ब्यूटी के सेट पैमानों को तोड़ रिताशा राठौर ने बनाई एक्टिंग की दुनिया में अपनी अलग पहचान

टीवी सीरियल ‘बढ़ो बहू’ में लीड रोल निभाने वाली रिताशा बॉडी पॉज़िटिविटी के साथ आगे बढ़ने केा तरजीह देती हैं। कभी प्लस साइज का कॉन्फिडेंट तो गजब का ट्रांसफोर्मेशन आइए देखते हैं कैसी रही रिताशा की यात्रा।
बॉडी शेमिंग को दरकिनार कर न सिर्फ सपनों को संजोया बल्कि प्लस साइज़ के साथ बुलंदियों को छूने का भी काम किया।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 6 Apr 2023, 14:36 pm IST
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हम सभी इस बात से वाकिफ हैं, कि सोसायटी के अपने कुछ तय पैमाने हैं। कई बार उनके अनुरूप खुद को ढालने या दोस्तों के हिसाब से चलने में हमें बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अन्य लोगों के चश्मे से दुनिया को देखने का विचार हमारे अंदर इस कदर समा चुका है कि अगर हम खुद को उनके अनुरूप नहीं बना पाते हैं, तो हम खुद को कमतर आंकने लगते हैं। अगर एक्टिंग की दुनिया की बात करें तो यहा लीड आर्टिस्ट को हमेशा बहुत ही दुबला पतला और फिट दिखाया जाता हैं। वहीं दूसरी ओर अभिनेत्री रिताशा राठौर अब अपने हिसाब से इस कहानी को बदलने की तैयारी कर रही हैं (Journey of Rytasha rathore)

डेली सोप ‘बढ़ो बहू’ (Badho bahu) में रिताशा राठौड़ (Rytasha rathore) ने सामाजिक मापदंडों का उल्लंघन करने वाले एक असामान्य किरदार की भूमिका निभाई थी। इस किरदार ने उन्हें असल जिंदगी में भी बेहद प्रभावित किया है। जानते हैं हेल्थ शॉट्स के साथ इस विशेष बातचीत में कि इस अभिनेत्री ने शरीर की छवि और मानसिक स्वास्थ्य का किस तरह ख्याल रखा। साथ ही उनके संघर्षों की बारीकियों की पूरी कहानी।

जब सपने आपकी कमर से बड़े होते हैं

बचपन से ही हमने हमेशा अभिनेत्रियों को परदे पर सुंदर और स्लिम देखा है या उनके बारे में हर बार ऐसा ही लिखा भी गया है। मगर बावजूद इसके ये सोच रिताशा राठौर के सपनों के मध्य रूकावट नहीं बन पाई। स्कूल के बाद से ही वो एक्टिंग करना चाहती थीं। वो समझ चुकी थी कि अब वो इसी फील्ड में दूर तक जाएंगी। अभिनय को वो अपनी जिंदगी का अह्म हिस्सा मान चुकी थीं। रिताशा कहती हैं कि मैंने स्कूल के बाद थिएटर करना शुरू कर दिया और एक्टिंग की पढ़ाई करने के लिए सिंगापुर भी गई।

अब एक तरफ रिताशा के सामने सपने बड़े थे। दूसरी ओर आइडियल हीरोइन को लेकर फिल्म जगत की अलग धारणाएं थी। ऐसे में लीड रोल हासिल करना बिल्कुल भी आसान नहीं था। फिर भी एक शो में एक महिला का लीड किरदार करने का मौका मिला। जो ओवरवेट थी। ये काम के साथ साथ अब एक ज़रूरत बन गया था।

इसमें कोई दो राय नहीं कि जिन लड़कियों का वजन थोड़ा ज्यादा होता है, उन्हें लीड किरदार नहीं मिलते हैं। साथ ही मुख्य भूमिकाएं उन लड़कियों के लिए नहीं लिखी जाती हैं जो अलग हैं। अब मैंने भूमिका लेने का फैसला कैसे किया। इसका उत्तर ये है कि मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। मगर इस रोल की खासियत ये थी कि ये एक मजबूत महिला का चरित्र था।

Rytasha rathore
बहुत से नाटको में अपनी भूमिका निभाने के बाद बढ़ो बहू में लीड रोल निभाने वाली रिताशा बॉडी पॉज़िटिविटी के साथ कुछ इस तरह आगे बढ़ी।

बढ़ो बहू हमारे समाज की कठोर वास्तविकता को दर्शाता है

राठौर मानती हैं कि बढ़ो बहू का पूरा प्लॉट रिग्रेसिव था। वो कहती है कि इस शो में उनका किरदार समाज की वास्तविकता को दर्शाता है। उनका कहना है कि समाज की स्थिति उतनी बुरी नहीं है, मगर महिलाओं में लड़ने की भावना नहीं है। दरअसल, उन्हें समाज में एक बहू, मां या बेटी से ज्यादा आगे कुछ और होने या करने के लिए कभी प्रोत्साहन नहीं मिला।

