महाकुंभ 2025 के आयोजन पर एक स्याह धब्बा लग गया है। ऐसा धब्बा जिस पर तीस लोगों की मौत का बोझ है। ये मौतें मौनी अमावस्या स्नान के दौरान श्रद्धालुओं में मची भगदड़ की वजह से हुई। प्रशासन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और इंतेजाम पर भी। लेकिन इन्हीं सब के बीच उन लोगों की बात भी हो रही है जो इस हादसे के बाद मदद के लिए आगे आए। चाहे अब तक प्रयागराज में मदद कर रहे लोकल लोग हों या फिर सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और इंटरप्रेन्योर तान्या मित्तल। तान्या मित्तल (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) ने कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उस रात की कहानी बताई जब भगदड़ मची। लोग एक–दूसरों को कुचल रहे थे, कुछ लोग प्यास से दम तोड़ रहे थे और कुछ बच्चे भीड़ में अपनों से बिछड़ गए थे।
तान्या मित्तल (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) एक इंटरप्रेन्योर और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हैं। इसके पहले वह मिस एशिया टूरिज्म यूनिवर्स 2018 भी रह चुकी हैं। तान्या महाकुंभ में यूपी टूरिज्म के प्रचार के लिए आई हुई थीं।
उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था जिसमें वे उत्तर प्रदेश प्रशासन की तारीफ कर रहीं थीं। इसी वीडियो के कारण वे काफी ट्रोल भी हुईं। जब संगम तट पर भीड़ बढ़ रही थी, वे अपने बॉडीगार्ड से घिरी एक दूसरे घाट पर वीडियो बना रहीं थीं। आम जन बनाम वीआईपी घाट के मुद्दे पर यह वीडियो लगातार वायरल हो रहा था।
तान्या (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) ने कुछ न्यूज प्लेटफॉर्म्स को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि मैं घाट पर स्नान के लिए सुबह ढाई बजे गई थी। मौनी अमावस्या पर नहाने के बाद हम बाकी चीजों के होने का इंतजार कर रहे थे। तभी हमें पता लगा कि भगदड़ जैसा कुछ हुआ है। लोकल पुलिस ने भी हमसे कहा कि अगर सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं, तो आप वापस चले जाइए।
उन्होंने बताया कि वो अभी ये सब (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) प्रोसेस ही कर रही थीं, जब उन्हें औरतों और बच्चों की चीखें सुनाई दी। पहले तो वो और उनकी टीम डर गए कि ये हो क्या रहा है। चीख रहे लोग मदद को पुकार रहे थे। एक तरफ उन्हें अपनी सुरक्षा का खतरा था और दूसरी ओर उन्हें उस ओर जाने का भी मन था ताकि वो लोगों की मदद कर सकें। अंत में उन्होंने लोगों की ओर जाने का फैसला किया जहां वे हादसे का शिकार हुए थे।
तान्या (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) कहती हैं कि मैंने कभी अपनी जिंदगी में इतनी भीड़ नहीं देखी थी। यहां लोग चीख रहे थे, दर्द से चिल्ला रहे थे। कुछ लोग मर चुके थे और कुछ लोग सांस नहीं ले पा रहे थे। वहां पर हल्दीराम के स्टोर के अंदर भी लाशें थीं। हमने अपने पर्सनल बॉडीगार्ड्स की मदद से लाशों को स्टोर रूम के अंदर किया।
हमने बच्चों और बुजुर्गों को अंदर किया। हम डर रहे थे कि अगर हल्दीराम स्टोर के जो ओनर हैं, अगर उन्हें पता चल गया कि ये लाशें हैं जिन्हें हम अंदर रख रहे हैं, तो वे हमें भी बाहर निकाल देंगे।लेकिन ऐसी स्थिति (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) थी जिसमें लोग दम घुटने की वजह से दम तोड़ रहे थे, हमने कोशिश की और बच्चों को सबसे पहले अंदर किया। उसके बाद बुजुर्गों को अपने टीम की मदद से अंदर किया। वहां लोग बहुत ज्यादा थे और हम लोग लाचार थे, फिर भी हमने 100-150 लोगों को बचाया। बच्चों को बिस्किट- पानी या जो भी हमारे पास था वो खाने को दिया।
ऐसे वक्त में जब चारों तरफ मदद की गुहार आ रही थी, फोन का नेटवर्क भी नहीं था। मदद के नाम पर भी कुछ नहीं था। लोग केवल चीख रहे थे। तान्या (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) ने बताया कि हमने लाशों के फोन उठाकर हॉटस्पॉट के जरिए नेटवर्क लेने की कोशिश की। काफी कोशिश के बाद नेटवर्क आया तो मैंने डीआईजी मेला को कॉल किया। उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
हर तरफ मची अफरा तफरी के बीच मैं कॉल उठना एक्सपेक्ट भी नहीं कर रही थी। उसके बाद मैंने प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को कॉल किया। उनका जवाब सकारात्मक था। उन्होंने कहा कि जब तक मदद पहुंचे तब तक खुद को सुरक्षित रखते हुए जो बन पाए वो करिए।
तान्या (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) का कहना था कि जब तक फोर्स आती, राहत आती या मीडिया भी तब तक बहुत बुरा हो सकता था। उनका कहना था कि मैं अपने आप को निकाल सकती थी। मेरे पास सब कुछ था जिनकी मदद से आराम से निकल जाती, लेकिन मैं इतने बच्चों को मरते हुए नहीं देख सकती थी। लोग सामने दम तोड़ रहे थे इसलिए मैंने मदद करना चुना और जो बन पड़ा वो किया।
वे (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) बताती हैं कि वे और उनकी टीम लगातार 36 घंटों तक बच्चों को उनके मां–बाप से मिलवाने की कोशिश करती रहीं। वे इस बात को लेकर सचेत थीं कि कोई बच्चा किसी गलत हाथ में न चला जाए। इसलिए आधार कार्ड और पहचान सत्यापित होने के बाद ही वे उन्हें सौंप रहीं थीं।
तान्या (Tanya Mittal in mahakumbh stampede) यह कहते हुए रो पड़ती हैं कि लोग उन्हें वीआइपी कहकर ट्रोल कर रहे थे। जबकि वे खुद भगदड़ का शिकार हुई थीं। वे कहती हैं, “यह बहुत बड़ी आपदा थाी। हम इसे छोड़ कर नहीं भाग सकते थे। मैं बस 12वीं पास हूं। मुझे रील बनाना आता है, मैं वही बनाती हूं। हमें हर व्यक्ति के काम का सम्मान करना चाहिए। मैं आज तक कभी किसी की उठावनी में नहीं गई। छोटी हूं अभी इसलिए ऐसी जगहों पर कभी मुझे साथ नहीं लिया गया। मगर उस रात मैंने इतनी लाशें देखीं कि मैं कभी नहीं भूल सकती। कुछ लोग कुचल कर मरे तो कुछ लोग दम घुटने से। हम जिन्हें बचा सकते थे, हमने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की।”
ये भी पढ़ें – मां का मंगलसूत्र बेचकर, पिता ने भरी थी एमबीबीएस की फीस, जानिए कौन हैं ओन्को सर्जन पद्मश्री डॉ. विजयलक्ष्मी देशमाने
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।