By Jyoti Sohi
Published Nov 11, 2024
मौसम बदलते ही शकरकंदी को बेक करके कभी चाट, तो कभी सैलेड की तरह से आहार में शामिल किया जाता है। कैल्शियम और विटामिन से भरपूर शकरकंदी के सेवन से शरीर में फाइबर और आयरन की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है। इसमें पाई जाने वाली पानी की उच्च मात्रा इलेक्ट्रोलाइट के बैलेंस को मेंटेन रखने में मदद करती है। जानते हैं बेक्ड शकरकंदी से शरीर को मिलने वाले फायदे।
वेटलॉस में मददगार हैं फाइबर और वॉटर कंटेंट
यूएसडीए के अनुसार शकरकंदी का सेवन करने से शरीर को 77 फीसदी पानी और 13 फीसदी फाइबर का प्राप्ति होती है। बेक्ड शकरकंदी का सेवन करने से पेट देर तक भरा रहता है, जिससे कैलोरी इनटेक से राहत मिल जाती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करके वज़न कम करने में मदद मिलती है।
आंखों की रोशनी बढ़ाता है विटामिन ए
शकरकंदी में विटामिन ए और बीटा कैरोटीन की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे आंखों में बढ़ने वाला रूखापन और सूजन दूर करके कॉर्निया को पोषण की प्राप्ति होती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार बेक्ड स्वीट पोटेटो का सेवन करने से शरीर को एक दिन की आवश्यक मात्रा से सात गुना ज्यादा की प्राप्ति होती है।
हृदय रोगों से बचाने वाले पोषक तत्व
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार बेक्ड स्वीट पोटेटो में मौजूद पोटेशियम की मात्रा शरीर में रक्त के प्रवाह को नियमित बनाए रखने में मदद करती है। इसके सेवन से शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम की मात्रा को एक्सक्रीट करके हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को हल करने में मदद करती है। इसके अलावा इसमें पाई जाने वाली फाइबर की मात्रा भी हृदय रोगों में मदद करती है।
इम्युनिटी बढ़ाते हैं विटामिन ए, सी और डी
विटामिन ए, सी और डी से भरपूर शकरकंदी का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा आयरन की उच्च मात्रा से शरीर में व्हाइट ब्ल्ड सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद कैरोटीनॉयड शरीर में बढ़ने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को सीमित करने का प्रयास करते हैं।
स्ट्रेस हार्मोन को करे नियंत्रित
भुनी शकरकंदी से शरीर को मैगनीशियम की प्राप्ति होती है। इससे स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित करके मन को रिलैक्स रखने में मदद मिलती है। इस मूड बूस्टिंग फूड को नाश्ते में शामिल करने से न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है।