कुछ पुराने पलों को याद करते हुए राठौर बताती हैं कि वो ऐसे हालातों से होकर गुजरी है कि जहां हर बार चीजें हमारे हिसाब से नहीं चलती हैं। एक वाक्या साझा करते हुए बताती हैं कि एक बार किसी जर्नलिस्ट ने मुझे वज़न मापने वाले स्केल पर खड़ा किया था। उस घटना ने मुझे अंदर से इस कदर झंझोड़ दिया कि वो स्केल अभी भी मेरे पास है। उसके बाद मैंने खुद को किरदार से अलग करने के लिए कड़ी मेहनत की। सेल्फ रियलाइज़ (self realisation) किया कि मैं महज़ एक भूमिका निभा रही हूं। ये सिर्फ मेरा एक किरदार है।

वो समय मेरी जिंदगी का एक मुश्किल समय था। उस समय मैं पूरी तरह से बिखर गई थी, जिसके लिए मैं अब भी थैरेपीज़ ले रही हूं। साल 2019 में मैंने थेरेपी लेने की शुरूआत की थी और इस साल मुझे पूरे चार साल हो जाएंगे।

कुछ चीजें बदली हैं, और बहुत सारी बदलनी बाकी हैं

दरअसल, बढ़ो बहू में लीड किरदार (lead role in Badho bahu) निभाने के बाद चीजों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। मैं मुंबई शहर में एक ओपन माइंडिड बबल में रह रही हूं। जहां लोग क्रिएटिव और आगे की सोच रखने वाले हैं। उनके साथ रहकर मुझे अच्छा लगता है और बहुत कुछ सीखने का मौका भी मिलता है। वहीं दूसरी ओर हम सब लोग रिएलिटी से वाकिफ हैं। वास्तव में देखा जाए, तो चीजों में उतना बदलाव नहीं आया है।

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हमारे देश में आज भी स्विमिंग कास्टयूम पहनने वाली महिलाओं को विचित्र तरीके से देखा जाता है। बहुत से लोगों के लिए ये एक बड़ी बात है। अगर वो लड़की ओवरवेट(Over weight girl)  हो, तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। लोग इसे बड़ी बात मानते हैं, पर मैं समझ नहीं पाई, कि ये बड़ी बात क्यों है। कहने को ये एक सिंपल प्रश्न है, मगर ओवरवेट महिलाओं को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है।

हांलाकि खुद को लेकर मैं बहुत ज्यादा कंफर्टेबल नहीं रही। मगर फिर भी अपनी जिंदगी को पूरी तरह से जीना चाहती थी। ऐसा नहीं है कि मैं मोटी हूं तो मैं जीवन के खूबसूरत पलों को मिस कर दूं। 9 साल की उम्र में मैने स्लीवलेस पहनना बंद कर दिया था 21 साल की उम्र में दोबारा शुरू कर दिया।
खुद से ही जंग लड़ने के बाद खुद को उस मेंटल स्पेस से मुक्त कर लिया। मैंने ये मान लिया है कि मेरे आसपास कोई भी मेरे बारे में कुछ नहीं सोच रहा है, कोई भी व्यक्ति मुझे जज नहीं कर रहा है और किसी को मेरी परवाह नहीं है। इन सबके बाद मैं एक निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि जो करना है करो, जो पेहनना है, वो पहनो।

Rytasha rathore
ब्यूटी के परंपरागत पैमानों पर खरे न उतरने के बावजूद एकि्ंटग की दुनिया में रखा कदम और किया खुद को साबित

आपको अपने शरीर के साथ एक हेल्दी रिलेशन रखने की ज़रूरत है

बहुत सी महिलाओं को लगता है कि जिम जाने से वजन आसानी से कम हो जाएगा। हम ये भूल जाते हैं कि कभी.कभी समस्या आपके शारीरिक स्वास्थ्य की नहीं बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य से जुडी होती है। मेरे थैरेपिस्ट के मुताबिक मेरा वज़न बढ़ने के पीछे मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारण हो सकते है। ऐसे में खुद को समझो और खुद से प्यार करो। जो हमारे फिज़िकल, मेंटल, इमोश्नल और स्पीरिचुअल हेल्थ का ख्याल रखता है।

वो बताती है कि जीवन के कई स्तंभ हैं जिन्हें हम लोग बनाते है। आपको ये चीजें उम्र भर सहन करनी होंगी। शादी होगी, बच्चे होंगे और आपका दिमाग और बॉडी हर वक्त किसी न किसी काम में मसरूफ रहेंगे। यही जिंदगी है और इसमें दुखी होने का कोई कारण नहीं है। इन सब चीजों के मध्य खुद को याद रखना ज़रूरी है।

अपनी बॉडी को लेकर तनाव में रहने के कारण मैं अब भी थेरेपीज ले रही हूं, जिससे मुझे बहुत फायदा मिला है। इसके लिए सेल्फलव ज़रूरी है और वही हर समस्या से आपको बाहर निकाल सकता है।

(अभिनेत्री रिताशा राठाैर को हेल्थ शॉट्स शी स्लेज अवॉर्ड में बॉडी पॉजिटिविटी आइकॉन कैटेगरी में नामित किया गया है। उन्हें वोट करने और उनके जैसी और भी प्रेरक स्त्रियों के बारे में जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें – शी स्लेज अवॉर्ड्स)

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