आत्महत्या आसान है, पर जिंदगी सबसे सुंदर है : मिलिए एक ऐसी लड़की से जिसने मौत नहीं जिंदगी को चुना

लोग मौत के मुहाने से वापस लौट आते हैं, क्योंकि जिंदगी के बहुत सारे शानदार अनुभव उनका इंतजार कर रहे होते हैं। वर्ल्ड सुसाइट प्रिवेंशन डे पर मिलिए एक ऐसी लड़की से, जो निराश तो हुई, पर उसने हार नहीं मानी।
Shalini Mishra ne jiwan ko chuna
शालिनी मिश्रा ने आत्महत्या की बजाए जीवन को चुना। प्रतीकात्मक चित्र : शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Updated: 9 Sep 2023, 21:42 pm IST
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आत्महत्या सिर्फ एक शब्द नहीं है। न ही यह किसी एक के जीवन में घटित होता है, बल्कि एक व्यक्ति की मौत एक साथ कई जीती जागती, हंसती-खेलती जिंदगियों को तबाह कर देती है। दुनिया भर में हर साल अलग-अलग कारणों से लाखों लोग अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला करते हैं। मगर कुछ लोग वास्तव में योद्धा होते हैं, जो न चुनौतियों से डरते हैं और न ही हार से। ऐसे लोग मौत के मुहाने से वापस लौट आते हैं, क्योंकि जिंदगी के बहुत सारे शानदार अनुभव उनका इंतजार कर रहे होते हैं। वर्ल्ड सुसाइट प्रिवेंशन डे (Shalini mishra choose life over suicide) पर मिलिए एक ऐसी लड़की से, जो निराश तो हुई, पर उसने हार नहीं मानी।

दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले

आजकल आत्महत्या के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं। कम उम्र के युवा और बच्चे भी अपनी जिंदगी को महत्व नहीं देते हुए आत्महत्या को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में लोगों को अपने जीवन के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। दुनिया में कोई ऐसी मुसीबत और परेशानी नहीं होती जिसका हल आत्महत्या हो। हर समस्या निदान के साथ आती है, केवल आपको संयम और सूझबूझ से काम लेने की आवश्यकता होती है।

वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के मौके पर हेल्थ शॉट्स ने एक ऐसी ही साहसी महिला से बात की। ये वे महिला हैं जिन्होंने मौत को बेहद नजदीक से देखा है, परंतु इन्होंने मौत से कही आगे अपनी जिंदगी को चुना और साहस के साथ जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने का जज्बाव दिखाया। तो चलिए जानते हैं इनकी साहस भरी कहानी इन्ही की जुबानी।

10 sep ko duniya bhar me world suicide prevention day manaya jata hai
10 सितंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे मनाया जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे 2023 (World suicide prevention day)

10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के तौर पर मनाया जाता है। सुसाइड एक मेजर पब्लिक प्रॉब्लम है जहां लोग सोशल प्रेशर, भावनात्मक और वित्तीय परेशानी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार पूरे विश्व में एक साल में लगभग 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। सुसाइड प्रीवेंशन डे को मनाने का मुख्य मकसद लोगों को आत्महत्या न करने के प्रति जागरूक करना है। साथ ही यह यह आप सभी के लिए भी है, यदि आपके आसपास कोई व्यक्ति सुसाइड करने की कोशिश कर रहा हो या आपसे इस विषय पर किसी प्रकार की चर्चा करें तो फौरन उनकी मदद करें। पीछे हटना सॉल्यूशन नहीं है। यदि आप उनकी मदद नहीं करते हैं, तो आप भी आत्महत्या में बराबर के जिम्मेदार रहेंगे।

तब तनाव जीवन से बड़ा लगने लगा था

बोरिंग रोड बिहार की रहने वाली शालिनी मिश्रा दो बच्चों की मां है। शालिनी को अपने हाई स्कूल से मॉडलिंग करने की इच्छा थी, परंतु कम उम्र में ही पिता के गुजर जाने के बाद घर की वित्तीय स्थिति बिगड़ गयी और उन्हें अपनी पढ़ाई को आधे में ही रोकना पड़ा। कुछ दिनों बाद परिवार वालों की मदद से साधारण कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। वहीं 22 की उम्र में उनकी शादी करवा दी गई।

शालिनी खुले दिल की लड़की थी और जिंदगी को खुलकर जीना चाहती थी। शादी के 10 दिन बाद बीएसएफ का उनका रिजल्ट आया जिसमें उनका चयन हो गया था परंतु ससुराल वालों ने उन्हें नौकरी करने की अनुमति नहीं दी। वहीं शादी के लगभग 1 महीने के बाद पति बाहर चले गए और शालिनी अकेली रह गई। इस दौरान उनके ससुराल वालों ने उनके साथ कई प्रकार के इमोशनल एब्यूज करें। शादी के 1 साल बाद शालिनी को एक बेटा हुआ परंतु यह शालिनी की अपनी चाह नहीं थी।

