नेटफ्लिक्स के 2018 के शो सेक्रेड गेम्स के बाद से कुबरा की एक्टिंग ने हम सब पर एक छाप छोड़ी है। उन्होंने अपने रोल कुक्कू के बोल्ड और ताकतवर अंदाज से हम सभी को मोह लिया था। यही नहीं, उन्होंने अपनी एक्टिंग के दम पर यह साबित कर दिया कि वह किसी भी तरह का रोल निभा सकती हैं।
उनका यह अंदाज सिर्फ स्क्रीन पर ही नहीं, उनके सोशल मीडिया पर भी दिखाई पड़ता है। चाहें अपने परिवार के साथ बिताए समय की झलकियां हों या फिटनेस रूटीन, कुबरा अपने असली व्यक्तित्व को छुपाने के कोई प्रयास नहीं करती।
कुछ लोग उन्हें बोल्ड मानते हैं, तो कुछ बदतमीज- लेकिन इसका असर उन्होंने कभी खुद पर पड़ने नहीं दिया और वह हमेशा ही खुलकर अपने विचारों को व्यक्त करती हैं।
हेल्थशॉट्स से बातचीत में कुबरा सोशल मीडिया से अपने रिश्ते, अपने भाई के डिप्रेशन और नकारात्मकता से लड़ने के अपने तरीके के बारे में बात कर रहीं हैं।
“इस अजीबोगरीब समय से पहले जो समय था जहां सोशल मीडिया मेरे लिए इतना मायने नहीं रखता था, मैं अपने विचारों को रखने में हिचकिचाती नहीं थी। ऐसा नहीं है कि अब विचार नहीं रखती हूं। मैं अब भी अपने मन की बात कहने में पीछे नही हटती और मुझे अपने विचारों के लिए जवाबदेह होना पसन्द है। मुझे पता है कि मैं किसी के लिए कुछ भी बुरा नहीं सोचती और मैं एक अच्छी जगह से आती हूं। यह काफी है”, कहती हैं कुबरा सैत।
उनका मानना है कि कुछ भी पोस्ट करने से पहले खुद पर नियंत्रण रखना और खुद को सेंसर करना बहुत जरूरी है। कुबरा खुद यह करती हैं और मानती है कि सिर्फ सेलेब्रिटी को ही नहीं सभी को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले ऐसा ही करना चाहिए।
“सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्त आपको बहुत सावधान होना चाहिए क्योंकि आज सोशल मीडिया हमारे व्यक्तित्व का ही एक हिस्सा है। आप कौन हैं, क्या सोचते हैं यह आपके सोशल मीडिया एकाउंट से स्पष्ट हो जाता है।”,कहती हैं कुबरा।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि सोशल मीडिया के कारण एक नए कल्चर का जन्म हुआ है जो हर चीज को बहुत महीन नजर से देखने में विश्वास करता है। यह रोचक तो है मगर साथ ही डरावना भी है।
कुबरा का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का कमेंट का सेक्शन बहुत से बेनाम और बेचेहरा लोगों के लिए नफरत फैलाने का माध्यम बन गया है। कुबरा के लिए हर वह बहस व्यर्थ है जो नफरत भरे शब्दों के माध्यम से हो रही हो। ऐसी बातों का कोई अर्थ नहीं निकलता है।
“आप नहीं जानते ये लोग कौन हैं, आप नहीं जानते मैं कौन हूं या मेरा सफर क्या रहा है। इस तरह जहर उगलने वाले लोग मेरे लिए बुलीज ही हैं। स्कूल में बुली होते वक्त कम से कम आप उन लोगों का चेहरा जानते हैं। आप उनके सामने जाकर उन्हें रोक सकते हैं। जो सोशल मीडिया पर नहीं हो सकता”,कुबरा मानती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंकुबरा कहती हैं, “इन ऑनलाइन बुलीज ने जिम्मेदारी की भावना को पूरी तरह खो दिया है और उनकी मानवता कहीं लुप्त हो गयी है।”
लम्बे समय तक कुबरा ने इन ट्रोल्स को नजरअंदाज किया या हंसी में उड़ा दिया। लेकिन यह बदतर होता गया और अब वह ऐसे लोगों को ब्लॉक करना ही बेहतर समझती हैं।
