ता स्तर अनिद्रा की समस्या को बढ़ा देता है। बार बार क्रोधिक हो जाने से इंसोमनिया की समस्या का सामना करना पड़ता है।
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डिप्रेशन का जोखिम बढ़ जाना
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गुस्से को बैड इमोशन भी कहा जाता है। हर पल गुस्से में रहने से डिप्रेशन की समस्या का खतरा बढ़ जाता है। इसके चलते शरीर में एनर्जी की कमी आने लगती है और शारीरिक थकान का सामना करना पड़ता है। वे लोग जो हर पल गुस्से में रहते हैं, उनमें मूड सि्ंवग, सैडनेस, एंग्जाइटी और आलस्य की समस्या बढ़ने लगती है।
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ब्रेन फॉग का सामना करना
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गुस्से में रहने से किसी भी कार्य को समय पर करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा व्यक्ति हर पल एंग्जाइटी की समस्या का सामना करता है। बार बार एक ही बात को सोचकर चिंतित होने से मानसिक हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है और एकाग्रता में कमी आने लगती है। साथ ही चीजों को भूलने की समस्या भी बनी रहती है।
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हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाए
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इमोशनल स्ट्रेस बढ़ने से हृदय की मांसपेशियों में कमज़ोरी आने लगती है और इससे ब्लड वेसल्स के फंक्शन में भी बाधा उत्पन्न होने लगती है। गुस्से से शरीर में इंफ्लामेशन का खतरा बढ़ता है, जो आर्टरीज़ में प्लाक को बनाता है। इससे हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर का सामना करना पड़ता है।
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सिरदर्द का बढ़ना
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किसी भी बात को लेकर गुस्से में आ जाने से गर्दन से लेकर स्कैल्प के मसल्स में टाइट बैंड सेंसेशन का अनुभव होने लगता है, जिसे टैंशन हैडेक भी कहा जाता है। गुस्से में रहने से शरीर में तनाव और एंग्जाइटी का प्रैशर बढ़ने लगता है। छोटी छोटी बातों पर क्रोधित हो जाना माइग्रेन का जोखिम कारक साबित हो सकता है।