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वे चाहते थे, पढ़-लिखकर नौकरी और शादी कर लूं, पर मेरे सपने अभी बाकी हैं, ये है मिस इंडिया वर्ल्ड मानसा वाराणसी की कहानी

ज़िंदगी में कुछ बड़ा करने की चाह है, तो अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलना जरूरी है। फेमिना मिस इंडिया मानसा वाराणसी International Women's Day 2022 के अवसर पर #BreakTheBias अभियान में कर रहीं हैं अपने दिल की बात।
मिलिए मानसा वाराणसी से। चित्र : Facebook/ Femina Miss India
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अच्छी पढ़ाई, जॉब और उसके बाद शादी करना, ये मामूली सपने तो हर कोई देखता है। मगर यदि लाइफ में कुछ बड़ा करना है, तो कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलना बहुत ज़रूरी है। ये सब हमने जाना फैमिना मिस इंडिया रह चुकी मानसा वाराणसी से, जो एक फाइनेंशियल एनालिस्ट से अब मिस वर्ल्ड 2021 में इंडिया को रिप्रजेंट करने जा रही हैं।

फेमिनिस्ट राइटर सिमोन द बोउवार ने बरसों पहले कहा था, “स्त्री पैदा नहीं होती, बनाई जाती है।” उनके इस कथन का अर्थ था कि औरत होना सिर्फ उसके जेंडर के कारण चुनौती भरा नहीं है, बल्कि हमारे समाज की सोच, कंडीशनिंग और टैबूज उसके लिए चुनौतियां खड़ी करते जाते हैं। अनफॉर्चुनेटली, दशकों बाद, आज भी हमें यह महसूस होता है कि औरत का औरत होने से ज्यादा मुश्किल भरा है, उसका औरत समझा जाना।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s day)

हम इन चुनौतियों के सामने झुकने वाले नहीं हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s day) के मौके पर हमने ठाना है कि हम हर वो टैबू, हर वो स्टीरियोटाइप और औरतों के प्रति हो रहे हर उस सामाजिक भेदभाव को तोड़ेंगे, जो एक लड़की को आगे बढ़ने और अपने सपने पूरे करने से रोक रहे हैं।

जब समाज के बने बनाये मापदण्डों से इतर कोई लड़की एक अलग क्षेत्र चुनती है, तो उसके लिए यह आसान नहीं होता। विशेष रूप से यदि वे ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हो, जो बेहद पारंपरिक और शिक्षित है। मगर जब आपनें यह दृढ निश्चय कर लिया हो, कि मुझे एक अलग मुकाम बनाना है, तो आपको कोई नहीं रोक सकता।

समाज के इन्हीं स्टीरियोटाइप्स को तोड़ते हुए मानसा वाराणसी ने भी एक अलग राह चुनी और एक फाइनेंशियल एनालिस्ट (Financial analyst) से फमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2020 (Femina Miss India world 2020) बनी। इतना ही नहीं वे इस साल मिस वर्ल्ड में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

इस इंटरनेशनल वुमेंस डे (International women’s day) पर हेल्थशॉट्स (Healthshots) के ब्रेक द बायस #BreakTheBias कैंपेन का हिस्सा बनी मानसा वाराणसी से खास बातचीत में हमने जाना उनके गर्ल नेक्स्ट डोर से मिस इंडिया बनने तक का सफर और जीवन में कुछ अलग कर दिखाने के जज़्बे के बारे में।

-अगर हम कहें कि आपकी नजर में मानसा कौन हैं, तो आप खुद को कैसे डिस्क्राइब करेंगी, आपके लिए मानसा कौन है?

क्यूरियस, पैशनेट और फुल ऑफ लाइफ हैं मानसा! मेरे लिए मानसा एक बहुत ही क्यूरियस, ड्रिवेन, पैशनेट और फ्री स्पिरिटेड लड़की है। मुझे नई – नई चीज़ें सीखना, नए अनुभव करना और उनसे कुछ सीखना बहुत पसंद है। हर दिन कुछ नया सीखने की चाह ही मुझे मोटिवेटेड रखती है।

-आपका गर्ल नेक्स्ट डोर से मिस इंडिया मानसा वाराणसी बनने तक का सफर कैसा रहा?