हाल में ही कुबरा ने ट्विटर पर एक सवाल पूछा- क्या जिस अभिनेत्री को Y प्लस सिक्योरिटी मिल रही है उसका खचर्ज हम टैक्स देने वालों की जेब से जा रहा है? इस सवाल पर ट्रोलर्स की एक फौज उन पर अटैक करने आ गयी और उन्हें अप शब्द कहने लगी। यह उन तक ही सीमित नहीं था, उनके परिवार को भी इस बीच घसीटा गया।
“मेरा भाई और मेरी मां भी सोशल मीडिया इस्तेमाल करते हैं और लोग उनके पास जाकर मुझे गालियां दे रहे थे। मुझे नहीं लगता कि मेरे विचारों के लिए मेरे परिवार को कष्ट होना चाहिये। लोगों में करुणा की बहुत कमी है”, बताती हैं कुबरा।
कुबरा के भाई दानिश सैत एक मशहूर कॉमेडियन, एक्टर और लेखक हैं जो हाल ही में अपने डिप्रेशन के संघर्ष को लेकर सामने आये हैं।
“एक दूसरे के प्रति दयालु होना बहुत महत्वपूर्ण है। मैं अपने भाई से अक्सर पूछती हूं कि उसने हमसे कभी अपनी समस्या साझा क्यों नहीं की। लेकिन अब मुझे समझ आता है कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में आगे बढ़कर बात करना और मदद मांगना कितना मुश्किल है। इस मामले में हम इंसान कुछ अजीब हैं, अपने मन की बात अपना दुख किसी से कह ही नहीं पाते”, कहती हैं कुबरा।
कुबरा बताती हैं कि कभी कभी सिर्फ किसी की बात सुनना ही काफी होता है। उन्हें सलाह ना दें बस उनकी बात सुन लें। अपने दोस्त या परिवार के साथ बुरे वक्त में खड़े होना महत्वपूर्ण है।
“एक समाज के रूप में हमें जरूरत है कि हम लोगों के पास जाएं और उन्हें एहसास दिलाएं कि वह ठीक हैं। लोगों से उनका हाल पूछें और अपना हाल सुनाएं। आज जब हर चीज फास्ट है, हमें थोड़ा स्लो होकर संवेदना को बढ़ाना होगा”, वह कहती हैं।
“मैं खुद को खुश रखने की कोशिश करती हूं। मुझे पकाने का शौक है, मैं काम से घर लौट रही होती हूं तो बाजार से चिकन और सब्जियां लेती चलती हूं, घर जाकर अपने लिए खाना बनाती हूं। यह बहुत संतोषजनक एहसास है। मैं टहलने जाती हूं और बस शांत मन से टहलती हूं। फोन को साथ लेकर नहीं जाती। अभी लॉकडाउन के दौरान मैंने कई सफल लोगों के बारे में पढ़ना शुरू किया, डॉक्यूमेंट्री देखीं और खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। मैं नकारात्मक खबरों से दूरी बनाए रखती हूं”, बताती हैं कुबरा।
“इस नफरत के बीच में हमें एक-दूसरे के प्रति अच्छा होने का प्रयास करना चाहिए। मैं तो यही मानती हूं कि बुरे से बुरा दिन भी बस 24 घण्टे के लिए ही रहेगा। इसलिए उस एक दिन को अपने जीवन पर इतना प्रभाव ना डालने दें। आजकल जिस तरह की न्यूज आ रही है, उससे दूर ही रहें। डिजिटल दुनिया से एक कदम पीछे लें और सोशल मीडिया से ब्रेक लेते रहें। मैं बस यही कहूंगी”, सुझाती हैं कुबरा।
कुबरा बताती हैं कि उन्हें क्या सलाह मिली थी जिसने उनके जीवन को प्रभावित किया हो। वह कहती हैं,”अगर आपको सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट करने की इच्छा है, तो उसे लिखो और ड्राफ्ट में सेव कर दो। अगले दिन सुबह उसे देखो और सोचो कि क्या अब भी आप इस बात को सोशल मीडिया पर साझा करना चाहते हैं? अगर हां, तभी उसे पोस्ट करें वरना न करें। कभी भी ऐसे लोगों की बातों का बुरा ना मानें जो आपको जानते नही हैं, क्योंकि वह आपको नहीं जानते।”
जाते जाते कुबरा कहती हैं,”आपके दोस्त आप उंगलियों पर गिन सकते हैं और बाकी सब सिर्फ परिचित होते हैं। जब आप पहचान जाएंगे कि कौन आपका दोस्त है और कौन नहीं, आप दुनिया के विचारों को सुनना बन्द कर देंगे।”