Healthshots
By Neha Yadav
Published Aug 17, 2022
तंबाकू का धुआं एयरवे को संकुचित और सूजन से ग्रस्त बना देता है। जो सांस की तकलीफ का कारण सिद्ध होता है। इससे बार बार खांसी होने लगती है। शरीर पर निकोटीन के प्रभाव को कम करने के लिए धूम्रपान को करने से बचें। इससे भूख नियमित होती है। जो मेटाबॉलिज्म को मज़बूत बनाता है।
पानी पीने से शरीर में निर्जलीकरण की समस्या खुद ब खुद समाप्त होने लगती है। इसके अलावा विषैले पदार्थ भी आसानी से डिटॉक्स हो जाते हैं। खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी और हाइड्रेटेड फूड्स लें। ताकि शरीर पर संक्रमण के प्रभाव को सीमित किया जा सके। साथ ही पाचन संबधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
फेफड़ों की सेहत को लेकर चिंतित हैं, तो ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को नियमित तौर पर करें। सुखासन की मुद्रा में बैठकर गहरी सांस लें और छोड़ें। इससे प्रदूषण के कारण सांस सबंधी समस्याओं का जोखिम कम होने लगता है। वे लोग जो अस्थमा के शिकार हैं। उन्हें गहरी सांस लेकर धीरे धीरे सांस को रिलीज करने की प्रैक्टिस करनी चाहिए।
गंदे हाथों के कारण एयर वे इंफे्क्शन फेफड़ों में पहुंचकर गंभीर रूप धारण कर सकता है। किसी भी खाने वाली चीज़ को छूने से पहली हाथ अवश्य धोएं। इसके अलावा बाहर से लौटने के बाद हैंण्ड वॉश करना न भूलें। हाथों के अलावा दिन में दो बार दांतों की सफाई ज़रूर कर लें। इससे ओवर हाइजीन मेंटेन रहती है।
हरी सब्जियां, बैरीज, हल्दी और नट्स समेत उन चीजों को मील में शामिल करें। जो एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर होती हैं। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम मज़बूत बनने लगता है। जो संक्रमणों के प्रभाव को कम कर देता है।
हवा में मौजूद पॉल्यूटेंटस से बचने के लिए सीमित मात्रा में बाहर निकलें। वाहन, धूम्रपान और सड़कां पर उड़ने वाली धूल मिट्टी वायु प्रदूषण का कारण साबित होने लगती है। ऐसे में अपने घर को स्मोक फ्री ज़ोन बनाएं और घर में चीजों पर जमने वाली धूल मिट्टी को सप्ताह में 2 से 3 बार ज़रूर हटाएं।