By Jyoti Sohi
Published Aug 01, 2024
दिनों दिन बढ़ रहा वायु प्रदूषण, स्मोकिंग और खतरनाक गैसें फेफड़ों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं। धुएं में पाए जाने वाले कार्सिनोजेन्स कंपाउड लंग सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे फेफड़ों संबंधी अन्य समस्याओं के साथ-साथ कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। इस सबके बावजूद कुछ ऐसी आदतें हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने फेफड़ाें की हवा को छानने और बेहतर सांस लेने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार फेफड़ों की क्षमता उम्र, जैंडर, वज़न, लंबाई और शरीरिक सक्रियता पर निर्भर करती है। वे लोग जिनका वज़न 70 किलो है, उनकी टोटल लंग कपेसिटी 6 लीटर होती है। वहीं वाइटल कपेसिटी यानि सांस छोड़ने की कपेसिटी 4.5 लीटर होती है।
कितनी होती है हमारे फेफड़ों की क्षमता
फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने से शॉर्टनेस ऑफ ब्रेथ व बार बार सांस फूलने का सामना नहीं करना पड़ता है। इससे सांस लेने में मदद मिलती है और निचले फेफड़ों में भी ऑक्सीजन का फ्लो उचित बना रहता है। इससे श्वसन मांसपेशियां अपना कार्य उचित प्रकार से कर पाती हैं। एक्सरसाइज समेत अन्य चीजों को अपनाने से डायाफ्राम को मज़बूत किया जा सकता है।
क्यों जरूरी है फेफड़ों की क्षमता बढ़ाना
लंबे वक्त तक चलने वाली खांसी, चेस्ट पेन और सांस संबधी समस्याएं लंग कैंसर का संकेत देती है। दरअसल, हवा में घुले टॉक्सिक पदार्थों से इस समस्या का खतरा स्मोकर्स के अलावा नॉन स्मोकर्स के लिए भी बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्मोकिंग लंग कैंसर का मुख्य कारण बनकर उभर रहा है। इससे 85 फीसदी लोगों में कैंसर का जोखिम बढ़ रहा है।
स्मोकिंग न करने वालों के लिए भी हैं खतरे
रोज़ाना कुछ देर डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज, योग और वॉटर इनटेक बढ़ाने से फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा स्वीमिंग और वॉकिंग से लंग कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
इन आदतों से बढ़ाएं फेफड़ों की क्षमता
रोज़ाना सुबह उठकर गहरी सांस लेने और छोड़ने से फेफड़ों की ताकत बढ़ती है और विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इससे एयरवेज़ ओपन होते हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ने लगता है। इसके नियमित अभ्यास से लंग्स का फंक्शन उचित बना रहता है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज़
धूम्रपान से निकलने वाला धुआं न केवल स्मोकर्स बल्कि नॉन समोकर्स के फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। दरअसल, बढ़ने वाला वायु प्रदूषण नॉनसमोकर्स के लिए कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है। ऐसे में स्मोकिंग से बचें और घर से बाहर निकलने से पहले मास्क का प्रयोग करें।
स्मोकिग से बचें
आउटडोर के अलावा इंडोर पॉल्यूटेंटस भी लंग कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। दरअसल, इंडोर गैस रेडऑन के संपर्क में आने से लंग सेल्स डैमेज होने लगते है। इसमें मौजूद छोटे रेडियो एक्टिव पार्टिकल पाए जाते लंग कैंसर का कारण बन जाते हैं। इसके लिए घर के अंदर एयरप्यूरिफायर प्रयोग करें।
इंडोर एयर क्वालिटी सुधारें
अत्यधिक नमक और तले हुए खाद्य पदार्थ से फेफड़ों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। इसके लिए प्रोसेस्ड मीट, मीठे पेय पदार्थ और ट्रांस फैट्स को आहार में शामिल करने से बचें। इससे शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता हैं, जो फेफड़ों के कार्य को नुकसान पहुंचाता है।
फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं ये फूड्स
आहार में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स को शामिल करें। साथ ही शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीऐ। इसके लिए डली डाइट में बीटरूट, सेब, कद्दू, हल्दी, अदरक, ऑलिव ऑयल और ग्रीन टी का शामिल करें। इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार नज़र आने लगता है।
ये फूड्स हैं फेफड़ों के दोस्त