कुमार मंगलम बिड़ला की लाडली अद्वैतेशा कर रहीं हैं मासिक धर्म स्वास्थ्य में सुधार के लिए काम 

अद्वैतेशा बिड़ला इस बात के लिए दृढ़ हैं कि वे अपने देश में मासिक धर्म स्वास्थ्य परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव लाकर रहेंगी। हेल्थ शॉट्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कही अपने दिल की बात। 
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अद्वैतेशा बिड़ला ने माहवारी स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाकर समाज के लिए प्रेरणादायी काम किया है।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 17 Aug 2022, 17:53 pm IST
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यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 71 फीसदी किशोर लड़कियां पीरियड (Periods) होने से पहले इसके बारे में अनजान रहती हैं। उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला (Industrialist Kumar Mangalam Birla) की सबसे छोटी बेटी अद्वैतेशा बिड़ला के साथ ऐसा नहीं हुआ। वे अब 18 साल की युवा हैं और भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य और उस दौरान अपनाई जाने वाली स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन भारत उन देशों में शामिल नहीं होगा, जहां लड़कियां मासिक धर्म होने से पहले इसके बारे में न जानती हों।

अद्वैतेशा ने हाल में ही स्कूल की पढ़ाई खत्म की है। वे यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने और अधिक स्वतंत्रता हासिल करने की प्रतीक्षा कर रही हैं। वह आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट के तहत शुरू की गई पहल उजास को अपना “फर्स्ट बेबी” कहती हैं।

“मैं हमेशा महिला सशक्तिकरण के बारे में बहुत भावुक रही हूं। महिला स्वास्थ्य और मासिक धर्म स्वच्छता इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा है। यह एक ऐसा हिस्सा भी है, जिस पर हम पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसके बारे में मैं एक लेख पढ़ रही थी।तथ्यों और आंकड़ों ने वास्तव में मुझे विचलित कर दिया था। बेशक मैं भारत में मासिक धर्म के स्वास्थ्य परिदृश्य के बारे में जानती थी, लेकिन मैं कभी नहीं जानती थी कि यह इतना बुरा होगा। मैं इस स्थान पर काम करना चाहती थी। हेल्थ शॉट्स को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया।

मासिक धर्म स्वास्थ्य या विज्ञापन की दुनिया में दिखाए जा रहे नए जमाने के प्रोडक्ट के अलावा सोशल मीडिया की बकबक के बिल्कुल उल्टा है मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता और प्रबंधन की जमीनी हकीकत। यह हकीकत अद्वैतेशा के लिए “दिल तोड़ने” जैसा था।

हर शुरुआत कुछ नया सिखाती है 

वे कहती हैं, “जब मैंने शुरुआत की और जागरूकता सत्र के लिए फील्ड वर्क करना शुरू किया, तो हम यह जान पाए कि ज्यादातर महिलाओं के पास सैनिटरी पैड तक पहुंच नहीं रही है। इसलिए वे मिट्टी, पत्ते और जो कुछ भी उन्हें मिलता है, उसका वे इस्तेमाल कर लेती हैं। बहुत सारे मिथ्स, जिनके बारे में मैंने सोचा था कि आज के समय में ये प्रचलित नहीं होंगे, वे सभी भारत के कई हिस्सों में अभी-भी मौजूद हैं।”

अद्वैतेशा उन महिलाओं के प्रति बहुत संवेदनशाील थीं, जिन्हें मासिक धर्म के दौरान अपने घरों से बाहर एक अंधेरी और गंदी झोपड़ी में रहने के लिए कहा जाता था।

गायिका अनन्या बिड़ला और क्रिकेटर आर्यमन बिड़ला की छोटी बहन अद्वैतेशा कहती हैं, “इससे पता चलता है कि मासिक धर्म के बारे में मिथक अभी भी मौजूद हैं। हमें मासिक धर्म के साथ जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है।”

अद्वैतेशा बिड़ला कहती हैं, ” इस मामले में मैं भाग्यशाली महसूस करती हूं।” वह दो कारणों से खुद को भाग्यशाली मानती हैं – एक तो सही उम्र में और पीरियड होने से पहले पीरियड्स के कारणों के बारे में जानकारी होने के लिए। और दूसरा एक ऐसा वातावरण मिलने के लिए, जहां मासिक धर्म स्वास्थ्य के बारे में सही बातचीत का समर्थन होता हो।

