By Jyoti Sohi
Published Sep, 2024

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कंधे के दर्द के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं ये 5 कारण, जानिए क्या हो सकता है इनका समाधान

चलने फिरने के तरीके से लेकर उठने बैठने और सोने का ढंग रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इससे कंधों को खिंचाव का सामना करना पड़ता है, जो दर्द और सूजन का कारण बनने लगता है। जानते हैं कंधों में किन कारणों से बढ़ने लगता है दर्द और इससे राहत पाने के उपाय भी।

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फ्रोजन शोल्डर से ग्रस्त लोगों को बाजू उपर उठाने और सामान को पकड़ने में असमर्थता का सामना करना पड़ता है। इसके चलते दर्द और कंधे में जकड़न पैदा होने लगती है। इस समस्या का खतरा 40 से 60 वर्ष में बढ़ता है, जो डायबिटीज, थायराइड और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को प्रभावित करता है। 

फ्रोजन शोल्डर

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फ्रोज़न शोल्डर को एक्स रे की मदद से डाइग्नोज़ किया जाता है। इससे कंधे में बढ़ने वाली जकड़न को दूर करने के लिए फिजियोथेरेपी और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ की सलाह दी जाती है। इसके अलावा समस्या बढ़ने पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स को इंजेक्ट किया जाता है। साथ ही सर्जरी भी की जाती है।

फ्रोजन शोल्डर का उपचार

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दिनभर शरीर एक जैसी मूवमेंट में रहने से थकान महसूस करने लगता है। इससे कंधों की मांसपेशियों में तनाव बढ़ने लगता है, जो कंधों में दर्द का कारण साबित होता है। इसके अलावा शरीर के ऊपरी हिस्से में किसी कारणवश आने वाला खिंचाव भी दर्द का कारण बन जाता है।

खराब पोश्चर में बैठना

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इसके लिए काम के दौरान नियमित रूप से ब्रेक लेने और एक ही मुद्रा में दिनभर बैठने से रोका जाता है। इसके अलावा 30 मिनट लो इंपैक्ट एक्सरसाइज़ करने से शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है। शरीर को सपोर्ट प्रदान करने वाली कुर्सी पर बैठें और रीढ़ की हड्डी को सीधा बनाए रखें। 

इस तरह सुधारें पोश्चर

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गिरने या दुर्घटना के कारण रोटेटर कफ़ में टेंडन या बर्सा में सूजन का सामना करना पड़तर है। इसके चलते कंधे में दर्द, सूजन, अकड़न और दबाव का सामना करना पड़ता है। से समस्या कुछ हफ़्तों या महीनों तक बनी रहती है।

कंधे पर चोट आना

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कंधे की चोट के लिए एक्स रे या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग की मदद से समस्या की गहराई की जांच की जाती है। लगातार दर्द बने रहने पर कॉर्टिसोन या स्टेरॉइड इंजेक्शन दिया जाता है। इसके अलावा  नॉनस्टेरॉइडल एंटी.इंफ्लेमेटरी दवाएं दी जाती है। साथ ही कंधे की गतिशीलता को बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज़ बताइ जाती हैं। 

कंधे की चोट का उपचार

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कंधे में सूजन बनी रहती है, जिससे दर्द और खिंचाव बढ़ने लगता है। इसके चलते कंधे के बॉल एंड सॉकेट जोड़ प्रभावित होता है। ये समस्या आमतौर पर 50 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों में पाई जाती है। ओस्टियोपिरोसिस इस समस्या का मुख्य कारण साबित होता है। 

शोल्डर अर्थराइटिस

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कंप्यूटेड टोमोग्राफी सीटी स्कैन से इस समस्या की जांच की जाती है। इससे ग्रस्त लोगों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इंजेक्शन दिया जाता है। वे लोग जिनमें कंधे का दर्द लगातार बना हुआ है, उन्हें रिवर्स टोटल शोल्डर रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दी जाती है। 

शोल्डर अर्थराइटिस का उपचार 

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शोल्डर बर्साइटिस उस स्थिति को कहते हैं, जब बर्सा यानि एक जैली रूपी थैली में अतिरिक्त तरल पदार्थ एकत्रित होने लगता है। ये थैली कुशनिंग पैड के समान हड्डियों और टिशूज़ के बीच मौजूद होती है। इससे कंधों में हल्की से लेकर तीव्र दर्द बनी रहती है।

शोल्डर बर्साइटिस

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एमआरआई से बर्साइटिस का पता लगाया जाता है। नॉनस्टेरॉइडल एंटी.इंफ्लेमेटरी दवाओं से फायदा मिलता है। बर्साइटिस को दूर करने के लिए शरीर में जमा फ्लूइड को निकाला जाता है। इसके अलावा लंबे समय तक बने रहने से सर्जरी का जोखिम बढ़ जाता है। 

शोल्डर बर्साइटिस का उपचार 

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