आधी रात को निकल गई थी पुल से छलांग लगाने

शालिनी बताती है कि “तमाम परेशानियों के बावजूद मेरे मन में कभी आत्महत्या करने की सोच नहीं आई थी। परंतु एक दिन घर का माहौल बेहद खराब था और कुछ ऐसा हुआ कि मैंने आत्महत्या का सोच लिया। मुझे इसके आगे कुछ और नजर नहीं आया अपनी परेशानियों से बाहर निकालने के लिए मुझे बस एक ही रास्ता नजर आ रहा था वह था मौत। मैं किसी को बताएं बगैर रात के 12:00 घर का गेट खोल बाहर निकली और रास्ते में एक ब्रिज है जिस पर जा खड़ी हो गयी।

मैं ब्रिज से नीचे देख रही थी और दिमाग में कुछ भी नहीं चल रहा था। तब मुझे यह लगा कि यह कितना आसान है, क्या जीवन में आत्महत्या से आसान कुछ और हो सकता है तो जवाब मिला नहीं! आत्महत्या एक बेहद सरल निर्णय है जिसे कोई भी ले सकता है, परंतु जिंदगी में आगे बढ़ना और जिंदगी को जीने का साहस दिखाना बेहद कठिन है।”

बच्चे को देख चुनी जिंदगी की राह

शालिनी ने आगे बताया कि “जब मैं ब्रिज पर खड़ी थी तब मेरे परिवार वालों को मेरे घर से निकलने की बात पता लग गई थी और मेरे पति मेरे बच्चे को लेकर मुझे ढूंढते हुए ब्रिज पर आ गए थे। वह मुझसे लगभग 50 मीटर की दूरी पर खड़े थे और मैंने चिल्ला कर कहा आगे मत बढ़ना वरना नीचे कूद जाऊंगी” यह सुन वह वहीं रुक गए और मेरे बेटे को अपने हाथ में पकड़ आगे की ओर किया और मुझे सिर हिला कर उसकी ओर इशारा किया।”

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“यह पल मेरे जीवन का सबसे भावुक पल है। जब मैंने उस नन्ही सी जान की ओर देखा तब मुझे जिंदगी का एहसास हुआ। मैं वह महिला हूं जिसने खुद एक जीवन का निर्माण किया है, तो फिर मैं किसी कि जिंदगी कैसे ले सकती हूं चाहे वह मेरी खुद की ही जिंदगी क्यों न हो। अपने बच्चे की छोटी सी छोटी चीज को लेकर मैं अधिक संवेदनशील रहा करती थी। साथी में हमेशा सोचा करती थी कि वे जीवन में आगे क्या करेगा। ठीक उसी क्षण मुझे अपनी मां का एहसास हुआ कि क्या उन्होंने मुझे इस दिन के लिए पैदा किया था, क्या उन्होंने मेरे लिए यह सपने नहीं देखे होंगे। तभी मैं पीछे हटी और दौड़ते हुए अपने पति और बच्चे को जाकर गले लगा लिया।”

जिंदगी खूबसूरत है

“आत्महत्या नहीं जिंदगी को चुनने के बाद मुझे एक बात का एहसास जरूर हुआ कि जिंदगी एक बहुत खूबसूरत यात्रा है, जिसमें समय-समय पर कठिनाइयां आएंगी परंतु उन कठिनाइयों को पार करने के बाद जो बेहतरीन मंजर नजर आता है, उसका कोई जवाब नहीं होता। वह खूबसूरत मंजर जीवन भर आपके साथ रहता है। जिंदगी ठीक पहाड़ों की तरह है चढ़ते हुए तो बड़ी परेशानी होती है, परंतु ऊपर पहुंच कर जो नजारा देखने को मिलता है उसे आंखों को शीतलता और मन को शांति प्राप्त होती है।”

Shalini manti hain ki jiwan me challenges kabhi kam nahi hote.
खुद को खुश रखने की चाभी आपके पास ही है चित्र : एडोबी स्टॉक

“आज तक में लोगों की बातों को सुनकर चुप चाप बैठी रोती रहती थी और अपने जीवन को कोसती थी। परंतु मृत्यु को सामने से देख मुझे यह एहसास हुआ कि मेरा जीवन कितना कीमती है और मैं क्या-क्या कर सकती हूं।”

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जब आप बिना कोशिश के जीतना चाहते हैं

शालिनी ने जिंदगी के प्रति अपने नजरिए को बदलने का निर्णय लिया। वे कहती हैं “मैन सभी घरवालों को बैठाकर उनके द्वारा 2 साल से पूछे जा रहे सभी प्रश्नों का जवाब दिया और उनके सामने अपनी भावनाएं और अपनी इच्छा व्यक्त की। हालांकि, यह इतना भी कठिन नहीं था जितना मैं इसे समझ रही थी।

लोगों ने मेरी बात सुनी और उन्होंने समझने की कोशिश की। कभी-कभी हम बिना प्रयास किए कुछ ऐसा निर्णय ले लेते हैं जिसमें केवल हमारा नुकसान हो रहा होता है। हां मैं आज जॉब तो नहीं कर रही परंतु खुलकर अपनी जिंदगी जी रही हूं। खुद को व्यस्त रखने के लिए मैंने सिलाई सीखी और घर पर ही एक छोटा सा बुटीक खोल लिया। धीरे-धीरे आसपास के लोग मुझे जानने लगे और आज मैं महीने में लगभग 20 से 25 ऑर्डर तो उठाती हूं।”

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लेखक के बारे में

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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