जरूरी है इस बारे में सभी का शिक्षित होना 

अद्वैतेशा आगे बताती हैं, “मासिक धर्म के बारे में जागरूक और शिक्षित होना बहुत महत्वपूर्ण है। यह जागरूकता, वितरण और स्थिरता के तीन-आयामी मॉडल के माध्यम से महाराष्ट्र के सात जिलों में काम कर रहा है।

जागरूकता के लिए आयु के अनुसार उपयुक्त, मजेदार और कम्यूनिकेटिव मॉड्यूल का निर्माण जरूरी है, जो लोगों को मासिक धर्म के बारे में शिक्षित करता है। डिस्ट्रीब्यूशन वर्टिकल के हिस्से के रूप में उजास मुफ्त सैनिटरी पैड वितरित करता है। इसके सस्टेनेबिलिटी विंग का उद्देश्य महिलाओं को कपड़े के पैड बनाने या सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण जैसे स्थायी हस्तक्षेप के विभिन्न तरीकों की तलाश करना है।

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पुरुषों को भी मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता की जरूरत है

पाइपलाइन में एक परियोजना है जिस पर उन्हें सबसे अधिक गर्व है। “हम लड़कों के साथ सत्र शुरू कर रहे हैं और यह सही दिशा की ओर बहुत महत्वपूर्ण कदम है। लड़कों और पुरुषों को भी मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता है!”

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अद्वैतेशा पुरानी वर्जनाओं को तोड़ने और आगे बढ़ने की बात कहती हैं।

उसकी इस बात पर, हम उससे पूछते हैं कि पिता के साथ अपने पीरियड के बारे में वह किस तरह शेयर करती है! उसने बताया, “मुझे नहीं लगता कि कभी ऐसा समय आया जब मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई हो। कई बार ऐसा होता है जब मुझे पीरियड होता है और मुझे अच्छा महसूस नहीं होता है, तो मैं उसके बारे में किसी-से बिना शर्म या शर्मिंदगी के आसानी से बता सकती हूं। इसके बारे में बातचीत बहुत आसान है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं।”

जागरूकता और बातचीत को सामान्य बनाना

पीरियड शेमिंग से मुक्त वातावरण बनाने के दो आधार हैं-जागरूकता आैर बातचीत को सामन्य बनाना। यदि आप ध्यान से देखें, तो यह मासिक धर्म स्वास्थ्य के बारे में ग्रामीण-शहरी विभाजन के बारे में भी नहीं है।

“मेरे फ्रेंड सर्कल में भी लड़कियां अभी भी इसके बारे में बात करने में बहुत शर्म महसूस करती हैं। वे यह नहीं कह सकती कि ‘मुझे पीरियड हुआ है।’ इसलिए स्टिग्मा आज भी है। पहला कदम जागरूकता पैदा करना और फिर उसके आसपास की बातचीत को सामान्य बनाना है, चाहे वह घर पर हो या कार्यस्थल पर। व्यक्ति को इसके बारे में व्यक्तिगत स्तर पर अधिक स्वीकार करना होगा। इसके बारे में शर्म महसूस करने की बजाय विभिन्न परिदृश्यों में इसके बारे में बात करने के लिए और अधिक खुला महसूस करना होगा। जितना अधिक हम इसके बारे में बात करेंगे, हम वर्जना को तोड़ पाएंगे!”

जीवन के लिए सीख

मासिक धर्म स्वास्थ्य के अलावा, अद्वैतेशा को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए भी एक सॉफ्ट कॉर्नर है – जिसकी उनकी मां नीरजा बिड़ला भी सक्रिय रूप से वकालत करती हैं।

अपनी उम्र के लोगों को अद्वैतशा सलाह देते हुए कहती हैं, “ऐसा कारण ढूंढना महत्वपूर्ण है, जिसके बारे में आप बहुत अधिक सोचती हैं। आपको ऐसे जुनून का पालन करने से डरना नहीं चाहिए, जो समाज के लिए अच्छा हो।

यह आसान नहीं है, लेकिन उसके लिए कदम बढ़ाना महत्वपूर्ण है। जब तक आप सही दिशा में काम करेंगी, इसके माध्यम से आप हमेशा अपना रास्ता खोज लेंगी!”

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