न शुरू करने की कोई उम्र होती, न सफल होने की, मिलिए झाजी स्टोर की संस्थापक कल्पना झा से

अगर आप में कुछ करने का जज़्बा है तो आप किसी भी उम्र और किसी भी हालात में अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।
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जानिए कल्पना झा जी की इंस्पायरिंग स्टोरी

सपनों और संकल्पों से बड़ा कोई हुनर नहीं होता… और न ही किसी चीज़ की शुरुआत के लिए कोई एक तय वक़्त होता है। कल्पना झा की सफलता से यह बखूबी समझा जा सकता है। जिन्होंने रिटायरमेंट की उम्र में एक नई शुरुआत कर सभी को चौंका दिया।

अगर आप में कुछ करने का जज़्बा है तो आप किसी भी उम्र और किसी भी हालात में अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। ऐसा ही कमाल कर दिखाया है दरभंगा की रहने वाली कल्पना झा ने। कल्पना झा ने अचार और चटनी बनाने के साधारण से हुनर को झाजी स्टोर के नाम से एक बड़े उद्योग के रूप में स्थापित कर दिया है। आइए मिलते हैं कल्पना झा से और जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

गांवों-घरों में मौजूद नानी-दादी की विरासत को एक ‘बरनी’ में बंद कर देश और दुनिया में अचार के रूप में पहुचाने वाली कल्पना झा से हेल्थशॉट्स ने बात की।

एक महिला अगर अपने हुनर को पहचान बड़े कदम उठाने को तैयार हो जाए तो दुनिया की कोई ताक़त उसे रोक नहीं सकती। ऐसे ही विचारों और खुद कुछ कर गुज़रने की चाहत में कल्पना जी ने इन अचारों में अपने हुनर का ऐसा तड़का लगाया, जो भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कामयाब हो गया।

सम्मान, संकल्प और शक्ति का नाम है ‘झा जी स्टोर’

पिछले वर्ष जब कल्पना झा जब ‘शार्क टैंक-इंडिया’ के पहले ही एपिसोड में आईं और उनके ब्रैंड-नेम के बारे में उनसे पूछा गया कि आखिर इसके पीछे की क्या कहानी है तो उन्होंने बताया था कि वे अपने पति को ‘झा जी’ कह के संबोधित करती हैं।

वहीं, अब हेल्थशॉट्स से बात करते हुए भी कल्पना जी ने बताया कि बिना उनके पति की हौसला-अफ़ज़ाई और सहयोग से ही उनका स्वावलंबन का यह सपना सच हो पाया है। वे कहती हैं, “सोचा तो बहुत समय से था। पर इनके तबादलों के कारण हम कहीं भी एक जगह ज्यादा दिन रह नहीं पाए। फिर जब वे रिटायर होकर आए, तब उन्होंने कहा कि अब तुम अपने सपने पूरे कर सकती हो।”

‘6 महिलाओं से शुरु हुआ छोटा सा काम आज 75 महिलाओं को रोज़गार दे रहा है’

अपने बिजनेस के शुरुआती दिनों को याद कर कल्पना जी कहतीं हैं कि,’ कोविड की दूसरी लहर में हमने ये बिजनेस शुरू किया। शुरुआत में 6 लोगों से हमने अपना काम शुरू किया। वहीं, अब बढ़ती डिमांड और कम समय सीमा के कारण 6 महिला साथियों से शुरू हुआ ये सफर अब 75 महिलाओं तक पहुंच गया है यानि अब 75 लोग हमारे साथ काम कर रहे है।’

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साथ ही कल्पना जी ने बताया कि घर के आंगन से शुरु हुआ ये बिजनेस अब एक फैक्ट्री में भी तब्दील हो गया है और एक जगह को उन्होंने लीज पर भी लिया है। कल्पना जी का कहना है कि अगर कोई भी व्यक्ति अपने मन में कुछ ठान लें और अकेले भी कुछ करना चाहे तो वो कर सकता है।

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‘मिठाई का डिब्बा नहीं अचार की बरनी ही दे दो….’

अपने बिजनेस में आई कठिनाइयों और मिली तारीफों के बारे में बताते हुए वे कहतीं हैं कि पहले जब भी कोई मेहमान उनके घर आता था, तो वो कहते थे कि ‘आप मिठाई का डिब्बा नहीं अचार की बरनी ही दे दो’ ।

वहीं, अपने बिजनेस की कठिनाइयों पर कल्पना जी कहती हैं कि,’ किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले आपको काफी घबराहट होती है। साथ ही उन्होंने कहा जब वे फूड इंडस्ट्री में आईं तो उन्हें काफी डर भी लगा लेकिन अगर सच्चे हौंसले से कोई काम किया जाए तो आप उसमें असफल बिलकुल भी नहीं हो सकते।

‘किसी भी काम से पहले प्लान जरूरी’

नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का हौंसला देते हुए कल्पना जी ने कहा कि अगर आप कोई भी नया काम शुरू करें तो, उससे पहले एक प्लान जरूर अपने साथ रखे। नियमबद्ध तरीके से अगर आप आगे बढ़तीं हैं और अपने उस प्लान को परिपूर्ण करतीं हैं, तो आप सफल जरूर होंगे।

साथ ही कल्पना जी ने ये भी कहा कि आजकल के ऑनलाइन के जमाने में जीवन बाहत आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर संकल्प-शक्ति हो तो आप अपने हुनर को दुनिया तक पहुंचा सकतीं हैं, आगे बढ़ सकती गई।

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लेखक के बारे में

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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