दुनिया भर में लड़कियां देश और समाज को आगे ले जाने में अपनी भूमिका निभा रही हैं। फिर चाहे वो खेल जगत हो या सौंदर्य प्रतियोगिताएं। इन लड़कियों ने हिम्मत दिखाते हुये अपनी किस्मत खुद लिखने का फैसला लिया और आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ नए मानक स्थापित किए।
आज हम आपको उन महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने 2021 में किया कुछ ऐसा, जो हर लड़की के लिए मिसाल बन गया।
हरनाज़ संधु इंडिया की प्योर देसी गर्ल हैं, जिन्होंने 21 साल का इंतजार खत्म किया है। लड़कियों को नेतृत्व की कमान सौंपने का आह्रवान करने वाली इस पंजाबी कुड़ी पर आयोजक भी फिदा हो गए थे। इन्हें इस साल मिस यूनिवर्स 2021 (Miss Universe 2021) का खिताब दिया गया। इनसे पहले सुष्मिता सेन और लारा दत्ता के नाम ये खिताब था। भारत ने अब तीसरी बार यह टाइटल जीता है।
इससे पहले हरनाज ने 2017 में मिस चंडीगढ़ और लिवा मिस दीवा यूनिवर्स 2021 (LIVA Miss Diva Universe 2021) का खिताब अपने नाम किया था। वे मेंटल हेल्थ, मासिक धर्म स्वच्छता (Menstrual Hygiene), लैंगिक समानता (Gender Equality) और महिला सशक्तिकरण के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहती हैं। फाइनल राउंड में उन्होंने हर लड़की को अपने जीवन का नेतृत्व करने का संदेश दिया। जिसने सभी का दिल जीत लिया था।
सिंधु बैडमिंटर की नई सनसनी हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक गेम्स (Olympics Games) में भारत के लिए रजत पदक (Silver Medal) जीतकर यह साबित कर दिया कि सही रणनीति किसी भी प्रतियोगिता में जीत दिला सकती है।
उनकी मेहनत और लगन लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत रही है। अब तक विभिन्न प्रतियोगिताएं जीतने वाली पीवी सिंधु को अर्जुन अवॉर्ड (Arjun Award) और हाल ही में राष्ट्रपति से पद्मभूषण (Padmabhushan) सम्मान मिला।
ओलंपिक में मेडल के तरस रही आंखों को जिसने राहत पहुंचाई, उसका नाम है मीराबाई चानू। नॉर्थ ईस्ट की इस लड़की के मेडल जीतते ही सोशल मीडिया पर उस क्षेत्र के लोगों के साथ हो रहे भावनात्मक अलगाव के बारे में बातें होने लगीं थीं। मीराबाई चानू की सफलता न सिर्फ उनके क्षेत्र बल्कि पूरे देश के लिए गौरव बनी।
उन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स में वेट लिफ्टिंग में सिल्वर मेडल (Silver Medal) जीतकर यह साबित कर दिया कि कोई भी खेल मर्दाना या जनाना नहीं होता। वे वेट लिफ्टर कुंजुरानी को अपनी प्रेरणा मानती हैं। उन्हें अब तक राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
पैरालंपिक (Paralympics) में सिल्वर मेडल जीतने वाली टीटी खिलाड़ी (Table Tennis Player) भाविना पटेल भारत की पहली टीटी खिलाड़ी हैं। अपनी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ भविना नें टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास रचा है। हालांकि उनका लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था। पर जिन कठिनाइयों से वे यहां तक पहुंची उसने यह साबित कर दिया है कि शरीर का कोई भी अंग हौंसले का स्थान नहीं ले सकता।
इस वर्ष प्रसिद्ध अमेरिकी आर्टिस्टिक जिमनास्ट सिमोन बाइल्स ने खराब मानसिक स्वास्थ्य के चलते टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) से बाहर आने का फैसला किया। उन्होंने यह साबित किया कि कोई भी मेडल मेंटल हेल्थ से बढ़कर नहीं है। उनके हटने से एथलीट्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ी है।
एक वैश्विक मंच पर उनके इस कन्फेशन ने मेंटल हेल्थ पर बात करने और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
साड़ी पहनकर हूला हूप (Hula Hoop) करती हुई एशना कुट्टी के एक विडियो ने उन्हें 2021 में सुर्खियों में ला दिया। उनका यह अंदाज़ लोगों को बहुत पसंद आया। साड़ी और स्नीकर्स के साथ हूला हूप करना कोई आसान बात नहीं है। उनकी शानदार फिटनेस के साथ उन लोगों के भी मुंह बंद हो गए, जिन्हें लगता है कि साड़ी असुविधाजनक परिधान है।
उनके कॉन्फिडेंस ने उन्हें सभी के बीच चर्चा का विषय बना दिया था। पर आपको यह जानना चाहिए कि एशना ओवरनाइट स्टार नहीं बनी हैं, बल्कि वे पिछले 10 सालों से हूला हूप कर रही हैं।
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