By Jyoti Sohi
Published Nov 01, 2024
दिनों दिन बढ़ने वाला तनाव मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के अलावा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी परेशानी का कारण साबित होता है। तनावग्रस्त रहने से शरीर में हार्मोन का इंबैलेंस बढ़ जाता है, जो शरीर में ब्लड प्रेशर के स्तर से लेकर ब्लड शुगर तक हर चीज़ को प्रभावित करने लगता है। जानते हैं तनाव किस तरह से स्वास्थ्य समस्याओं को आकर्षित करता है।
तनाव का आपकी सेहत से संबंध
तनाव का बढ़ना शरीर में हार्मोन असंतुलन का कारण बनने लगता है। हार्मोन का अनियमित रिसाव जहां मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। वहीं इससे पाचन संबधी समस्याओं से लेकर हृदय रोगों का खतरा बढ़ने लगता है।
हृदय समस्याओं का जोखिम बढ़ जाना
तनाव से हृदय पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे शरीर में एड्रेनलिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में हृदय की धड़कनें बढ़ने से रक्तचाप प्रभावित होता है। साथ ही ब्लड वेसल्स संकुचित हो जाती हैं। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ाए
तनाव के कारण ओवरइटिंग का खतरा बढ़ जाता है और लोग अनहेल्दी फूड्स को आहार में शामिल करने लगते हैं। ऐसे में खराब खान पान और अत्यधिक शराब पीना टाइप 2 डायबिटीज़ के खतरे को बढा सकता है। इससे शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है, जो शुगर स्पाइक का जोखिम बढ़ाता है।
मांसपेशियों में दर्द बढ़ जाना
तनाव में रहने से मसल्स टाइटनेस का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सिरदर्द, थकान और कंधों में दर्द का सामना करना पड़ता है। दरअसल, सेल्फ केयर की कमी और अनियमित रूटीन के कारण शरीर रिलैक्स नहीं रह पाता है। इसके चलते शारीरिक अंगों में दर्द का सामना करना पड़ता है।
इम्यून सिस्टम को करे प्रभावित
शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर उसका प्रभाव दिखने लगता है। स्ट्रेस हार्मोन सेलुलर डैमेज को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को कमज़ोर बना देता है। इसके चलते व्यक्ति मौसमी संक्रमण का शिकार हो जाता है और सर्दी, खांसी व अन्य वायरस की चपेट में आ सकता है।
अनिद्रा का सामना करना
शरीर में तनाव के कारण कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। इससे नींद न आने की समस्या बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति दिनभर थकान का सामना करना है। साथ ही कार्यक्षमता पर भी उसका प्रभाव दिखने लगता है। कई कारणों से बढ़ने वाला तनाव नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
याददाश्त की कमी
तनाव का असर मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। उदास और चिंतित रहने से चीजों को याद रखने की क्षमता कम हो जाती है। एकाग्रता की कमी के चलते व्यक्ति किसी भी कार्य को कुशलता से पूर्ण नहीं कर पाता है और दैनिक जीवन में कई बातें भूलने लगता है।
पाचन संबधी समस्याएं बढ़ना
चिंता और तनाव के चलते शरीर हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज़ करता हैं। इसका असर गट हेल्थ पर दिखने लगता है और डाइजेशन स्लो हो जाता है। आंत में बैक्टीरिया का असंतुलन बढ़ जाने से ब्लोटिंग, अपच, पेट दर्द और कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है।