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यह सफर बहुत ही उतार-चढ़ाव भरा रहा है। पहले मैंने कम्प्युटर साइन्स किया था और एक फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर काम किया करती थी। मगर, हमेशा से ही मेरे अंदर एक जुनून था कि मुझे और बड़ा करना है, कुछ करके दिखाना है।

मैं हमेशा से कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिसका उद्देश्य बड़ा हो और इसी मकसद के साथ मैंने मिस इंडिया के लिए ऑडिशन दिया। कड़ी मेहनत और लगन के बाद मैं फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीतने में कामियाब रही। मेरा मानना है कि कोई भी मुकाम बिना मेहनत किए हासिल नहीं किया जा सकता और मेहनत का फल मीठा ही होता है।

-आपकी एजुकेशन, आपके पैशन से बहुत अलग है। क्या अपने चुनाव को लेकर कभी आपको किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा?

मेरा परिवार काफी ट्रेडिशनल है, बिल्कुल टिपिकल साउथ इंडियन। हमेशा से ही मेरे पैरेंट्स ने सिर्फ मेरी एजुकेशन पर फोकस किया है। इनफेक्ट, कुछ समय पहले तक मेरे पैरेंट्स का यही प्लान था कि पढ़ो – लिखो, अच्छी नौकरी करो और शादी कर लो। मगर मुझे हमेशा से खुद अलग करना था, कुछ बड़ा।

पैरेंट्स को कन्विन्स करना सबसे मुश्किल था, खासकर मेरी दादी मां को। शुरुआत में वे थोड़ा असहज थीं पर धीरे – धीरे वे भी तैयार हो गईं। मैं बहुत शुक्रगुजार हूं कि मेरा परिवार इतना सपोर्टिव है।

-आप तेलंगाना जैसे राज्य से आती हैं, तो ब्यूटी पैजेंट तक के सफर में क्या कभी आपको किसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा?

अभी भी हमारे समाज में औरतों के लिए कुछ निश्चित मापदंड हैं, तो उनको समझाना थोड़ा मुश्किल रहा। मेरे लिए अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल था, क्योंकि मैं बचपन से ही एक शर्मीले स्वभाव की लड़की थी। ब्यूटी पैजेंट की दुनिया मेरे लिए बहुत अलग थी। हर समय कैमरा को फेस करना। एक निश्चित शैड्यूल को फॉलो करना, यह सब मेरे लिए काफी अलग था। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा कदम था।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मिस इंडिया मानसा वाराणसी कर रहीं हैं अपने दिल की बात। चित्र : मानसा वाराणसी

-आपके तब के और अब के रुटीन में कुछ बदलाव आया है?

हां… मेरी ज़िंदगी में बहुत सारे चेंजेस आए हैं। ज़िंदगी में हर बढ़ती चुनौतियों के साथ मेरा कॉन्फ़िडेंस बहुत बढ़ा है। पिछला वर्ष मेरे लिए मैजिकल था, हर दिन नए लोगों से मिलना कुछ सीखना, यह सब कुछ बहुत अलग था। इस जर्नी में बहुत सारे लोगों नें मुझे गाइड किया कि कैसे मैं अपनी इनर ब्यूटी को निखार सकूं।

कभी – कभी आपके अंदर बहुत कुछ अच्छा होता है, लेकिन आपको यह पता नहीं होता कि इसे बाहर कैसे लाएं, लोगों तक कैसे पहुंचाएं, उसे एक्शन में कैसे बदलें, यही मैंने अपने सभी ट्रेनेर्स से सीखा है। आज मैं खुद को पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत महसूस करती हूं- इनसाइड और आउटसाइड!

-अपने खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं? खुद को मोटिवेटेड रखने के लिए क्या करती हैं?

मैं काफी क्यूरियस हूं! मुझे कुछ न कुछ नया करते रहना बहुत पसंद है। फिर चाहे वो नई किताबें हों, नई मूवीज या कोई नया खेल। जीवन में कुछ नया करना ही मुझे मोटिवेटेड और ग्राउंडेड रखता है। यही सारी चीज़ें मेरी मेंटल हेल्थ को ठीक रखने में मदद करती हैं।

-वुमन्स डे पर आप हमारी मिलेनियल्स को क्या संदेश देना चाहेंगी?

मेरे लिए हर दिन वुमेंस डे है, क्योंकि हमें खुद को सेलिब्रेट करना नहीं भूलना चाहिए। बहुत आसान होता है माता-पिता की छांव में रहना, अपने कम्फर्ट ज़ोन में रहना। मगर यदि आप कुछ बनना चाहती हैं, अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती हैं, तो अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें। वो पहला कदम उठाना बहुत ज़रूरी है और हर स्त्री यह कर सकती है।

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ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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